यूक्रेन को हथियार भेजने से पीछे क्यों हटा पोलैंड
२३ सितम्बर २०२३पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेउश मोराविएस्की ने घोषणा की है कि उनका देश अब यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा और इसकी जगह पर वे अपने हथियार भंडार के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेंगे. इस घोषणा के बाद ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस सवाल से भर गए कि क्या दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गए हैं?
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले की शुरुआत के बाद से ही पोलैंड यूक्रेन के सबसे बड़े सहयोगियों में से एक रहा है. कील इंस्टीट्यूट का यूक्रेन सपोर्ट ट्रैकर यूक्रेन को विभिन्न देशों की सरकारों से मिली सहायता का आकलन करता है. इसके अनुसार पोलैंड ने अब तक यूक्रेन को करीब 4.27 अरब यूरो की सैन्य, वित्तीय और मानवीय सहायता प्रदान की है. इसके अलावा जब से युद्ध शुरू हुआ है, पोलैंड ने यूक्रेन को और अधिक हथियार भेजने के लिए यूरोपीय संघ के अन्य सदस्यों और नाटो सदस्यों की पैरवी करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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हाल के हफ्तों में पोलैंड की सरकार ने अपने देश के किसानों को सस्ते अनाज और खाद्य आयात की आमद से बचाने की कोशिश में यूक्रेन से होने वाले अनाज के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ खटास आ गई. पड़ोसी देश हंगरी और स्लोवाकिया ने भी पोलैंड की देखा-देखी यूक्रेन के अनाज और कुछ अन्य चीजों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया. इन देशों का तर्क है कि यूक्रेन से सस्ता अनाज और अन्य सामान पश्चिम की ओर जाने के लिए हैं, लेकिन वास्तव में ये स्थानीय स्तर पर बेचे जाते हैं.
रूसी आक्रमण और तलाशे गए विकल्प
रूस द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यस्थता वाले अनाज सौदे को एकतरफा तरीके से समाप्त करने के बाद यूक्रेन को अपने खाद्यान्न को निर्यात करने के लिए वैकल्पिक भूमि स्थल मार्ग खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी सौदे के जरिए यूक्रेन के खाद्य पदार्थों के निर्यात की अनुमति मिली हुई थी.
यूक्रेन स्लोवाकिया को अपने अनाज निर्यात का लाइसेंस देने के लिए गुरुवार को एक अंतरिम सौदा करने में कामयाब रहा. इस बीच यूक्रेन और पोलैंड के कृषि मंत्रियों ने कहा है कि वे एक समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं, जो स्थिति को इस तरह से हल करने में मदद करेगा, जो दोनों देशों के हितों को ध्यान में रखेगा.
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राजनीतिक मंच पर हलचल
बढ़ते विवाद के कारण यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि जब यूक्रेन खाद्यान्न निर्यात के लिए थल मार्गों को संरक्षित करने के लिए काम कर रहा था, उस समय अनाज पर चल रहा 'राजनीतिक रंगमंच' सिर्फ मॉस्को की मदद कर रहा था. जेलेंस्की ने आरोप लगाया कि कुछ यूरोपीय देश सार्वजनिक तौर पर तो एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन परोक्ष रूप से वे ऐसे काम कर रहे थे, जिससे रूस को समर्थन मिलता है.
जवाब में पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन के राजदूत को तलब किया और पोलिश राष्ट्रपति आंद्रेय दूदा ने यूक्रेन को एक ऐसे डूबते हुए आदमी के समान बताया, जो उसे बचाने वाले को ही पकड़ लेता है और फिर उसे पानी की गहराई में खींच लेता है. इसके बाद पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेउश मोराविएस्की ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में घोषणा की कि पोलैंड अब यूक्रेन को हथियार नहीं देगा.
सरकार के प्रवक्ता पियोत्र मुलर ने वारसॉ में सरकारी समाचार एजेंसी पीएपी को बताया, "पोलैंड केवल गोला-बारूद और हथियारों की पहले से तय आपूर्ति ही कर रहा है. हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि युद्ध के पहले महीनों में पोलैंड ने टैंक, बख्तरबंद वाहन, हवाई जहाज और गोला-बारूद की आपूर्ति की थी, जो रूस को यूक्रेन और संभावित रूप से पोलैंड सहित अन्य यूरोपीय संघ के देशों पर हमला करने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण थे.”
बयान की ‘गलत व्याख्या'
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेय दूदा ने बीते गुरुवार को अपनी बात दोहराते हुए तर्क दिया कि यूक्रेन को हथियार मुहैया कराना बंद करने की मोराविएस्की की धमकी की ‘खराब तरीके से व्याख्या की गई.' दूदा ने टीवीएन24 टेलीविजन को बताया, "मेरे ख्याल से प्रधानमंत्री का मतलब था कि पोलैंड यूक्रेन को नए हथियार नहीं भेजेगा, जो हम वर्तमान में खरीद रहे हैं, क्योंकि हम पोलिश सेना का आधुनिकीकरण कर रहे हैं.”
