यूरोपीय संघ के चुनावों में एएफडी की नजर किशोर वोटरों पर
८ मार्च २०२४जर्मनी में 16 साल की उम्र के साथ कई नये विशेषाधिकार भी हासिल होते हैं, जैसे बीयर खरीदने, स्कूटर चलाने या फोन खरीदने का अधिकार. लेकिन अभी तक, कुछ सामुदायिक या प्रांतीय चुनावों को छोड़कर, जर्मन किशोरों को वोट देने की इजाजत नही थी. ये स्थिति अब बदलने वाली है.
यूरोपीय संसद के लिए जून में वोट डाले जाएंगे. जर्मनी में ईयू चुनावों के लिए वोटिंग की उम्र कम करने को लेकर लंबी-चौड़ी बहसों के बाद, 16 और 17 साल के किशोरों को पहली बार वोट डालने की इजाजत मिली है. बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, ग्रीस और माल्टा में भी 16 और 17 की उम्र वाले किशोर नागरिक इस साल वोट डाल पाएंगे.
इसीलिए जर्मन किशोरों को यूरोपीय चुनावों के लिए तैयार करने के सिलसिले में शिक्षक और संस्थाएं, कार्यशालाओं और सूचना सत्रों की वकालत कर रहे हैं. जर्मनी की मध्य-वाम सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े फ्रीडरिश एबर्ट फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट में इसे युवाओं का "ट्रेनिंग अप" बताया.
और ये एक तर्कसंगत लक्ष्य है. कई किशोर इस बारे में अनिश्चित हो सकते हैं कि उन्हें किसे वोट देने की इजाजत होगी और उनके मतपत्र पर एक छोटे से "x" का उनकी जिंदगियों पर क्या असर पड़ेगा.
टिकटॉक पर एएफडी का चुनाव प्रचार
लेकिन बहुत से किशोर, सूचना हासिल करने के लिए फाउंडेशनों की वर्कशॉपों की अपेक्षा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मो को ज्यादा तवज्जो देंगे. धुर-दक्षिण, पॉप्युलिस्ट ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पार्टी युवा वोटरों को रिझाने के लिए वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर आक्रामक चुनाव प्रचार कर रही है.
दक्षिण चरमपंथी नेता और यूरोपीय संसद के चुनावों में एएफडी के प्रमुख उम्मीदवार मैक्सिमिलियन क्राह ने टिकटॉक पर खुद को एक राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि डेटिंग एक्सपर्ट के रूप में भी पेश किया. वो किशोरों और युवाओं को प्यार से जुड़ी सलाह भी बांट रहे हैं.
अभी तक 10 लाख से ज्यादा बार देखे जा चुके अपने एक वीडियो में वो कहते हैं, "असली आदमी दक्षिणपंथी होते हैं, असली आदमी आदर्शवान होते हैं, असली आदमी देशभक्त होते हैं." आगे वो कहते हैं, "तभी मिलेगी तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड."
दूसरे वीडियो में, वो देखने वालों को आगाह करते हैं कि, "तुम्हारी मां अपना बुढ़ापा गरीबी में बिताएगी" या "सरकार को तुमसे नफरत है."
लगता है क्राह ने नब्ज पकड़ ली. जर्मन टीवी जेडडीएफ में दिखाए गए राजनीतिक परामर्शदाता योहानस हिल्ये के एक विश्लेषण के मुताबिक, एएफडी के उम्मीदवारों के टिकटॉक वीडियो को दूसरे दलों के वीडियो के मुकाबले करीब 10 गुना ज्यादा दर्शक मिले. स्थानीय एएफडी प्रतिनिधियों और दक्षिणपंथी इन्फ्लुएंसरों के अकाउंट भी वही कंटेंट दिखा रहे थे.
टिकटॉक अल्गोरिदम का फायदा
शैक्षिक विशेषज्ञ क्लाउस हुरलमन ने डीडब्ल्यू को बताया, "मेरे लिए ये एक रहस्य है कि बाकी दल तुलना में इतना कम काम क्यों कर रहे हैं. ये युवा पीढ़ी ऑनलाइन में पली-बढ़ी है, डिजिटल माध्यमों से ही संचार करती है और बुनियादी रूप से इन्हीं माध्यमों पर राजनीतिक सूचना दर्ज करती है."
टिकटॉक की कामयाबी की एक वजह वो तरीका है जिसके जरिए उसका अल्गोरिदम काम करता है- कंटेंट जितना औसत और हल्का होगा, उतना ही ज्यादा ध्यान खींचेगा- ये गारंटी है. जर्मनी में दूसरे राजनीतिक दल ऑनलाइन ध्यान खींचने की दौड़ में काफी पीछे हैं और ये अस्पष्ट है कि वे इस अंतर को पाट भी पाएंगे या नहीं.
