इस्राएल-हिज्बुल्लाह की लड़ाई के बाद भी समझौते की उम्मीद बाकी
२८ अगस्त २०२४मध्यपूर्व में बड़े स्तर पर युद्ध छिड़ने की आशंकाएं, खासकर इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच जारी तनाव के और बढ़ने का खतरा फिलहाल कुछ कम होता दिख रहा है. हिज्बुल्लाह ने 25 अगस्त को इस्राएल पर सैकड़ों रॉकेट और ड्रोन दागे. इस्राएली सेना ने बताया कि उसने भी करीब 100 लड़ाकू विमानों से लेबनान पर कार्रवाई की.
मध्यपूर्व में युद्ध और भड़कने से कैसे रोके अमेरिका
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इन हमलों के दौरान लेबनान में तीन लोग मारे गए और इस्राएल में एक मौत हुई. हालांकि, इन हमलों ने व्यापक युद्ध का रूप नहीं लिया. दोनों पक्षों ने संघर्ष आगे ना बढ़ाने के संकेत दिए.
अभी पूरी तरह से युद्ध नहीं चाहता हिज्बुल्लाह
इस्राएल ने कहा कि उसने हिज्बुल्लाह के छोड़े ज्यादातर रॉकेटों को या तो मार गिराया या एहतियाती हमलों में उन्हें निष्क्रिय कर दिया. वहीं, हिज्बुल्लाह ने अपनी कार्रवाई को फुआद शुक्र की हत्या का बदला बताते हुए कहा कि उसका हमला "योजना के मुताबिक" पूरा हो गया है. हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने हमले को पूरी तरह कामयाब बताते हुए कहा, "शुरुआत से ही हमारा मकसद सेना को निशाना बनाना था, ना कि आम लोगों को."
जानकारों के मुताबिक, चूंकि हिज्बुल्लाह के नेतृत्व ने इस्राएल से बदला लेने की बात कही थी, ऐसे में इस हमले को अंजाम देकर वह समर्थकों को आश्वासन देना चाहता था कि उसने अपनी चेतावनी पर अमल किया. साथ ही, वह इस्राएल को भी यह संदेश देना चाहता था कि फिलहाल वह संघर्ष नहीं बढ़ाना चाहता है. कई जानकारों का मानना है कि लेबनान में लोगों की बड़ी तादाद इस्राएल के साथ युद्ध नहीं चाहती.
ईरान की ओर से खतरा बरकरार है
अमेरिका की वायु सेना के जनरल और जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष सी क्यू ब्राउन भी इस्राएल पर हमले की आशंका को देखते हुए तीन दिनों के मध्यपूर्व दौरे पर गए थे. जब उनसे पूछा गया कि क्या क्षेत्रीय युद्ध शुरू होने की तात्कालिक आशंका अब टलती दिख रही है, तो उन्होंने हामी भरी. जनरल ब्राउन ने कहा, "कमोबेश, हां."
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ईरान की ओर से खतरा बना हुआ है. उन्होंने कहा, "ईरान कैसी प्रतिक्रिया करता है, इससे तय होगा कि इस्राएल कैसे जवाब देता है और फिर इससे निर्धारित होगा कि विस्तृत संघर्ष छिड़ता है या नहीं."
जनरल ब्राउन ने इराक, सीरिया, जॉर्डन और यमन में मौजूद ईरान के चरमपंथी सहयोगियों की ओर से मंडरा रहे खतरे के बारे में भी आगाह किया. उन्होंने हूथी विद्रोही गुट को "वाइल्ड कार्ड" बताया. हूथी पहले भी लाल सागर में जहाजों को निशाना बना चुके हैं. इस गुट ने इस्राएल पर भी ड्रोन दागे थे. जनरल ब्राउन ने आश्वासन दिया कि किसी भी खतरे की स्थिति में अमेरिकी सेना इस्राएल की रक्षा के लिए बेहतर स्थिति में है. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल को जब ईरान ने इस्राएल पर अप्रत्याशित हमला किया था, तब के मुकाबले अभी तैयारियां काफी मजबूत हैं.
जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने की ईरान से इस्राएल पर हमला ना करने की अपील
अप्रैल में ईरान ने इस्राएल पर सैकड़ों की संख्या में ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं. इनमें से तकरीबन सभी को निशाने पर पहुंचने से पहले ही इस्राएल ने नष्ट कर दिया था. जनरल ब्राउन ने उम्मीद जताई, "वे संदेश देने के लिए कुछ करना चाहते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि वे भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे एक व्यापक संघर्ष छिड़ने की स्थिति बने."
पटरी से नहीं उतरी है संघर्षविराम की वार्ता
उधर अमेरिकी सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि हमास और इस्राएल के बीच संभावित समझौते के तकनीकी ब्योरों को लेकर वार्ताकारों में बातचीत जारी है. वाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के कम्युनिकेशंस अडवाइजर जॉन कर्बी ने पत्रकारों को बताया कि मिस्र की राजधानी काहिरा में चार दिनों तक उच्चस्तरीय वार्ता में प्रगति हुई.
इस्राएल और हमास के बीच जारी असहमतियों के कारण फिलहाल किसी निष्कर्ष पर तो नहीं पहुंचा जा सका है, लेकिन संबंधित पक्षों के बीच वार्ता जारी रखने पर सहमति बनी है. यह वार्ता संघर्षविराम और इस्राएली बंधकों की रिहाई पर केंद्रित है.
क्या और भड़क जाएगा हिजबुल्लाह-इस्राएल संघर्ष
7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध के समय से ही इस्राएल और हिज्बुल्लाह में तनाव बना हुआ है. हिज्बुल्लाह हमास के साथ है और गाजा में जारी इस्राएल की सैन्य कार्रवाई का विरोध करता है. हमास और इस्राएल के बीच जारी संघर्ष के दौरान वह भी लड़ाई में शामिल हो गया.
पिछले महीने हिज्बुल्लाह के सैन्य प्रमुख फुआद शुक्र की हत्या के बाद यह तनाव और बढ़ गया. हिज्बुल्लाह ने इस्राएल पर जवाबी कार्रवाई की धमकी दी. फिर हमास के नेता इस्माइल हानियेह की ईरानी भूभाग पर हुई हत्या का आरोप भी तेहरान ने इस्राएल पर लगाया और बदला लेने की चेतावनी दी. इस घटनाक्रम के कारण पुरजोर आशंका थी कि इस्राएल का ईरान, हिज्बुल्लाह और हमास के साथ बड़े स्तर पर युद्ध शुरू हो सकता है. अरब इस्राएल विवादमें तात्कालिक शांति के लिए गाजा में संघर्षविराम से उम्मीद लगाई जा रही है.
एसएम/सीके (रॉयटर्स, एपी)