फलस्तीन में भारत के राजदूत की मौत
७ मार्च २०२२आर्या रविवार को रमल्ला स्थित भारतीय दूतावास के अंदर ही मृत पाए गए. अभी तक उनकी मृत्यु के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. वो एक युवा राजनयिक थे और 2008 में ही भारतीय राजनयिक सेवा से जुड़े थे. उन्होंने जून 2021 में फलस्तीन में कार्यभार संभाला था.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनकी मृत्यु के बारे में जानकारी देते हुए एक ट्वीट में उन्हें एक तेजस्वी और प्रतिभावान अधिकारी बताया.
फलस्तीन की सरकार ने एक बयान जारी कर कहा आर्या की मृत्यु पर विस्मय और दुख व्यक्त किया. बयान में यह भी कहा गया कि फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह ने सभी संबंधित विभागों को आर्या की मृत्यु के कारण के बारे में जानकारी हासिल करने के आदेश दिए हैं.
(पढ़ें: तो क्या पेगासस था मोदी और नेतन्याहू की करीबी का कारण)
फलस्तीन से पहले आर्य अफगानिस्तान में भारतीय उच्च आयोग, रूस में भारतीय दूतावास और फ्रांस में यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि मंडल में काम किया था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और सिंगापुर के ली कुआं यू स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई की थी.
फलस्तीन में भारत का पूर्ण दूतावास नहीं है. फलस्तीन में भारतीय मिशन को भारत का प्रतिनिधि कार्यालय और वहां का कार्यभार संभालने वाले भारतीय अधिकारी को भारत का प्रतिनिधि कहा जाता है.
(पढ़ें: इस्राएली रक्षा मंत्री ने की फलस्तीनी राष्ट्रपति से मुलाकात)
भारत ने यह कार्यालय 1996 में गजा में स्थापित किया था. 2003 में इसे गजा से रमल्ला स्थानांतरित कर दिया गया. फलस्तीन का समर्थन भारत की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा रहा है.
1974 में भारत फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) को फलस्तीनी लोगों के एकमात्र और जायज प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाले पहला गैर-अरब देश बन गया था.