चीनी रक्षा मंत्री ने बताया,अमेरिका से युद्ध हुआ तो क्या होगा
५ जून २०२३चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू की यह टिप्पणी उस घटना के अगले दिन आई जब अमेरिका और चीन के सैन्य जहाज ताइवान की खाड़ी में एक दूसरे के करीब से गुजरे. शनिवार की इस घटना के बाद रविवार को शांगफू ने सिंगापुर में कहा, "एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नाटो जैसे गुट बनाने की कोशिश करना इस क्षेत्र के देशों का अपहरण करना और युद्ध व झगड़े भड़काने जैसा है.”
ली सिंगापुर में एक सुरक्षा सम्मेलन में बोल रहे थे, जहां अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी मौजूद थे. उन्होंने चेतावनी दी कि गुटबाजी की ये कोशिशें एशिया-प्रशांत क्षेत्र को विवादों और युद्धों के चक्रवात में झोंक देंगी.
इसके जवाब में अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन लॉयड ने कहा कि अमेरिकी साझेदारियां क्षेत्र को करीब लाने और इसे स्वतंत्र, खुला और सुरक्षित रखने के लिए हैं.
अमेरिका पर आरोप
ली के इस बयान में कोई नयी बात नहीं है क्योंकि चीन पहले भी एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की चीन के खिलाफ खेमेबंदी की कोशिशों का विरोध करता रहा है. अमेरिका ने हाल के सालों में ऐसे कई सैन्य और असैन्य समझौते और साझेदारियां की हैं, जिन्हें मूलतः चीन के प्रभाव की काट के तौर पर देखा जाता है.
इन गुटों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन का आकुस, न्यूजीलैंड के साथ फाइव आइज और भारत, जापान व ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वॉड शामिल हैं. इन्हीं गुटों की ओर इशारा करते हुए शांगरी-ला डायलॉग नामक सुरक्षा सम्मेलन में ली ने कहा, "आज एशिया-प्रशांत क्षेत्र को समावेशी सहयोग की जरूरत है ना कि छोटे-छोटे समूहों में गुटबाजी की.”
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ली ने अपने भाषण में अमेरिका को क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करने की कोशिशों में लगी ताकत दिखाने की कोशिश की जबकि चीन को तनाव कम करने की कोशिश में लगा देश. उन्होंने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर चीन और अमेरिका के बीच युद्ध हुआ तो यह दुनिया के लिए असहनीय दर्द लेकर आएगा.”
बातचीत करनी चाहिए
इससे पहले शनिवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा था कि अमेरिका और चीन को सर्वोच्च स्तर पर बातचीत करनी चाहिए ताकि किसी तरह की गलतफहमियां ना हों. उन्होंने कहा, "हम जितनी ज्यादा बातचीत करेंगे, उतना ही ऐसी गलतफहमियों और गलत गणनाओं को टाल पाएंगे जिनके कारण संकट या युद्ध हो सकते हैं.”
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जब सिंगापुर में यह सम्मेलन चल रहा था, तब शनिवार को अमेरिका और कनाडा ताइवान की खाड़ी में अपने नौसैनिक जहाज तैनात कर रहे थे. इसके जवाब में चीन ने अपने एक सैन्य जहाज को अमेरिकी जहाज के आमने-सामने कर दिया.
ताइवान की खाड़ी को दुनिया के सबसे खतरनाक और संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है. इस इलाके में स्थित ताइवान को चीन अपना बताता है और एक दिन अपने अधिकार में लेने की बात कहता है. हाल के सालों में उसने इलाके में अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं और ताइवान पर दबाव भी बढ़ाया है.
आमने-सामने सेनाएं
ऑस्टिन ने रविवार को कहा कि अमेरिका और चीन के जहाजों का आमने-सामने आ जाना ‘बेहद खतरनाक' घटना थी. उन्होंने बताया कि चीनी जहाज अमेरिका के डिस्ट्रॉयर श्रेणी के जहाज चुंग-हून से सिर्फ 150 फुट दूर से गुजरा.
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ऑस्टिन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "मैं (चीनी) नेतृत्व से आग्रह करता हूं कि ऐसे व्यवहार पर विचार करें क्योंकि हादसे हो सकते हैं जिनके बाद स्थिति हाथ से निकल सकती है. यह एक गैरजरूरी आक्रामक व्यवहार था.”
पिछले हफ्ते भी ऐसी ही घटना हुई थी जबकि दक्षिणी चीन सागर में चीन का एक लड़ाकू विमान अमेरिका के निगरानी विमान के ठीक सामने आ गया था. उस घटना के लिए अमेरिका को जिम्मेदार बताते हुए ली ने सिंगापुर में कहा कि चीन के आसपास के इलाके से उसे अपनी सेना को हटाना चाहिए.
ली ने कहा, "हमारे सैन्य विमान और युद्धक जहाज किसी अन्य देश के जल या वायु सीमा क्षेत्र के आसपास भी नहीं जाएंगे. सबसे अच्छी बात ये होगी कि सभी देश और खासतौर पर उनके लड़ाकू विमान और जहाज अन्य देशों की वायु और जल सीमाओं से दूर रहें. आप यहां कर क्या रहे हैं?”
सिंगापुर में सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान शुक्रवार को रात के खाने के वक्त ली और ऑस्टिन ने हाथ मिलाये थे और कुछ देर के लिए बातचीत भी की थी लेकिन कोई अहम वार्ता नहीं हुई. अमेरिका ने चीन को सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्रियों की बैठक के लिए आमंत्रित किया था लेकिन चीन ने इनकार कर दिया.
वीके/एए (रॉयटर्स/एपी)