इंसान देते हैं पशुओं को ज्यादा वायरस
२७ मार्च २०२४इस अध्ययन के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध सारे वायरसों के जीनोम सीक्वेंसों का निरीक्षण किया गया, जिसके बाद यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. शोधकर्ताओं ने करीब 1.2 करोड़ वायरस जीनोमों का अध्ययन किया और वायरसों के एक प्रजाति से दूसरी में चले जाने के करीब 3,000 उदाहरणों का पता लगाया.
उनमें से 79 प्रतिशत मामलों में वायरस पशुओं की एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में गया था. बाकी 21 प्रतिशत मामलों में इंसान शामिल थे. उन 21 प्रतिशत मामलों में 64 प्रतिशत मामले इंसानों से पशुओं में ट्रांसमिशन के थे, जिसे एंथ्रोपोनोसिस कहा जाता है.
इंसानों का व्यापक असर
36 प्रतिशत मामले पशुओं से इंसानों में ट्रांसमिशन के थे, जिसे जूनोसिस कहा जाता है. एंथ्रोपोनोसिस से प्रभावित पशुओं में कुत्ते और बिल्लियों जैसे पालतू पशु, सूअर, घोड़े और मवेशियों जैसे डोमेस्टिकेटेड पशु, मुर्गियों और बत्तखों जैसे पक्षी, चिम्पांजी, गोरिल्ला और हाउलर बन्दर जैसे प्राइमेट और रैकून, ब्लैक-टफ्टेड मार्मोसेट और अफ्रीकी सॉफ्ट-फर्ड चूहा भी शामिल हैं.
खास कर जंगली पशुओं में इंसानों से पशुओं वाला ट्रांसमिशन होने की काफी ज्यादा संभावना है, ना कि दूसरी दिशा में. इस अध्ययन के नतीजे इसी हफ्ते पत्रिका 'नेचर इकोलॉजी एंड एवोल्यूशन' में छपे.
सेड्रिक टैन इसके मुख्य लेखक हैं और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन जेनेटिक्स इंस्टिट्यूट में कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी के डाक्टरल छात्र हैं. उनका कहना है, "यह इस बात को दिखाता है कि हमारे इर्द गिर्द के पर्यावरण और पशुओं पर हमारा बहुत बड़ा असर है."
इंसानों और पशुओं दोनों में असंख्य माइक्रोब होते हैं जो पास से संपर्क के जरिए दूसरी प्रजातियों में जा सकते हैं. इस अध्ययन में सभी हड्डीवाले समूहों में वायरल ट्रांसमिशन को शामिल किया गया, जैसे स्तनधारी पशु, पक्षी, सरीसृप और मछलियां शामिल हैं.
मिंक को किया था संक्रमित
टैन ने बताया, "वायरस उन्हीं तरीकों से अलग अलग प्रजातियों में प्रवेश कर सकते हैं जो इंसानों पर लागू होते हैं, जैसे संक्रमित फ्लूइड से या दूसरी प्रजाति द्वारा काटे जाने से. लेकिन इससे पहले कि वायरस एक नए होस्ट में प्रवेश करे उसके पास नए होस्ट की कोशिकाओं में घुसने के लिए या तो पहले से बायोलॉजिकल टूलकिट होनी चाहिए या उसे उस होस्ट के मुताबिक गुण हासिल कर लेने होते हैं."
बीती सहस्त्राब्दियों में लाखों लोगों को मारने वाली महामारियों के जिम्मेदार पशुओं से इंसानों में चले जाने वाले वायरस, बैक्टीरिया या फंगस रहे हैं. एड्स, बर्ड फ्लू, "काली मौत" के नाम से जानी जाने वाला 14वीं शताब्दी का ब्यूबोनिक प्लेग, इबोला जैसी बीमारियां इसी श्रेणी में आती हैं.
टैन ने ध्यान दिलाया, "ऐसा माना जाता है कि कोविड-19 महामारी को फैलाने वाला एसएआरएस-सीओवी-2 हॉर्सशू चमगादड़ों से आया था. हालांकि एसएआरएस-सीओवी-2 का संक्रमण इंसाओं द्वारा पालतू मिंकों में फैलने के उदाहरण भी सामने आए थे. एक प्रजाति से दूसरी में फैलने वाले कई ट्रांसमिशन महत्वहीन भी होते हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स)