ऑनलाइन टेक रिपोर्टिंग पेज सोशल मीडिया वॉचब्लॉग ने टिकटॉक पर एएफडी की कामयाबी की वजहों पर बहस करते हुए एक लेख में बताया कि बहुत से प्लेटफॉर्म एक व्यापक ऑडियंस के साथ पहले सक्रिय होने वाले लोगों को पुरस्कृत करते हैं. इसका मतलब जो पहले आता है, दूसरे व्युअर्स के बीच उसकी सिफारिश ज्यादा की जाती है. जो बाद में शामिल होते हैं, यानी देर से खाता खोलते हैं उनके व्युअर्स की संख्या कम रह जाती है.
वॉचब्लॉग लेखकों ने एएफडी के सोशल मीडिया कंटेंट के बारे में समझाते हुए हुए लिखा, "उनके संदेश ज्यादातर सरल और भावनात्मक होते हैं, अक्सर बहुत ज्यादा संक्षिप्त और भ्रामक (तथ्यहीन) भी होते हैं. दूसरे शब्दों में वे सोशल मीडिया परिचालन के लॉजिक से भली-भांति मेल खाते हैं."
युवा वोटरों को प्रभावित करने वाले मुद्दे
हुरलमन कहते हैं कि युवाओं के बीच एएफडी की ऐसी कामयाबी से वो हैरान नहीं थे. इसके अलावा वो ये मानते थे कि पहली बार वोट देने वाले किशोर असुरक्षा महसूस करते थे. उनके मुताबिक कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने और लॉकडाउन की स्थितियों ने किशोरों को अंदर तक हिला दिया था.
वो कहते हैं, "बहुत सारे युवाओं के लिए वो एक निर्णायक, ऐतिहासिक पल था, 12 या 13 साल की तरुणायी के फौरन बाद की अवस्था में पहुंचना और ये देखना अपनी ज़िंदगियों पर उनका कोई बस नहीं रह गया था."
किशोर वय की पीढ़ी जलवायु संकट, रहने की सिकड़ुती जगहों और बुढ़ापे में गरीबी झेलने को लेकर भी चिंतित है. हुरलमन कहते हैं, "एएफ़डी जैसी पार्टी को और क्या चाहिए. क्योंकि वही ऐसी पार्टी है जो सरकारों पर अंगुली उठाते हुए कह सकती है कि वे इन चिंताओं को दूर करने में अब तक नाकाम रही हैं."
इन संदेशों के प्रभाव पिछली सर्दियों में पश्चिमी प्रांत हेस्से के चुनाव के बाद साफ हो गए थे. वहां 18 से 24 की उम्र वाले युवा वोटरों में एएफडी दूसरे नंबर पर रही थी.
विभाजित पीढ़ी
चुनावी नतीजो में युवा पुरुषों का ज्यादा जोर रहा था. हुरलमन कहते हैं, "अगर आप एएफडी को देखें तो बात साफ हैः इस पार्टी पर पुरुषों का वर्चस्व है. इसे वोट देने वाले और समर्थन करने वाले अधिकांश पुरुष हैं, युवा पुरुषों पर भी यही बात लागू होती है."
पुरुषों को अपनी ओर झुकाए रखने की दक्षिणपंथी दलों की कवायद, विशुद्ध जर्मन प्रवृत्ति नहीं है. अध्ययन बताते हैं कि दुनिया भर में जेड पीढ़ी के पुरुष और स्त्रियां अपने राजनीतिक विचारों को लेकर तेजी से बंट रहे हैं. फाइनेंशियल टाइम्स अखबार के एक विश्लेषण के मुताबिक युवा पुरुष या तो हिले नहीं या निष्क्रिय बने रहे या राजनीतिक संरक्षणवाद के पक्ष में झुक गए, जबकि युवा स्त्रियां ज्यादा प्रगतिशील बन रही थीं.
हुरलमन मानते हैं कि आने वाले यूरोपीय चुनावों में एएफडी के पास बेहतर मौके हैं.
वो कहते हैं, "युवा वोटर मुद्दों पर वोट देते हैं. यहां भी एएफडी जैसी पार्टी के लिए अच्छे अवसर हैं. किशोरो-नौजवानों को इससे कोई मतलब नहीं कि मुद्दे यूरोप से संबंधित हैं या नहीं."
- स्टेफनी हॉपनर