पोलैंड ने हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण कोरिया सहित कई देशों के साथ हथियार सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनके तहत उसने K2 ब्लैक पैंथर' टैंक और K9 हॉवित्जर तोपों का ऑर्डर दिया था. दूदा ने कहा, "जैसे ही हमें अमेरिका और दक्षिण कोरिया से नए हथियार मिलेंगे, हम पोलिश सेना द्वारा वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों को निकाल देंगे. शायद हम इसे यूक्रेन को दे देंगे.”
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संयुक्त राज्य अमेरिका के जर्मन मार्शल फंड के वारसॉ कार्यालय के एक विश्लेषक मार्टा प्रोकविक्ज-जाजोस्का ने DW को बताया कि यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति रोकना पोलैंड के राष्ट्रीय हित में नहीं है. वह कहते हैं, "प्रधानमंत्री की टिप्पणियों से मुख्य रूप से यह संकेत मिलता है कि वे देश की घरेलू हथियारों की आपूर्ति को फिर से पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने के इच्छुक हैं, क्योंकि पोलैंड के पास अब संसाधन नहीं हैं और उसे एक एक बार फिर से हथियार खरीदने की जरूरत है, जिसमें लंबा समय लगने वाला है. लेकिन, यह यूक्रेन को हथियार की आपूर्ति बंद करने के बारे में कोई राजनीतिक घोषणा नहीं है.”
यूक्रेन की मदद जारी रखेगा पोलैंड?
जाने-माने रक्षा विशेषज्ञ मिशल बारानोव्स्की ने समाचार एजेंसी AP को बताया कि पोलैंड ने युद्ध की शुरुआत में यूक्रेन को वह सब दिया, जो वह दे सकता था. जल्द ही आने वाले शिपमेंट की कोई योजना नहीं होने के कारण बारानोव्स्की को निकट भविष्य में यूक्रेन की लड़ने की क्षमताओं को खतरा नहीं दिखता है. फिर भी वह पोलिश प्रधानमंत्री मातेउश मोरावियेस्की की टिप्पणियों को यूक्रेन के लिए परेशान करने वाला मानते हैं, क्योंकि यह टिप्पणी युद्ध में पश्चिमी समर्थन को बढ़ाने वाली है.
बारानोव्स्की कहते हैं, "यह संदेश बहुत बुरा है. न सिर्फ पोलैंड की प्रतिष्ठा के लिए, बल्कि इसलिए भी क्योंकि पोलैंड यूक्रेन को सैन्य सहायता के प्रमुख समर्थकों में से एक रहा है. पोलैंड ज्यादा हथियार नहीं भेजेगा, यह कहने का मतलब है कि पोलैंड अब यह भूमिका नहीं निभा सकता है.” बारानोव्स्की का मानना है कि पोलैंड युद्ध में यूक्रेन की मदद जारी रखते हुए अपनी सेना का आधुनिकीकरण करने में सक्षम है.
महत्वपूर्ण ट्रांजिट देश है पोलैंड
ब्रसल्स स्थित थिंक टैंक यूरोपीय पॉलिसी सेंट्र (EPC) की एक रिसर्च फेलो स्वेतलाना तरन कहती हैं कि यूक्रेन को अपनी आपूर्ति भेजने के अलावा पोलैंड उन हथियारों के लिए भी एक प्रमुख ट्रांजिट देश है, जिन्हें अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश यूक्रेन भेज रहे हैं. वह कहती हैं, "पोलैंड यूक्रेन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण ट्रांजिट सेंटर है और मुझे उम्मीद है कि हालिया बयान, यहां तक कि हथियारों के मामले में भी सिर्फ भावनात्मक थे. यूक्रेन के लिए बड़ी संख्या में हथियार भी पोलैंड से होकर जाते हैं. इस बीच यूक्रेन भी पोलैंड के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, इसलिए वे दोनों एक-दूसरे पर बहुत हद तक निर्भर हैं.”
यूरोपीयन कमीशन के प्रवक्ता पीटर स्टैनो ने दोहराया कि ‘यूक्रेन के संबंध में यूरोपीय संघ की नीति नहीं बदलेगी और यूक्रेन के लिए यूरोपीय संघ का समर्थन दृढ़ रहेगा'. स्टैनो कहते हैं कि यूरोपीय संघ के सभी 27 देश ‘पूरी तरह से यूक्रेन का समर्थन करने' पर सहमत हुए हैं. साथ ही, यह सुनिश्चित करते हुए कि यूक्रेन ‘अपनी क्षेत्रीय अखंडता को बहाल कर सकता है.'
प्रियंका शंकर