भारत: अब कॉलेज के छात्र सीखेंगे खुशी के सबक
३० मार्च २०२१उच्च शिक्षा में छात्र रोज नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. खासकर कि कोरोना जैसी महामारी के कारण पैदा हुई नई चुनौतियों के मद्देनजर छात्रों को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना पड़ रहा है. ऐसे में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए आईआईएम जम्मू ने आनंदम सेंटर फॉर हैप्पीनेस की शुरूआत की है. आईआईएम जम्मू में आनंदम सेंटर फॉर हैप्पीनेस का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने किया. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा यह शुरूआत की. इस अवसर पर आर्ट ऑफ लीविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर भी उपस्थित रहे.
इस केंद्र की समसामयिकता पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, "आज की इस गतिशील दुनिया में जहां हम रोज नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. खासकर कि कोरोना जैसी महामारी के कारण पैदा हुई नई चुनौतियों के मद्देनजर सभी को विशेष रूप से छात्रों को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा."
निशंक ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना और उन्हें इसे शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करना, बेहद महत्वपूर्ण है. अपने संदेश में उन्होंने कहा, "आईआईएम जम्मू में आनंद या खुशी पर आधारित यह केंद्र पूरी तरह से मानसिक कल्याण के लिए समर्पित है. यह अपने आप में एक अनूठी पहल है."
जम्मू और कश्मीर के निर्माण और विकास में भारत सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता दी है, जिसके तहत शिक्षा को सुदृढ़ करने हेतु कई प्रयास किए गए हैं. भारत सरकार ने सफापोरा, कठुआ और पूंछ में चार नए व्यवसायी कॉलेज और जम्मू में एक नर्सिंग कॉलेज की स्थापना कर इन्हें चालू कर दिया गया है.
इस सम्पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश में शैक्षिक सुविधाओं की पहुंच और इक्विटी सुनिश्चित करने के लिए, जम्मू और कश्मीर के खुले क्षेत्रों में वर्ष 2018 के दौरान स्वीकृत 50 नए सरकारी डिग्री कॉलेजों को चालू किया गया है. इनमें जम्मू डिविजन में 26 डिग्री कॉलेज और कश्मीर डिविजन में 24 डिग्री कॉलेज शामिल हैं. आईटी सक्षम कक्षाओं, पुस्तकालयों के स्वचालन, ई-लर्निंग प्रदान कर के कॉलेजों में नई पहल शुरू की गई है. इस संबंध में 54 कॉलेजों में डिजिटल इंटरएक्टिव बोर्ड, पुस्तकों की डिजिटल इंडेक्सिंग रखी गई है. इन पहलों का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है.
निशंक ने कहा कि इस बात में बिल्कुल भी संदेह नहीं कि खुश या प्रसन्न व्यक्ति अधिक उत्पादक होते हैं. इसी तरह जब कोई छात्र सकारात्मक ऊर्जा की भावना विकसित करता है, तो उसमें सीखने की ललक, सकारात्मक दृष्टिकोण, दृढ़ संकल्प और सामाजिक जुड़ाव का भी विकास होता है. दरअसल, सच्ची खुशी और सकारात्मकता का स्रोत कहीं दूर नहीं है, बल्कि हमारे भीतर ही मौजूद है.
निशंक ने कहा कि जब हम खुश होकर काम करेंगे तभी हमारी बुद्धि का विकास होगा और हमारे खुशी सूचकांक में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा, "कोविड काल में हमने न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों और परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक संपोषण का ध्यान रखते हुए और उन्हें मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पहल की शुरूआत की थी. आज आनंदम, मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में ही एक नई पहल है."
शिक्षा मंत्री ने आईआईएम जम्मू द्वारा अर्जित की गई उपलब्धियों के बारे में कहा कि आईआईएम जम्मू सभी आईआईएम संस्थानों के मुकाबले सबसे युवा है और यह शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के अलावा, शिक्षार्थियों के समग्र विकास हेतु प्रतिबद्ध है. इस संस्थान ने जम्मू शहर को शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया है और यह संस्थान भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं में बड़े उत्साह एवं जोश के साथ सक्रिय है.
--आईएएनएस