1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

ट्विटर पर क्यों टेढ़ी हैं भारत सरकार की निगाहें

विवेक कुमार
२५ मई २०२१

दिल्ली पुलिस के अफसर सोमवार को सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर के दफ्तरों पर पहुंचे. एक बयान में पुलिस ने बताया है कि उसके अफसर भारत में कंपनी के महाप्रबंधक को नोटिस जारी करने के लिए वहां गए थे.

https://p.dw.com/p/3ttRB
Twitter Logo
तस्वीर: Imago Images/Zuma/O. Marques

दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के गुरुग्राम और दिल्ली स्थित दफ्तरों पर दस्तक दी. ट्विटर द्वारा भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया' यानी ऐसी बात घोषित किया था जिसमें तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है. पात्रा और अन्य कई बीजेपी नेताओं ने कुछ दस्तावेजों को कांग्रेस पार्टी की ‘टूल किट' बताते हुए सोशल मीडिया पर साझा किया था और दावा किया था कि पार्टी मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रही है.

कांग्रेस ने इस बारे में ट्विटर से शिकायत की थी और दावा किया था कि ये दस्तावेज फर्जी हैं. इसके बाद ट्विटर ने इस पोस्ट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में टैग कर दिया था. दिल्ली पुलिस को इस बारे में सोमवार को ट्विटर के खिलाफ एक शिकायत मिली जिस पर उसने फौरन जांच शुरू कर दी और ट्विटर के दफ्तरों में जाकर नोटिस थमा दिया. एक बयान में दिल्ली पुलिस ने कहा, "यह बहुत जरूरी था क्योंकि हम सुनिश्चित करना चाहते थे कि सही व्यक्ति कौन है जिसे नोटिस दिया जाए चूंकि ट्वटिर के जवाब ‘ट्विटर इंडिया एमडी' के हवाले से आ रहे थे जो अस्पष्ट थे.”

सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर का कहना है कि वह ऐसे वीडियो, ऑडियो और तस्वीरों समेत किसी भी पोस्ट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में टैग करता है, जिनके साथ छेड़छाड़ की गई है और तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा गया हो. हालांकि मौजूदा मसले पर ट्विटर ने कोई टिप्पणी नहीं की है. बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता संजू वर्मा ने एक ट्वीट कर कहा कि ट्विटर को किसी ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड' बताने का अधिकार किसने दिया. उन्होंने लिखा, "ट्विटर के छल पर मेरी प्रतिक्रिया यह है कि वे शरजील उस्मानी के नफरती संदेशों पर तो कोर्रवाई करने से इनकार करते हैं और दक्षिणपंथ को रद्द करने का दुस्साहस करते हैं. ट्विटर को किसी ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड' टैग करने का हक किसने दिया? क्या ट्विटर दोषी नहीं है?”

ट्विटर से तनाव पुराना

ट्विटर और भारत सरकार के बीच तनाव नया नहीं है. बल्कि ऐसा कहा जा सकता है कि कई महीनों से यह तनाव धीरे धीरे बढ़ रहा है. एक से ज्यादा बार भारत सरकार ट्विटर से कई ट्वीट हटाने को कह चुकी है. पिछले महीने से भारत सरकार ने ट्विटर से ऐसे दर्जनों ट्वीट हटाने को कहा था जिनमें कथित तौर पर इसकी आलोचना की गई थी. हालांकि भारत सरकार का कहना था कि ये पोस्ट इसिलए हटवाई गईं क्योंकि ये कोरोना वायरस के बारे में गलत सूचनाएं फैला रही थीं.

फरवरी में भारत ने कुछ नियम न मानने की बात कहते हुए ट्विटर की आलोचना भी की थी. तब ट्विटर ने किसान आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों के अकाउंट अनब्लॉक कर दिए थे. इसके बाद भारत ने ट्विटर को जुर्माने और सात साल तक की जेल की चेतावनी दी थी. तब सरकार के कहने पर 250 से ज्यादा सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं, एक फिल्म स्टार, और खोजी पत्रिका कैरावन के ट्विटर अकाउंट ब्लॉक कर दिए थे. इनमें से ज्यादातर अकाउंट भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक थे. हालांकि छह घंटे बाद ही अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए ये अकाउंट फिर से शुरू कर दिए गए थे  जिसके बाद आईटी मंत्रालय ने कंपनी को नोटिस भेज कर अकाउंट फिर से ब्लॉक करने को कहा था. इस नोटिस में जेल और जुर्माने की चेतावनी भी दी गई थी.

भारत ने ट्विटर को जिन ट्वीट्स को हटाने का आदेश दिया था उनमें कई सांसदों और राजनीतिक दलों के नेताओं के ट्वीट भी थे. हार्वर्ड यूनिवर्सटी के एक प्रोजेक्ट लूमन पर यह जानकारी सामने आई थी. 23 अप्रैल को लूमन पर 23 ऐसे ट्वीट नजर आए थे जिन्हें भारत के लिए हटा दिया गया था. इनमें पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री मोलोय घटक, सांसद रेवनाथ रेड्डी और फिल्मकार अविनाश दास के ट्वीट भी शामिल थे. लूमन के मुताबिक इन ट्वीट्स को हटाने के आदेश का आधार सरकार ने सूचना प्रद्योगिकी कानून 2000 को बताया था.

कार्रवाई की आलोचना

सरकार की ट्विटर पर ताजा कार्रवाई को लेकर कई हल्कों में आलोचना हो रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार दुनियाभर में देश का नाम खराब कर रही है. उन्होंने लिखा, "सत्ता की खातिर चुनाव प्रचार और महामारी संभालने में आपराधिक लापरवाही के जरिए ब्रैंड इंडिया को दुनिया के सामने खराब करने के बाद सरकार अब ट्विटर इंडिया पर छापे मारकर अपना मुंह काला कर रही है. यह शर्मनाक है.”

उधर मणिपुर सरकार के सलाहकार रजत सेठी ने इसे भारत का बड़ी तकनीकी कंपनियों के सामने खड़ा होना बताया. सेठी ने लिखा, "आखिरकार भारत बड़ी तकनीकी कंपनियों के सामने खड़ा हुआ और उन्हें बताया कि बॉस कौन है.”

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें