क्या नए देशों को शामिल करने को तैयार है यूरोपीय संघ?
७ अक्टूबर २०२३फरवरी 2022 से यूरोपीय संघ (EU) में नई आम सहमति बनी है. इसमें कहा गया है कि EU का विस्तार करने की जरूरत है. यूरोपीय संघ के जो देश पहले विस्तार को लेकर संशय जताते थे, अब वे इस बात से सहमत हैं कि यूक्रेन, मोल्दोवा और पश्चिमी बाल्कन देशों को भी संघ में शामिल करने के बारे में गंभीरता से सोचने का समय आ गया है.
इस बदलाव की एक बड़ी वजह यूक्रेन पर रूसी हमला है. इससे पहले विस्तार की योजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हुई थीं. EU में शामिल होने की चाहत रखने वाला उत्तरी मैसेडोनिया जैसा देश 2005 से एक उम्मीदवार के तौर पर सिर्फ इंतजार कर रहा है.
अब मानसिकता बदल गई है. जैसा कि यूरोपीय संघ के एक राजनयिक ने कहा, "विस्तार अब एक वास्तविकता है और यह डेढ़ साल पहले नहीं था.” हालांकि, अगर राजनीतिक सहमति को व्यवहारिक रास्ता बनाना है, तो EU को अपना होमवर्क करना होगा.
नाम न छापने की शर्त पर राजनयिक ने बताया, "शामिल होने वाले देशों के साथ बातचीत करने से पहले हमें यह पता लगाना होगा कि एक विस्तृत यूरोपीय संघ वास्तव में कैसा दिखेगा. हमें सवाल पता है, लेकिन उनका जवाब नहीं.”
शक्ति संतुलन बनाना
बातचीत शुरू हो गई है. इस महीने की शुरुआत में फ्रांस और जर्मनी की ओर से नियुक्त किए गए शोधकर्ताओं के समूह ने बड़े संघ की कार्यप्रणाली और रणनीतियों से जुड़े विचारों वाला एक पेपर जारी किया.
बर्लिन स्थित जैक्स डेलर्स सेंटर की सीनियर पॉलिसी फेलो थुय नुयेन उनमें से एक थीं. उन्होंने DW को बताया कि EU के फैसले लेने के तरीके पर फिर से विचार करना राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.
यूरोपीय संघ के उम्मीदवार देशों की आधिकारिक सूची लंबी है. इसमें यूक्रेन, मोल्दोवा, अल्बानिया, मोंटेनेग्रो, बोस्निया और हर्जेगोविना, उत्तरी मैसेडोनिया, सर्बिया और तुर्की शामिल हैं. जॉर्जिया और कोसोवो को भी ‘संभावित उम्मीदवार' माना जाता है.
एक हकीकत यह भी है कि 27 देशों वाले इस संघ को कभी-कभी कोई कदम उठाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. रूस पर प्रतिबंध लगाने जैसी विदेश नीति के लिए सर्वसम्मति की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि बातचीत में कभी-कभी महीनों लग सकते हैं, क्योंकि सदस्य देश यह तय करते हैं कि किन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जाए और किसकी संपत्ति जब्त की जाए.
प्रवासन और शरण जैसे अन्य नीतिगत क्षेत्रों में बदलाव के लिए EU के सदस्य देशों के ‘पर्याप्त बहुमत' की आवश्यकता होती है. इसका मतलब है कि कम से कम 15 देश, जो संघ की 65 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके समर्थन की जरूरत होती है.
फैसले लेने में कैसी दिक्कतें आती हैं?
पिछले हफ्ते इस राजनीतिक अंकगणित की सीमाएं भी दिखीं, जब जर्मनी ने प्रवासन संकट के लिए एक नई नियम पुस्तिका में सुधारों को हरी झंडी दे दी. भूमध्यसागर में आप्रवासियों को बचाने वाले संगठनों की वित्तीय मदद पर जर्मनी और इटली के बीच आखिरी पलों तक मतभेद चलते रहे. लेकिन अंत में दोनों पक्ष डील में शामिल हो गए.
मौजूदा व्यवस्था के तहत 4 करोड़ से अधिक आबादी वाला यूक्रेन EU में राजनीतिक रूप से सबसे शक्तिशाली देशों में से एक बन जाएगा. वहीं मोंटेनेग्रो या अल्बानिया जैसे छोटे-छोटे पश्चिमी बाल्कन देश साथ मिलकर अपनी आवाज उठाएंगे.
नुयेन ने कहा, "जितने अधिक सदस्य देश होंगे, फैसलों को रोकने वाले वीटो पावर वाले देशों का जोखिम उतना ही अधिक बढ़ जाएगा.” कानून के मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोपी देशों को यूरोपीय संघ के फंड को रोकने जैसे राजनीतिक फैसलों के लिए यह और भी कठिन साबित हो सकता है.
इसलिए नुयेन और उनके सह-लेखक सर्वसम्मति को खत्म करने और ‘पर्याप्त बहुमत' वाली वोटिंग हिस्सेदारी को फिर से तय करने का सुझाव देते हैं, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि बड़े यूरोपीय संघ के पास अभी भी ‘फैसला लेने की क्षमता' हो.
हालांकि, ऐसे सुधारों के लिए संघ के मूल कानूनों को फिर से लिखने की जरूरत होगी और उन सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा, जिनकी ताकत नियमों में सुधार की वजह से कम हो जाएगी. जैसा कि नुयेन स्वीकार करती हैं, "मौजूदा समय में राजनीतिक मिजाज समझौते में बदलाव को लेकर काफी अनुकूल नहीं है.”
यूक्रेन अनाज विवाद से बजट में संभावित गिरावट का संकेत
ऐसे में सवाल यह है कि यूरोपीय संघ के फंड को गहरी आर्थिक असमानताओं के दौर में कैसे बांटा जाए. यूरोपीय संघ के अधिकांश उम्मीदवार देशों की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) EU के मौजूदा सबसे गरीब सदस्य बुल्गारिया की तुलना में कम है. जबकि, EU के मौजूदा बजट का लगभग एक-तिहाई हिस्सा कृषि सब्सिडी के लिए आवंटित किया गया है. कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले यूक्रेन के शामिल होने से मौजूदा आवंटन शीट में बड़ा बदलाव आएगा.
पिछले महीने पोलैंड, स्लोवाकिया और हंगरी ने घरेलू उत्पादकों को संभावित कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए यूक्रेनी अनाज पर एकतरफा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. यूरोपीय संघ के पूर्व व्यापार कमिश्नर फिल होगन के मुताबिक यह आगे की कठिन राह दिखाता है.
होगन ने DW को बताया, "यूक्रेन कृषि पर आधारित बड़ा देश है. यूक्रेन के EU में शामिल होने से कृषि से जुड़ी नीति एक बड़ी चुनौती बनने वाली है. बहुत बड़ा संस्थागत बदलाव होगा, बजट में काफी ज्यादा बदलाव होगा और नई स्थिति के मुताबिक नीतियां अपनानी होगी. आपको यूक्रेन की समस्याओं से भी निपटना होगा.”
वह आगे कहते हैं, "यहां तक कि मेरे समय में भी यूक्रेन के साथ कई व्यापार मुद्दों को लेकर संवेदनशीलता थी. कृषि के संबंध में यूक्रेन और यूरोप के बीच तनाव होना कोई नई बात नहीं है. हालांकि, आप कल्पना कर सकते हैं कि पश्चिमी बाल्कन देशों और यूक्रेन सहित अन्य देशों के संघ में शामिल होने से यूरोपीय किसानों के लिए किस तरह की चुनौतियां आ सकती हैं.”
इन तमाम बातों के बावजूद होगन आशावादी हैं. वह कहते हैं, "मैं यूरोपीय संघ के विस्तार और यूरोपीय देशों को संघ में लाने के पक्ष में हूं. अन्यथा वे अलग संघ में जा सकते हैं, जो मुझे पसंद नहीं है. राजनीति संभावनाओं का खेल है. मुझे उम्मीद है कि मौजूदा सदस्य और उनके नागरिक खुद इस बात के लिए आगे बढ़ेंगे कि हमारा पड़ोसी तनाव में न रहे.”
