भारत में बीटी कॉटन पर किसान कर रहे ज्यादा खर्च
१६ मार्च २०२०अमेरिकी अनुसंधानकर्ता का कहना है कि भारतीय किसान जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) बीटी कॉटन के लिए बीज, उर्वरकों और कीटनाशकों पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं जो चिंताजनक है. अमेरिका के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता ग्लेन डेविस स्टोन ने कहा, "भारत में अब किसान बीज, उर्वरक और कीटनाशक पर अधिक खर्च कर रहे हैं." स्टोन ने कहा, "हमारा निष्कर्ष है कि बीटी कॉटन का प्राथमिक प्रभाव यह होगा कि कृषि संबंधी किसी लाभ के बजाय खेती में पूंजीगत खर्च बढ़ जाएगा."
नेचर्स प्लांट्स नाम की जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, जीएम बीटी कॉटन खुद कीटनाशक पैदा करता है. भारत में इसका बीज 2002 में आया और आज देश में कॉटन की कुल खेती का 90 फीसदी बीटी कॉटन ही है. भारत में सबसे ज्यादा बीटी कॉटन की ही खेती होती है और इसको लेकर बड़ा विवाद बना रहता है.
स्टोन ने कहा, "जाहिर है कि बीटी कॉटन से 2002-2014 के दौरान कॉटन का उत्पादन बढ़कर तीन गुना हो गया लेकिन उत्पादन में सबसे अधिक इजाफा बीज के व्यापक उपयोग से पहले हुआ और इसे अवश्य उर्वरकों के उपयोग में बदलाव और अन्य घातक रोग से जोड़कर देखा जाना चाहिए."
अनुसंधानकर्ता के अनुसार, भारत में कॉटन पर खासतौर से दो कीटों का प्रकोप रहता है जिनमें से बीटी कॉटन पर अमेरिकन बॉलवर्म के प्रकोप का नियंत्रण नहीं हो पाया.
स्टोन ने कहा, "आरंभ में दूसरे पर नियंत्रण किया गया लेकिन कीट ने जल्द ही प्रतिरोधी क्षमता विकसत कर ली और अब यह पहले से कहीं ज्यादा घातक समस्या बन गई है."
आईएएनस
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