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स्वास्थ्यदक्षिण कोरिया

घुसपैठिए मच्छर रोकने के लिए कोरिया सीमा पर उपकरण

१८ दिसम्बर २०२४

उत्तर और दक्षिण कोरिया को अलग करने वाली भारी सुरक्षा वाली सीमा के पास निगरानी उपकरण 24 घंटे काम कर रहे हैं. ये मिसाइलों या सैन्य गतिविधियों पर नजर नहीं रख रहे, बल्कि सीमा पार कर आने वाले मलेरिया वाले मच्छरों को पकड़ रहे.

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मलेरिया का मच्छर
तस्वीर: Soumyabrata Roy/NurPhoto/picture alliance

अपनी बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा और दशकों की कोशिशों के बावजूद दक्षिण कोरिया के लिए "मलेरिया-मुक्त" स्टेटस हासिल करना अब तक एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण दुश्मन देश उत्तर कोरिया से इसकी नजदीकी है, जहां यह रोग अब भी आम है. दक्षिण कोरिया ने इस साल देश भर में मलेरिया की चेतावनी जारी की थी और वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, विशेषकर गर्म वसंत और भारी बारिश कारण से मच्छर जनित बीमारियां बढ़ने का जोखिम बना रहता है.

दुश्मन देश और मलेरिया का खतरा

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर उत्तर और दक्षिण कोरियाई, जो अभी भी तकनीकी रूप से युद्ध में हैं, एक साथ काम नहीं करते हैं, तो स्थिति और खराब हो सकती है. दोनों देशों के बीच असली मुद्दा डिमिलिटराइज्ड जोन या डीएमजेड का है. यह भूमि की चार किलोमीटर चौड़ी निर्जन पट्टी है, जो 250 किलोमीटर लंबी आम सीमा के साथ चलती है.

यह डीएमजेड क्षेत्र हरे-भरे जंगलों और आर्द्रभूमि से घिरा हुआ है और यहां इंसान नहीं जाता है, क्योंकि इसका निर्माण 1953 में कोरियाई युद्ध के बाद हुए युद्ध विराम के बाद हुआ था.

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विशेषज्ञों का कहना है कि बारूदी सुरंगों से भरा यह सीमावर्ती क्षेत्र मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे अच्छा वातावरण प्रदान करता है. इनमें मलेरिया फैलाने वाले मच्छर भी शामिल हैं, जो 12 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं.

सोल के कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी के वैज्ञानिक किम ह्युन-वू ने कहा कि डीएमजेड में पानी जमा रहता है और "बहुत सारे जंगली जानवर हैं, जो मच्छरों के लिए रक्त स्रोत का काम करते हैं, जिससे वे अंडे देते हैं."

डिमिलिटराइज्ड जोन पर तैनात दक्षिण कोरिया का एक सैनिक
दक्षिण कोरिया ने एक बार माना था कि उसने मलेरिया का खात्मा कर दिया है, लेकिन 1993 में डीएमजेड पर तैनात एक सैनिक को संक्रमित पाया गया थातस्वीर: Getty Images/Chung Sung-Jun

मलेरिया का खात्मा नहीं कर पाया है दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया ने एक बार माना था कि उसने मलेरिया का खात्मा कर दिया है, लेकिन 1993 में डीएमजेड पर तैनात एक सैनिक को संक्रमित पाया गया था, और तब से यह बीमारी जारी है. 2023 में मामलों में लगभग 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 2022 में 420 से बढ़कर 747 हो गई.

सोल की साहम्युक यूनिवर्सिटी में पर्यावरण जीवविज्ञान के प्रोफेसर किम डोंग-गुन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "डीएमजेड ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां कीट नियंत्रण किया जा सके." उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे मच्छरों की आबादी बढ़ रही है, वहां तैनात सैनिकों में मलेरिया के मामले सामने आ रहे हैं.

दक्षिण कोरिया और उत्तर के बीच सीमा
डिमिलिटराइज्ड जोन भूमि की चार किलोमीटर चौड़ी निर्जन पट्टी है, जो 250 किलोमीटर लंबी आम सीमा के साथ चलती हैतस्वीर: Alexander Mak/NurPhoto/picture alliance

मलेरिया मच्छरों के लिए ट्रैकिंग डिवाइस

अब दक्षिण कोरियाई स्वास्थ्य अधिकारियों ने डीएमजेड के पास प्रमुख क्षेत्रों समेत पूरे देश में 76 मच्छर-ट्रैकिंग डिवाइस लगाए हैं. सीमा के उत्तर में मलेरिया अधिक व्यापक है. दक्षिण कोरिया के मुकाबले उत्तर कोरिया में मलेरिया अधिक आम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2021 और 2022 में मलेरिया के लगभग 4,500 मामले सामने आए, जबकि देश में गंभीर गरीबी और खाद्य पदार्थों की कमी के कारण यह स्थिति और भी खराब हो सकती है.

2011 में उत्तर कोरिया से भागने के बाद अब दक्षिण कोरिया में डॉक्टर के तौर पर काम करने वाले चोई जंग-हुन का कहना है कि उत्तर कोरिया में संक्रामक रोगों की समस्या बहुत गंभीर है. चोई ने कहा कि वे देश के उत्तरी भाग में रहते थे, फिर भी उन्होंने मलेरिया के रोगियों का इलाज किया था, जिनमें एक उत्तर कोरियाई सैनिक भी शामिल था, जो दक्षिण की सीमा के पास तैनात था.

चोई ने कहा कि पुराने माइक्रोस्कोप जैसे पुराने उपकरण मलेरिया के जल्द और सटीक पहचान में बाधा डालते हैं, जबकि कुपोषण और गंदा पानी की सुविधाओं में कमी के कारण उत्तर कोरिया के लोग विशेष रूप से इस रोग के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दशक में दक्षिण कोरिया के लगभग 90 प्रतिशत मलेरिया रोगी डीएमजेड के पास वाले क्षेत्रों में संक्रमित हुए थे, हालांकि अन्य क्षेत्रों में दुर्लभ मामले सामने आए हैं.

एए/वीके (एएफपी)