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भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर हिजाब पर विवाद की छाया

चारु कार्तिकेय
१० फ़रवरी २०२२

कर्नाटक में छात्राओं के हिजाब पहनने पर छिड़ा विवाद अब भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक विवाद का रूप ले रहा है. मामले पर पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में भारत के उप-राजदूत को बुला कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.

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हिजाब पर विवाद
हिजाब पर विवादतस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

हिजाब पर विवाद का गंभीर रूप से संज्ञान लेते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इस्लामाबाद में भारत के उप-राजदूत को बुलाया और विवाद पर अपनी आपत्ति व्यक्त की. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान सरकार भारत में मुसलमानों के प्रति कथित धार्मिक असहिष्णुता, नकारात्मक रूढ़िबद्धता, कलंकित करने की कोशिशों और भेदभाव को लेकर बहुत चिंतित है.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि कर्नाटक में हिजाब पहनने वाली महिलाओं को परेशान करने वालों के खिलाफ भारत सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए और विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए.

(पढ़ें: हिजाब प्रतिबंध पर विवाद बढ़ा, कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज बंद)

 

कूटनीतिक विवाद

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र, इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया कि वो "भारत में इस्लामोफोबिया के चिंताजनक स्तर" को संज्ञान में लें और भारतीय अधिकारियों को कहें कि वो देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकारों के सुनियोजित उल्लंघन को रोकें.

हिजाब बैन पर प्रदर्शन
कोलकाता में कर्नाटक की छात्राओं के समर्थन में प्रदर्शनतस्वीर: DIBYANGSHU SARKAR/AFP

इस बयान से पहले ही पाकिस्तान सरकार के कई मंत्रियों ने भी इस मामले पर टिप्पणी की. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि यह मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन है और दुनिया को यह समझना चाहिए कि यह मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग थलग रखने की भारत सरकार की योजना का हिस्सा है.

सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद हुसैन ने भी कहा कि हिजाब पहनना एक निजी फैसला है और नागरिकों को यह फैसला लेने का हक दिया जाना चाहिए. दोनों पाकिस्तानी मंत्रियों के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पाकिस्तान खुद वहां के अल्पसंख्यकों के लिए "अपराध और क्रूरता का एक जंगल है" जबकि भारत में मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों को "बराबर अधिकार, इज्जत और समृद्धि" मिलती है

(पढ़ें: दुआ में भी साजिश देखने वाली यह सोच समाज को ही फूंक रही है)

 

अदालत में सुनवाई

इसके पहले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी इस मामले पर ट्वीट किया था और अपनी चिंता जताते हुए कहा था कि भारत के नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन बंद करना चाहिए.

इस बीच इस मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कुछ मुस्लिम छात्राओं ने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के कुछ कॉलेजों ने हिजाब पहनने को आधार बना कर उन्हें कॉलेज में घुसने से रोक दिया है और यह उनके खिलाफ भेदभाव है.

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