मानहानि मामले में राहुल गांधी की अपील खारिज
७ जुलाई २०२३राहुल गांधी की अपील को खारिज करते हुए न्यायाधीश हेमंत प्रच्छक ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में गांधी की दोषसिद्धि "न्यायपूर्ण और वैध" है. जज ने यह भी कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना कोई नियम नहीं है और ऐसा सिर्फ दुर्लभ मामलों में ही किया जाना चाहिए.
अदालत ने अपने फैसले में गांधी के खिलाफ चल रहे मानहानि के दूसरे मामलों का हवाला दिया और कहा, "उनके खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं. इस मामले के बाद भी उनके खिलाफ कुछ ताजा मामले दायर किये गए."
क्या कहा अदालत ने
अदालत ने आगे कहा, "जन प्रतिनिधियों को साफ चरित्र का रहना चाहिए. ऐसा एक मामला वीर सावरकर के पौत्र ने पुणे में एक अदालत में दायर किया हुआ है, क्योंकि मुल्जिम ने केम्ब्रिज में सावरकार के खिलाफ मानहानि भरे शब्दों का इस्तेमाल किया."
अदालत ने यह भी कहा कि वैसे भी दोषसिद्धि की वजह से गांधी के खिलाफ कोई अन्याय नहीं हो रहा है, इसलिए मूल आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है. कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा है, "हाई कोर्ट के फैसले ने इस मामले को आगे ले जाने के हमारे संकल्प को दोगुना किया है."
23 मार्च को सूरत की एक स्थानीय अदालत ने मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को दोषी पाया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. उसके बाद गांधी की लोक सभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
क्या है मामला
मामला 2019 में कर्नाटक के कोलार में गांधी द्वारा एक चुनावी सभा के दौरान "सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है" कहने का था. गुजरात में बीजेपी के पूर्व विधायक पूर्णेश मोदी ने इस बयान को लेकर गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर कर दिया था.
उनका आरोप था कि गांधी ने ऐसा कह कर मोदी उपनाम वाले हर व्यक्ति को ठेस पहुंचाई है. चुनावी नियमों के तहत अगर किसी सांसद को किसी मामले में दो साल जेल या उससे ज्यादा कि सजा हो जाती है तो उसकी लोक सभा की सदस्यता अपने आप रद्द हो जाती है, लिहाजा गांधी की सदस्यता भी रद्द कर दी गई.
हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक उनकी पूर्व लोक सभा सीट वायनाड को रिक्त घोषित नहीं किया है. अभी राहुल गांधी के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प बाकी है.