कोविड और तख्तापलट: दोहरे संकट की चपेट में म्यांमार
३० जुलाई २०२१कोरोनोवायरस की तीसरी लहर से करीब चार महीने पहले जब म्यांमार में रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत हो रही थी, सो मो नौंग (बदला हुआ नाम) नाम के एक व्यवसायी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि उसने और उसके परिवार ने एक सार्वजनिक टीकाकरण केंद्र में टीका लगवाया था.
व्यवसायी ने अपने साथियों से भी टीका लगवाने की अपील की थी. लेकिन इस संदेश का असर नौंग पर उल्टा पड़ा और उन्हें अपनी पोस्ट को छिपाने पर मजबूर कर दिया.
उनके आलोचकों का मानना है कि टीका लगवाना कुछ मायनों में फरवरी में सैन्य तख्तापलट को वैध बनाता है, जिसके कारण आंग सान सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंका गया था.
सो मो नौंग खुद एनएलडी के समर्थक हैं और उन्होंने इन वजहों को भी स्पष्ट किया था कि वो टीका लगवाने के लिए क्यों राजी हुए. वह कहते हैं, "एनएलडी सरकार ने म्यांमार के लोगों के लिए टीकों का अधिग्रहण किया था. यह हर एक नागरिक का अधिकार है. टीकाकरण एक अलग मुद्दा है और इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है.”
सो मो नौंग इस मामले में व्यावहारिक हो सकते हैं लेकिन उनके विचार से म्यांमार में बहुत कम लोग ही सहमति रखते हैं.
टीकाकरण न कराकर सेना को ललकारना
1 फरवरी को तख्तापलट के बाद से पूरे म्यांमार में कई लोग सेना के विरोध के तौर पर टीका लेने से इनकार कर रहे हैं. यांगून की रहने वाली ह्नीन यी ऑन्ग कहती हैं, "मेरी मां ने बुढ़ापे के बावजूद टीका नहीं लगवाया, शायद इसलिए कि उनके बेटे यानी मेरे भाई ने कहा है कि 'क्रांति अभी खत्म नहीं हुई है.”
उनका भाई एक सार्वजनिक अस्पताल में डॉक्टर है और पिछले कई महीनों से सविनय अवज्ञा आंदोलन (सीडीएम) में भाग ले रहा है.
कुछ अन्य लोगों ने लोकतंत्र समर्थक समूहों और बहिष्कार के डर से टीकाकरण नहीं कराने का विकल्प चुना है. जिन लोगों ने टीका लगवाया है वे अक्सर सोशल मीडिया आोलचनाओं और विरोध का शिकार हो जाते हैं जिसमें उनका नाम लेकर उनके प्रति शर्मिंदगी जताई जाती है और मजाक उड़ाया जाता है.
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कई लोग काम करना बंद करने और सेना के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होने वाले पहले लोगों में से थे. सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य कर्मचारियों ने भी ऐसा ही किया और प्रशासन को एक बड़ा झटका दिया.
इस वजह से सरकार को काम पर लौटने के लिए सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बढ़ाना पड़ा जबकि सेना ने असंतुष्ट स्वास्थ्य कर्मियों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया. इस वजह से कई लोग सेना के डर से छिप गए.
सीडीएम से जुड़े कुछ डॉक्टरों ने शुरू में निजी प्रतिष्ठानों में मरीजों का इलाज किया लेकिन अपने निजी क्लीनिकों के पास सैनिकों और पुलिस की तैनाती को देखकर रुक गए.
दीन-हीन व्यवस्था का कोविड से सामना
इसका मतलब यह था कि जब कोविड की तीसरी लहर आई, तो म्यांमार की उस सेना को स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ संकट से निपटने के लिए छोड़ दिया गया था जिस पर व्यापक रूप से नफरत फैलाने के आरोप थे. स्वास्थ्य सेवाएं न केवल आवश्यक दवाओं और उपकरणों के मामले में, बल्कि चिकित्सा कर्मचारियों के मामले में भी बड़ी कमी का सामना कर रही थीं.
तस्वीरों मेंः म्यांमार में दमन का कुचक्र
हजारों नए संक्रमण और बढ़ती मौतों के साथ ही देश की व्यवस्था जल्द ही आपातकाल के घेरे में आ गई. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ 25 जुलाई को ही कोविड से संबंधित बीमारियों के कारण यहां 355 लोगों की मौत हो गई और अब तक मरने वालों की कुल संख्या 7100 से ज्यादा है. मौतों की यह संख्या सिर्फ वही दर्ज है जो अस्पतालों में हुई है.
सेना के प्रमुख, मिन आंग हलिंग ने हाल ही में असंतुष्ट स्वास्थ्यकर्मियों से काम पर लौटने के लिए एक सार्वजनिक अपील जारी करते हुए कहा कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड आपातकाल से निपटने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
सीडीएम से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों ने हालांकि इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है और सेना से कहा है कि वो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को सत्ता वापस कर दे. इन लोगों ने सोशल मीडिया पर यह कहना शुरू किया है, "हम तभी काम पर वापस आएंगे, जब आप लोग अपनी बैरकों में वापस चले जाएंगे.”
फिर जनता पर दबाव
म्यांमार में पहले से ही स्वास्थ्य व्यवस्था सबसे कमजोर स्थिति में है और यह दुनिया की सबसे खराब स्वास्थ्य प्रणालियों में से एक है, वहीं कोविड संक्रमण और सैन्य तख्तापलट के संयुक्त प्रभाव ने इसे लगभग खत्म कर देने की स्थिति में ला खड़ा किया है.
हाल के हफ्तों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है. अपने प्रियजनों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए हताश रिश्तेदारों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
म्यांमार में तख्तापलट के विरोध में बनी राष्ट्रीय एकता की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक खुला पत्र लिखा है जिसमें ऑक्सीजन की कमी और सुरक्षा बलों की ओर से पैदा की गई ऑक्सीजन उत्पादन की खतरनाक और अमानवीय स्थिति की ओर ध्यान दिलाया गया है.
देखिएः 21वीं सदी के तख्तापलट
सुरक्षा सेवाओं के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं कि वे अक्सर ऑक्सीजन की आपूर्ति को जब्त कर लेते हैं और लोगों को उन्हें सुरक्षित रखने से रोकते हैं. हालांकि सैन्य सरकार इन आरोपों को झूठा और राजनीति से प्रेरित बता रही है.
सरकार के स्वामित्व वाले मीडिया ने बताया कि हाल ही में कोविड की स्थिति का आकलन करने के लिए हुई एक बैठक में, जुंटा प्रमुख ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य आपातकाल के दुरुपयोग और उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है.
अधिकारियों ने यह भी कहा कि सरकार ने मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए पोर्टेबल ऑक्सीजन सांद्रता और कोविड से संबंधित अन्य उपकरणों की पर्याप्त मात्रा का आयात किया है.
इस बीच, चीन से हाल ही में टीके आने के बाद 25 जुलाई को सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम फिर से शुरू हुआ. उन लोगों पर फिर से दबाव है जो अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि उन्हें टीका लेना है या नहीं.
ह्नीन यी ऑन्ग कहती हैं, "मैं अपनी मां से इस बार वैक्सीन लेने के लिए आग्रह करूंगी. हालांकि यह उनके और हमारे परिवार पर निर्भर है.”
रिपोर्टः माऊंग बो, यंगून
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