क्यों हुई असम-मिजोरम सीमा पर हिंसा
२७ जुलाई २०२१असम-मिजोरम सीमा विवाद ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया और असम पुलिस के पांच जवानों की मौत हो गई. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इन दो राज्यों के बीच सीमा विवाद भड़का है.
पिछले साल अक्टूबर में भी असम और मिजोरम के लोगों के बीच झड़पें हुई थीं. एक ही हफ्ते के अंदर दो बार झड़पों में तब कई लोग घायल हुए थे और झोपड़ियां व दुकानें जला दी गई थीं.
क्या है विवाद?
असम और मिजोरम की सीमाओं पर विवाद कुछ क्षेत्र को लेकर है जिसे दोनों तरफ के लोग अपना बताते हैं. असम और मिजोरम की सीमा लगभग 165 किलोमीटर लंबी है. लेकिन ब्रिटिश युग में मिजोरम का नाम लुशाई हिल्स हुआ करता था और यह असम का एक जिला था.
विवाद की जड़ में 146 साल पुराना एक नोटिफिकेशन है. 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन एक्ट के तहत 1875 में एक नोटिफिकेशन जारी हुआ. इस नोटिफिकेशन में लुशाई हिल्स को कछार के मैदान से अलग किया गया. फिर 1933 में एक और नोटिफिकेशन जारी कर लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच की सीमा भी अंकित की गई.
लेकिन दोनों नोटिस सीमा को अलग-अलग दिखाते हैं. मिजोरम के लोगों का मानना है कि सीमाओं को 1875 के नोटिफिकेशन के आधार पर तय किया जाना चाहिए. मिजो नेता यह तर्क देते रहे हैं कि 1933 का नोटिफिकेशन मान्य नहीं है क्योंकि उसके लिए मिजो समुदाय से विचार-विमर्श नहीं किया गया था.
उधर असम सरकार 1933 का नोटिफिकेशन मानती है. इस कारण विवाद है. और यह विवाद यदा-कदा उबलता रहता है. फरवरी 2018 में भी इस सीमा को लेकर हिंसा हो चुकी है. तब मिजोरम के प्रभावशाली छात्र संगठन मिजो जिरला पॉल (MZP) ने किसानों के लिए जंगल में एक विश्राम घर बना दिया था.
असम के अधिकारियों ने कहा कि विश्राम घर असम की जमीन पर बना था. इसलिए पुलिस और वन विभाग ने उसे तोड़ दिया. तब मिजो छात्र संगठन और असम के कर्मचारियों के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं.
अब क्या हुआ?
मिजोरम के कोलासिब जिले के तत्कालीन उपायुक्त एच लालथंगलियाना ने 2020 में इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया था कि कुछ साल पहले दोनों राज्यों के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें साझा क्षेत्र यानी नो मैन्स लैंड पर यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति बनी थी. लेकिन असम के अधिकारी दावा करते हैं कि जिस इलाके को लेकर विवाद है वह असम की सीमा में है न कि नो मैन्स लैंड में.
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इस साल जून में कुछ लोगों ने सीमांत इलाके में दो खाली पड़े घर फूंक दिए. इसके बाद तनाव बढ़ गया. जुलाई की शुरुआत में दोनों राज्यों ने एक दूसरे पर कोलासिब जिले में सीमा लांघने का आरोप लगाया. असम ने कहा कि मिजोरम के लोग असम की सीमा के 10 किलोमीटर अंदर आकर हेलाकांडी में खेती कर रहे हैं. असम के कछार जिले की पुलिस ने वैरेंगटे गांव के आसपास अपने जवान तैनात कर दिए और 29 जून को वहां से मिजो लोगों को हटाकर इलाके पर कब्जा कर लिया.
मिजोरम के कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक वनलालफाका राल्टे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि यह हमला है. उन्होंने कहा, "यह पड़ोसी राज्य द्वारा सीधा हमला है क्योंकि वह इलाका मिजोरम का है. स्थानीय किसानों को वहां से भगाया गया.”
राजनीतिक बयानबाजी
वैरेंगटे में अब भी असम पुलिस तैनात है. असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों की ट्विटर पर बहस भी हो रही है जिसमें दोनों ने गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए अपने अपने दावे किए हैं. मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले पर संज्ञान लेने का आग्रह किया.
उन्होंने लिखा, "कछार होते हुए मिजोरम आ रहे एक निर्दोष दंपती के साथ गुंडों ने मार-पिटाई की. आप इस व्यवहार को कैसे सही ठहराएंगे?”
उधर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जोरामथांगा को जवाब देते हुए लिखा, "कोलासिब एसपी हमसे कह रहे हैं कि जब तक हम अपनी पोस्ट से नहीं हटेंगे, उनके नागरिक बात नहीं सुनेंगे और हिंसा नहीं रुकेगी. ऐसे हालत में कैसे प्रशासन किया जा सकता है? अमित शाह, प्रधानमंत्री कार्यालय, उम्मीद है आप जल्दी ही दखलअंदाजी करेंगे.”
हालांकि बाद में सरमा ने कहा कि उन्होंने जोरामथांगा से बात की है. उन्होंने लिखा, "अभी मुख्यमंत्री जोरामथांगा से बात हुई है. मैंने दोहराया कि असम यथास्थिति और सीमा पर शांति बनाए रखेगा. मैंने जरूरत पड़ने पर आइजोल आकर बातचीत करने की इच्छा भी जताई है.”
पर इस ट्वीट के कुछ ही देर बाद जोरामथांगा ने जवाब दिया, "जैसा कि बात हुई है, मैं आग्रह करता हूं कि नागरिकों की सुरक्षा की खातिर असम पुलिस को वैरेंगटे से हटने का निर्देश दिया जाए.”
असम के ऐसे ही सीमा विवाद अरुणाचल और मेघालय के साथ भी हैं.
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