छोटे संघ का अंत
बड़े यूरोपीय संघ के कामकाज के बारे में कई छोटे सवाल हैं, जिनका जवाब तलाशने की जरूरत है. जैसे यूरोपीय संसद में और कितने सांसदों को जगह मिलेगी? यूरोपीय संघ में किन नई भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिलेगा?
आगे आने वाली संभावित कानूनी और राजनीतिक उलझन को देखते हुए कुछ लोग सोचते हैं कि अब संघ की परिभाषा को विस्तृत करने का समय आ गया है. इस सप्ताह यूरोप के नेता यूरोपीय राजनीतिक समुदाय (EPC) की तीसरी बैठक के लिए स्पेन जा रहे हैं, तो व्यापक अंतर-सरकारी व्यवस्था का दृष्टिकोण दिख रहा है.
EPC फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के दिमाग की उपज है. जब उन्होंने पहली बार 2022 में सार्वजनिक रूप से इस विचार को सामने रखा, तो कहा कि यूक्रेन को यूरोपीय संघ में शामिल होने में ‘दशकों' का समय लग सकता है. साथ ही, उन्होंने एक नया समूह बनाने का तर्क दिया, जिससे लोकतांत्रिक यूरोपीय देशों को राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के लिए एक नया मंच मिले.
आज EPC औपचारिक रूप से सिर्फ बातचीत के मंच से ज्यादा कुछ नहीं है. इसकी कोई व्यवस्थित संरचना नहीं है और न ही इसके सदस्य देशों के पास किसी मुद्दे के लिए मतदान से जुड़ा अधिकार या आपसी समझौता है. यह 45 आमंत्रित देशों को बातचीत के लिए एकजुट करता है. इसमें यूरोपीय संघ के सभी देश और उम्मीदवार, EU के बगल में स्थित स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और यूनाइटेड किंगडम जैसे अमीर देश और यहां तक कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी आर्मेनिया और अजरबैजान भी शामिल हैं. हालांकि, रूस इस आमंत्रित सूची में नहीं है.
थुय नुयेन और उनके साथी शोधकर्ताओं के मुताबिक EPC इस बारे में एक उपाय बता सकता है कि अगर यूरोपीय संघ के देश विस्तार के मुद्दे पर सहमत नहीं होते हैं, तो और क्या किया जा सकता है.
उनका सुझाव है कि पूरी तरह से आपस में मेलजोल रखने वाले यूरोपीय संघ के देशों का एक मुख्य ‘आंतरिक गुट' हो सकता है, इसके बाद व्यापक यूरोपीय संघ, फिर ‘सहयोगी सदस्यों' का अलग समूह, जो संघ से जुड़े कुछ फायदे पा सकता है और फिर EPC पर आधारित ‘बाहरी गुट'.
इस ‘बाहरी गुट' के बारे में नुयेन का कहना है कि इसमें शामिल देशों को यूरोपीय संघ के कानूनों का पालन करने की बाध्यता नहीं होगी, बल्कि भू-रणनीतिक विचारों पर आधारित सहयोग शामिल होगा.
क्या 2030 के लिए तैयार है EU?
हालांकि, यह संभावित दृष्टिकोण उतना लोकप्रिय साबित नहीं हो सकता है, क्योंकि कुछ देश इसे यूरोपीय संघ के क्लब में दूसरे दर्जे के नागरिक के तौर पर देखते हैं. यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्मिहाल ने हाल ही में मीडिया संस्थान पोलिटिको को बताया कि उनका देश यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी प्रयास कर रहा है कि वह EU का पूर्ण सदस्य बन जाए.
यूरोपीय आयोग (EC) अक्सर इस बात पर जोर देता है कि संघ में शामिल होने के लिए किसी भी देश को सभी जरूरी शर्तें पूरी करनी होती है और यह प्रक्रिया पूरी होने की कोई तय समयसीमा नहीं है. फिर भी, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने हाल ही में कहा कि संघ को 2030 तक खुद के विस्तार के लिए तैयार हो जाना चाहिए.
थुय नुयेन भी इस दशक के अंत के लक्ष्य का समर्थन करती हैं, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि वास्तव में ऐसा होगा. इस पर उन्होंने कहा, "पहले से अनुमान लगाना मुश्किल है. यह लंबी अवधि की प्रक्रिया है. हम चर्चा और बहस के शुरुआती दौर में हैं.”