स्पेन में जगह बनाती अफगान महिला बास्केटबॉल स्टार
१६ फ़रवरी २०२२नीलोफर को अफगानिस्तान छोड़े छह महीने हो गए हैं. स्पेन की मिश्रित पेशेवर बास्केटबॉल टीम बिदाईदेयाक बीएसआर के लिए खेलने का प्रस्ताव मिलने के बाद वो अपने पति रमेश नाइक के साथ अफगानिस्तान छोड़ कर स्पेन चली आई थीं. उनके पति भी बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं.
28 साल की नीलोफर कहती हैं, "किसी समाज से जल्दी से जुड़ना आसान नहीं है क्योंकि सब कुछ अलग होता है. यहां कैसे रहा जाए, लोगों के साथ कैसे पेश आया जाए यह सब मेरे लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण है."
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तालिबान का डर
वो जब दो साल की थीं तब काबुल में उनके घर पर एक रॉकेट गिरने से उनकी रीढ़ में चोट लग गई थी. इसके बावजूद वो आगे बढ़ीं और महिला व्हीलचेयर बास्केटबॉल में सफलता हासिल की. लेकिन 2021 में जब सत्ता में तालिबान की वापसी तय लगने लगी तब उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ दिया.
उन्हें डर था कि पिछले 20 सालों में देश ने जो तरक्की हासिल की है, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के विषय में, तालिबान के लोग उसे पलट देंगे.
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स्पेन में भाषा नीलोफर की सबसे बड़ी चुनौतियों में से है. वो फारसी, पश्तो और थोड़ी अंग्रेजी बोल लेती हैं और अब रोजाना स्पैनिश सीखने का प्रशिक्षण ले रही हैं. वो कहती हैं, "यहां का खाना अच्छा है, लोग अच्छे हैं, लेकिन समस्या यह है कि मैं उनसे अपनी भावनाएं, अपने आदर्श साझा नहीं कर सकती हूं."
करना चाहती हैं मदद
नीलोफर ने अफगानिस्तान में वकालत का प्रशिक्षण लिया था. अब स्पेन में वो भाषा की बाधाओं के बावजूद स्पेन और अफगानिस्तान दोनों स्थानों पर अफगान महिलाओं की मदद करने के लिए एक संस्था शुरू करना चाहती हैं. वो विशेष रूप से विकलांग महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं.
अभी तक उन्हें और उनके पति को उनके आप्रवासी होने के कारण पेशेवर मैचों में खेलने का मौका तो नहीं मिला है, लेकिन टीम के अध्यक्ष शेमा अलोंसो ने कहा है कि अब जब उन्हें राजनीतिक शरणार्थियों के रूप में मान्यता मिल गई है, जल्द ही वो खेल भी सकेंगे.
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अलोंसो के मुताबिक, "इससे काम और सामाजिक सरकारी सुविधाएं मिलने की गुंजाईश बढ़ गई है...इसके बाद उन्हें खेलने का लाइसेंस भी मिल सकेगा जिसकी मदद से वो यहां खेल सकेंगे."
पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार से आर्थिक, सांस्कृतिक और दूसरे संबंध तोड़ दिए हैं और नीलोफर को यह चिंता है कि दुनिया उनके लोगों को अकेला छोड़ रही है.
वो कहती हैं, "आजकल सब अफगानिस्तान को भूल रहे हैं....इसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है, सारी खबरें दूसरी चीजों की आ रही हैं. कई चुनौतियां हैं लेकिन उनकी कोई बात नहीं करता."
सीके/एए (रॉयटर्स)