पाकिस्तान: इमरान और पत्नी बुशरा को 14 साल की जेल
३१ जनवरी २०२४इस्लामाबाद की एक अदालत ने इमरान और बुशरा दोनों की 10 साल तक किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही, दोनों पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है.
पाकिस्तान में आठ फरवरी को आम चुनाव होने हैं. इमरान पहले ही चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद वह मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय माने जाते हैं.
क्या है तोशाखाना केस?
तोशाखाना, कैबिनेट डिवीजन के अंतर्गत एक विभाग है. इसमें राष्ट्राध्यक्षों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को विदेशी राष्ट्राध्यक्षों या प्रतिनिधियों से मिले तोहफे जमा किए जाते हैं. नियम के मुताबिक, विदेशी दौरों पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक-आधिकारिक पद पर बैठे लोगों को अगर कीमती तोहफे मिलें, तो वहां के पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी उन तोहफों को लेकर उनका रिकॉर्ड तैयार करते हैं.
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तोहफे की कीमत स्थानीय मुद्रा में 30 हजार तक या इससे कम होने पर पाने वाला उसे रख सकता है. लेकिन इससे ज्यादा कीमत के तोहफे तोशाखाना में जमा किए जाते हैं. अगर तोहफे पाने वाला उन कीमती तोहफों को अपने पास रखना चाहे, तो उसे तय कीमत जमा करनी पड़ती है. यह मूल्य तोशाखाना की एक मूल्यांकन समिति तय करती है.
इमरान और बुशरा पर आरोप था कि 2018 से 2022 के दौरान पद पर रहते हुए उन्होंने जिन कीमती तोहफों को अपने पास रखा, उनके ब्योरे साझा नहीं किए. ना ही इनकी बिक्री से हुई कमाई की जानकारी दी. पाकिस्तानी मुद्रा में इन तोहफों की कीमत करीब 14 करोड़ रुपये बताई जाती है. इनमें कीमती घड़ियां, गहने, डिजाइनर बैग और परफ्यूम शामिल हैं.
पीटीआई की प्रतिक्रिया
इमरान की पार्टी 'पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ' (पीटीआई) के प्रवक्ता ने अदालत के ताजा फैसले को "देश की न्यायिक व्यवस्था के इतिहास में एक और दुखद दिन" बताया.
पीटीआई के पार्टी हैंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "दो दिन में पाकिस्तान के हर मौजूदा कानून को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. इमरान खान और बुशरा बीवी ने एक और कंगारू ट्रायल का सामना किया, जिसमें दोनों को अपने बचाव का कोई अधिकार नहीं दिया गया."
इमरान के वकील बाबर अवान ने कहा कि फैसला बहुत जल्दी में सुनाया गया. जज ने इमरान की कानूनी टीम का भी इंतजार नहीं किया. अवान ने आरोप लगाया कि इमरान के बुनियादी मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है. उन्होंने अदालत के ताजा फैसले के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है.
क्या है "साइफर केस"
हालिया महीनों में इमरान को मिली यह तीसरी सजा है. 30 जनवरी को ही एक विशेष अदालत ने इमरान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को गोपनीयता के उल्लंघन में 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. यह मामला वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच एक कूटनीतिक संवाद से जुड़ा है, जिसे "साइफर केस" भी कहा जाता है.
मार्च 2022 में अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी से मुलाकात के बाद पाकिस्तान के एक राजनयिक ने एक डिप्लोमैटिक केबल भेजा. इमरान को यह संवेदनशील केबल लीक करने का दोषी पाया गया है. इमरान का दावा है कि यह कागजात साबित करता है कि 2022 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर पद से हटाना असल में उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश थी.
इससे पहले अगस्त 2023 में भी तोशाखाना मामले से जुड़े एक अलग केस में इमरान को दोषी करार देते हुए तीन साल जेल की सजा दी गई थी.
डीडब्ल्यू के संवाददाता शामिल शम्स ने कराची से बताया कि तोशाखाना मामले में आया ताजा फैसला इस मायने में अलग है कि यह भ्रष्टाचार से जुड़ा है. शम्स बताते हैं, "इमरान खान पाकिस्तान में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का बड़ा चेहरा रहे हैं. यह पहली बार है, जब उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में सजा दी गई है. यह उनके समर्थकों के लिए एक झटका है क्योंकि वे इमरान को ऐसा नेता मानते हैं, जो साफ-सुथरे हैं और राजनीति में बाहर से आए हैं."
पाकिस्तान की राजनीति
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पहले ही इमरान के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. वह अगले चुनाव तक सार्वजनिक पद पर नहीं चुने जा सकते हैं. पाकिस्तान में सत्ता बदलने पर राजनीतिक पार्टियों का एक-दूसरे को निशाना बनाने का लंबा इतिहास रहा है.
एक समय नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-एन) और बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच भी ऐसी ही स्थिति थी. फिर जब परवेज मुशर्रफ सत्ता में थे, तब बेनजीर और नवाज दोनों ही लोकतंत्र की गंभीर स्थिति को रेखांकित करते हुए विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने की शिकायत करते थे.
इमरान भी आरोप लगाते हैं कि सेना के साथ मिलकर पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें पद से हटाने की साजिश की. वह अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को राजनीतिक मंशा से प्रेरित बताते हैं. 2022 में पद से हटाए जाने के बाद से ही इमरान सार्वजनिक तौर पर सेना की आलोचना करते आए हैं. वह आरोप लगाते हैं कि सैन्य नेतृत्व ने उनकी गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि तैयार की, ताकि वह चुनाव ना लड़ सकें.