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मीडियाभारत

माक्रों की भारत यात्रा से पहले फ्रांसीसी पत्रकार को नोटिस

२४ जनवरी २०२४

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के भारत आने से ठीक पहले भारत में एक फ्रांसीसी पत्रकार को मिले नोटिस पर विवाद खड़ा हो गया है. वनेसा डोनियाक को गृह मंत्रालय ने कहा है कि उनका काम भारत के हितों के खिलाफ है.

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भारत
भारत में मीडिया की स्वतंत्रतातस्वीर: Javed Akhtar/DW

वनेसा डोनियाक ने 23 जनवरी को बताया कि दो दशकों तक भारत में रहने के बाद संभव है उन्हें अब देश से निकाल दिया जाए. उनके मुताबिक इसका कारण उनकी पत्रकारिता है, जिसे भारत सरकार के अधिकारियों ने "द्वेषपूर्ण और आलोचनात्मक" बताया है.

डोनियाक पिछले 22 सालों से भारत में हैं और फ्रांसीसी भाषा के कई अखबारों, पत्रिकाओं और वेबसाइटों के लिए कंट्रीब्यूटर के रूप में काम करती हैं. उन्होंने नक्सलवाद समेत कई मुद्दों पर रिपोर्ट किया है. उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के हाल पर भी रिपोर्ट किया था.

 

पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें एक नोटिस भेज कर कहा कि उनका काम भारत के हितों के प्रति "द्वेषपूर्ण" है. नोटिस में कहा गया है, "उनकी पत्रकारिता द्वेषपूर्ण और आलोचनात्मक है...उससे भारत को लेकर भेदभावपूर्ण छवि बनती है...इसके अलावा, उनकी गतिविधियां अशांति भी भड़का सकती हैं और शांति भंग कर सकती हैं." डोनियाक के पति भारतीय नागरिक हैं.

22 सालों से भारत में

मंत्रालय ने डोनियाक की परमानेंट रेसीडेंसी को रद्द करने का फैसला किया है. उनके पास दो फरवरी तक इस आदेश को चुनौती देने का समय है. डोनियाक ने नोटिस में उन पर लगाए गए "सभी आरोपों" का खंडन किया है. उन्होंने एक बयान में कहा, "भारत मेरा घर है, एक ऐसा देश जिसे मैं बहुत प्यार करती हूं और जिसका बहुत आदर करती हूं."

उन्होंने आगे कहा, "मैंने कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया है, जो भारत के हितों के खिलाफ हो." गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया है. डोनियाक फ्रांसीसी मूल की हैं और उन्हें यह नोटिस ऐसे समय पर भेजा गया है, जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों भारत आने वाले हैं.

पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत

माक्रों इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि होंगे. वो 25 जनवरी को भारत पहुंचेंगे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने काफी आगे बढ़ कर भारत को रणनीतिक साझेदार और हथियारों के खरीदार के रूप में लुभाने की कोशिश की है. पिछ्ले साल उनके निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस में बास्टील दिवस के जश्न में शामिल हुए थे.

भारत में मीडिया पर हमले 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि देश में मीडिया की आजादी पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. संवेदनशील विषयों पर काम करने वाले पत्रकारों को अक्सर सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली
नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में मीडिया की स्वतंत्रता पर हमलों के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: Newslaundry

मोदी सरकार पर स्वतंत्र मीडिया का दम घोंटने के आरोप लगते रहे हैं. 2014 में उनके कार्यकाल की शुरुआत के बाद से भारत 180 देशों के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 21 अंक लुढ़क कर 161वें स्थान पर पहुंच गया है. पिछले साल बीबीसी ने 2002 के गोधरा दंगों में मोदी की भूमिका पर सवाल उठाती हुई एक डॉक्यूमेंट्री चलाई थी, जिसके बाद भारत में बीबीसी के दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे.

सीके/वीके (एएफपी)