जर्मन संसद के बजट सत्र में ऊर्जा और महंगाई हावी
७ सितम्बर २०२२संसद में चर्चा के दौरान चांसलर ओलाफ शॉल्त्स को सीधे संबोधित करते हुए मैर्त्स ने चीख कर कहा, "इस पागलपन को रोकिए." क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी, सीडीयू के प्रमुख ने परमाणु बिजली घरों को चलते रहने की अनुमति नहीं देने को "पागलपन" कहा है. उनका कहना है कि यह फैसला व्यापार करने के लिए आदर्श जगह के रूप में जर्मनी की पहचान को ऐसा नुकसान पहुंचायेगा जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.
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चांसलर शॉल्त्स और जर्मनी के आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हाबेक चाहते हैं कि जर्मनी के बाकी बचे तीन परमाणु बिजली घरों में से दो को वैकल्पिक तौर पर बनाये रखा जाये ना कि उन्हें चलाते रहने की अनुमति दे दी जाये. शॉल्त्स ने मैर्त्स को जवाब दिया, "जो लोग विभाजन की बात करते हैं वो इस देश में समन्वय को खतरे में डाल रहे हैं और इस वक्त यह करना गलत है." चांसलर ने यह भी कहा, "हमारे देश को कम करके मत आंकिये, हमारे देश के नागरिकों को कम करके मत आंकिये. मुश्किल घड़ी में हमारा देश अपने आप आगे बढ़ता है. जब चीजें कठिन होने लगें तो पुरानी चीजों को छोड़ने की हमारी अच्छी परंपरा है."
परमाणु बिजली घरों पर मतभेद
जर्मन सरकार इस साल सर्दियों में ऊर्जा की सप्लाई बनाये रखने की कोशिशों में जुटी है. रूस से आने वाली गैस की सप्लाई कम होती जा रही है और फिलहाल अनिश्चितकाल के लिये बंद है. परमाणु बिजली घरों को इस साल के आखिर में बंद करना था लेकिन सरकार ने उनमें से दो को अगले साल अप्रैल के मध्य तक वैकल्पिक तौर पर बनाये रखने का फैसला किया है. अगर बिजली की कमी होती है तो इन बिजली घरों को चालू किया जा सकेगा. उधर विपक्षी दल सीडीयू के नेता का कहना है कि ऊर्जा आपूर्ति के लिहाज से मुश्किल समय में इन्हें बंद करने की बजाय चालू रखा जाना चाहिये.
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परमाणु बिजली घरों के बारे में फैसला तीन सत्ताधारी पार्टियों सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी, एसपीडी, हाबेक की ग्रीन पार्टी और उदारवादी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के बीच भी विवाद की वजह बना है. पर्यावरणवादी पार्टी ग्रीन चाहती है कि अंगेला मैर्केल के जमाने में लिये फैसले पर कायम रहा जाये यानी परमाणु बिजली घर बंद हो जबकि एफडीपी लंबे समय से चाहती है कि बिजली की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इन्हें चालू रखा जाये.
दूसरे यूरोपीय देशों की तरह ही जर्मनी के सामने ऊर्जा संकट के साथ ही महंगाई प्रमुख मुद्दा है. एक तरफ यूक्रेन की जंग है तो दूसरी तरफ रूस से गैस और तेल की घटती सप्लाई. इनकी वजह से महंगाई आये दिन नई ऊंचाइयां छू रही है. बुंडेस्टाग में मंगलवार को अगले साल का बजट प्रस्ताव पेश करते हुए वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री फ्लोरियान टोंकार ने कहा कि महंगाई और उसके कारण होने वाली समस्यायें फिलहाल जर्मनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं. टोंकार ने यह भी कहा कि जर्मन संविधान में सार्वजनिक कर्ज की जो सीमा तय की है उसका भी ध्यान रखा जाना चाहिये. वित्त मंत्री क्रिश्चियान लिंडनर एक अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गये थे इसलिये उनकी जगह टोंकार ने बजट प्रस्ताव पेश किया.
कर्ज घटाने के लिये घटाया बजट
टोंकार का कहना है, "इस बात पर सहमति है कि हमें आज विस्तारवादी आर्थिक नीति की जरूरत नहीं है बल्कि योजनाबद्ध तरीके से घाटे को कम करने की ओर बढ़ना होगा."
जर्मनी में इसका मतलब है कि सरकार 2023 के बजट के साथ कर्ज पर सीमा की ओर बढ़ना चाहती है जिसे डेट ब्रेक भी कहा जाता है. टोंकार ने इस बात पर जोर दिया कि संसद के दोनों सदनों में कर्ज की सीमा तय की गई थी और संविधान में भी यह लिखा है.
जर्मनी में महंगाई की दर अगस्त महीने में 7.9 फीसदी तक चली गई, इसी दौर में आर्थिक विकास तेजी से नीचे जा रहा है. महंगाई ने बहुत बड़ी आबादी को परेशान कर रखा है और इससे पूरे समाज की उद्यमशील सफलता खतरे में पड़ गई है. बजट प्रस्ताव में कुल 445.2 अरब यूरो के खर्च का ब्यौरा दिया गया है. पिछले सालों की तुलना में यह काफी कम है. तब महामारी और आर्थिक सहायता देने के लिये भारी भरकम बजट पेश किया गया था.
एनआर/एमजे (डीपीए)