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सिर्फ भारत और चीन में होगा मजबूत विकासः आईएमएएफ

७ अप्रैल २०२३

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2023 में भारत और चीन के बाहर आर्थिक विकास दर कमजोर रहेगी और ऐसा अगले कई सालों तक जारी रह सकता है.

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पिछले महीने यूक्रेन पहुंची थीं आईएमएफ प्रमुख
पिछले महीने यूक्रेन पहुंची थीं आईएमएफ प्रमुखतस्वीर: Ukraine Presidency/ZUMA Wire/IMAGO

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास दर 3 फीसदी के नीचे रहेगी. कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने गुरुवार को वॉशिंगटन में कहा कि अगले कई साल तक आर्थिक विकास दर कम ही रहेगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल विकास दर ऐतिहासिक रूप से कमजोर है और आने वाले कई साल तक ऐसा रह सकता है. उन्होंने कहा कि इस विकास का आधा हिस्सा सिर्फ चीन और भारत से आ रहा है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक दुनिया के 90 फीसदी विकसित देशों में विकास दर धीमी पड़ रही है और बढ़ती ब्याज दरों का असर मांग पर दिखाई देगा. आने वाले मंगलवार को मुद्रा कोष अपना नया आर्थिक अनुमान जारी करेगा. जनवरी में उसने अनुमान जाहिर किया था कि 2023 में वैश्विक विकास दर 2.9 फीसदी रह सकती है जो कि पिछले साल से करीब 0.5 फीसदी कम होगी. यूक्रेन युद्ध और बढ़ती महंगाई दर को इसकी मुख्य वजह बताया गया था. 2022 में वैश्विक विकास दर 3.4 फीसदी रही थी.

ब्याज दरें बढ़ती रहें

जॉर्जिवा ने कहा, "चूंकि वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ रहा है और मुद्रास्फीति पहले से ही ऊंची दर पर है, तो अर्थव्यवस्था में वापसी अभी नजर नहीं आ रही है.” उन्होंने विभिन्न केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनाई सख्त मौद्रिक नीति की तारीफ की है और कहा कि उन्हें मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए "इसे बनाए रखना चाहिए”.

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हाल ही में बैंकिंग क्षेत्र में मची उथल-पुथल को लेकर आईएमएफ प्रमुख ने कहा, "आज बैंक पहले से ज्यादा मजबूत और सक्षम हैं और नीति-निर्माताओं ने हाल के हफ्तों में तेजी से हालात को संभाला है.” पिछले कई महीनों से केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में लगातार वृद्धि कर रहे हैं. अमेरिका समेत अधिकतर देशों में ब्याज दरें इस वक्त ऐतिहासिक रूप से सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी हैं.

लेकिन फरवरी में अमेरिका के सिलिकन वैली बैंक के धराशायी होने के बाद अधिक ब्याज दरों को लेकर चिंता बढ़ गई है. फिर भी, आईएमएफ चाहता है कि ब्याज दरों में वृद्धि जारी रहनी चाहिए. कोष प्रमुख जॉर्जिवा ने कहा, "हम नहीं चाहेंगे कि इस वक्त मुद्रास्फीति को रोकने के कदमों से पीछे हटा जाए. इस कहीं ज्यादा जटिल और मुश्किल वक्त में उन्हें इस रास्ते पर चलते रहना होगा.”

बैंकों में झटके सहने की क्षमता

बैंकिग क्षेत्र में सबसे बड़ा झटका स्विट्जरलैंड के विशालकाय बैंक क्रेडिट स्विसके बंद होने से लगा, जिसे नियामकों के दखल के बाद अन्य बैंक यूबीएस में मिला दिया गया क्योंकि उसकी वित्तीय सेहत को लेकर चिंता बनी हुई थी. लेकिन जॉर्जिवा ने कहा कि केंद्रीय बैंकों की प्राथमिकता अभी भी मुद्रास्फीति से लड़ना और विभिन्न उपायों के जरिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना होना चाहिए.

आईएमएफ प्रमुख ने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव को भी वैश्विक आर्थिक विकास की राह में बड़ी बाधा बताया. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक आर्थिक फैसले लागत के आधार पर होते रहे हैं लेकिन अब ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा, "आज अमेरिका और कई अन्य देश भी कह रहे हैं वे सप्लाई की सुरक्षा चाहते हैं और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को तरजीह दे रहे हैं. सवाल है कि वे किस हद तक जाते हैं.”

उन्होंने कहा कि बिना विकास की नींव को कमजोर किए भी ऐसा करना संभव है. अपने भाषण में जॉर्जिवा ने कहा कि अगर ऐसा लंबे समय तक जारी रहता है तो आर्थिक उत्पादन के सात फीसदी तक का नुकसान हो सकता है.

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जॉर्जिवा ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात से गरीब देशों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. एक तो कर्ज महंगा हो रहा है और उनके निर्यात की मांग भी कम हो रही है. उन्होंने कहा कि इस कारण गरीबी और भुखमरी बढ़ सकती है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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