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बाइडेन के एशिया दौरे के सबक, ‘कमियां’ भी स्वीकार

१२ सितम्बर २०२३

अमेरिका ने पिछले एक हफ्ते में अपनी कई आपत्तियों को भुलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नयी रणनीति का संकेत दिया है. उसने असहमत देशों से साझीदारियां बढ़ाने की कोशिश की है.

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वियतनाम में जो बाइडेन
वियतनाम में नूयेन चोंग के साथ जो बाइडेनतस्वीर: Luong Thai Linh/AP/picture alliance

पांच दिन लंबे एशिया दौरे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को वियतनाम के हनोई से स्वदेश वापसी के लिए उड़ान भरी. पहले वह भारत गये और वहां से वियतनाम पहुंचे. इस यात्रा के दौरान बाइडेन ने ऐसे देशों के साथ रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश की, जिनके साथ कई बड़े मुद्दों पर गंभीर असहमितयां हैं.

इस यात्रा ने दिखाया कि जबकि यूक्रेन में जारी युद्ध का फिलहाल कोई अंत नजर नहीं आ रहा है लेकिन अमेरिका अन्य साझीदारों के साथ अपने मतभेदों को नजरअंदाज करने का इच्छुक है ताकि भारत-प्रशांत क्षेत्र, मध्य-पूर्व और अन्य क्षेत्रों में स्थिरता को कायम रखा जा सके.

हनोई में संदेश

बाइडेन के एशिया दौरे की समाप्ति हनोई में हुई. वामपंथी वियतनाम के साथ अमेरिका ने एक समग्र रणनीतिक समझौता किया है, जिसके तहत व्यापारिक और अन्य क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी है.

वियतनाम के उद्योगपतियों को संबोधन में बाइडेन ने कहा, "आज मेरा संदेश बहुत साधारण है. आइए, ऐसे ही आगे बढ़ते रहें. हमें अपना सहयोग बढ़ाना और उसे गति देनी है. हमें नयी साझेदारियां तैयार करनी हैं.”बाइडेन ने कहा कि उनकी इन कोशिशों को चीन के इस क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव के बरअक्स ना देखा जाए.

वियतनाम की कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव नाएन फू चोंग के साथ मीडिया से बातचीत के दौरान बाइडेन ने कहा, "मैं चीन को रोकना नहीं चाहता. हम चीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.”

यह बाइडेन के पहले के बयानों से काफी अलग है, जबकि उन्होंने चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा और ‘कभी भी फट सकने वाला टाइम बम' तक बताया था. बाइडेन ने अपने तीन साल के कार्यकाल में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गतिविधियों को लगातार तेज किया है, जिन्हें चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की कोशिशों के रूप में देखा जाता है.

असहमतियों को नजरअंदाज किया

वियतनाम रूस के साथ अपने संबंधों को लगातार मजबूत कर रहा है. ऐसी खबरें हैं कि रूस और वियतनाम एक हथियार समझौता करने जा रहे हैं. यह समझौता अमेरिका द्वारा रूस पर लगाये गये आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंधों का उल्लंघन हो सकता है. अमेरिका अन्य देशों को रूस के साथ हथियार समझौते करने और गोपनीय सूचनाओं को साझा करने से परहेज को कहता है.

ऐसे में वियतनाम और रूस के बीच समझौता बाइडेन के लिए एक असहज स्थिति हो सकती है क्योंकि तब उसे वियतनाम पर प्रतिबंध लगाने जैसे सवालों से जूझना होगा. बाइडेन के मुख्य सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर कहते हैं, "इस बात को मानना जरूरी है कि रूस के साथ वियतनाम के दशकों पुराने सामरिक और रणनीतिक रिश्ते रहे हैं. लेकिन हमें इस बात का भान हो रहा है कि रूस के साथ रिश्तों को लेकर वियतनाम में असहजता लगातार बढ़ रही है.”

वियतनाम के अपने पहले दौरे पर बाइडेन ने कई बड़े व्यापारिक ऐलान किये. इनमें वियतनाम एयरलाइंस के साथ अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग के साढ़े सात अरब डॉलर का समझौता भी शामिल है, जिसके तहत 50 विमान खरीदे जाएंगे. इसके अलावा अमेरिकी कंपनी एमकोर टेक्नोलॉजी वियतनाम में बाक निन प्रांत में 1.6 अरब डॉलर के निवेश से एक फैक्ट्री लगाने का भी ऐलान हुआ है.

इससे पहले नयी दिल्ली में हुए जी20 सम्मेलनमें भी जो बाइडेन ने इसी तरह की व्यवहारिक समझ का परिचय दिया, जहां उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की. ये दोनों ही नेता कई मुद्दों पर अमेरिका को ना कहते रहे हैं और मानवाधिकारों के मुद्दों पर अमेरिका की चिंताओं को नजरअंदाज करते रहे हैं.

सऊदी अरब और भारत से गर्मजोशी

जी20 सम्मेलन के दौरान बाइडेन ने सऊदी प्रिंस बिन सलमान से बहुत गर्मजोशी से मुलाकात की. पिछले एक साल में सऊदी अरब ने चीन और रूसके साथ अपने रिश्तों को काफी आगे बढ़ाया है. पिछले साल ही अमेरिका ने सऊदी अरब को चेतावनी दी थी कि अगर उसने तेल उत्पादन को कम या ज्यादा करने में रूस का साथ दिया तो उसे ‘गंभीर नतीजे' भुगतने होंगे.

पिछले साल जब बाइडेन सऊदी अरब की यात्रा पर गये थे तो तनाव साफ नजर आ रहा था लेकिन नई दिल्ली में जब बाइडेन ने सलमान से हाथ मिलाया तो वह तनाव नजर नहीं आ रहा था. 2020 में जब बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाला तो बिन सलमान से बात करने से ही इनकार कर दिया था.

तब सऊदी अरब पत्रकार जमाल खशोज्जी की हत्या के आरोप झेल रहा था. 2020 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान बाइडेन ने कहा था कि वह चाहते हैं कि सऊदी अरब को अलग-थलग कर देना चाहते हैं और मानते हैं कि उसे "अपने किये की कीमत चुकानी होगी.”

जी20 में बाइडेन ने सऊदी प्रिंस को भारत, मध्य-पूर्व और यूरोपको जोड़ने वाली रेल लाइन बनाने की परियोजना में शामिल होने के लिए धन्यवाद कहा. भारत और सऊदी अरब के अलावा यूएई, जॉर्डन, इस्राएल और यूरोपीय संघ इस परियोजना के हिस्सेदार होंगे जो व्यापार बढ़ाने, ईंधन सप्लाई को सुनिश्चित करने और डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने पर केंद्रित होगी.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)