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राहुल गांधी की सीट वायनाड में आपस में लड़ रहा है विपक्ष

चारु कार्तिकेय
११ अप्रैल २०२४

इन लोकसभा चुनावों में विपक्ष के आपसी मतभेद सबसे ज्यादा केरल की वायनाड लोकसभा सीट में नजर आ रहे हैं. इस सीट पर सीपीआई की ऐनी राजा राहुल गांधी के खिलाफ लड़ रही हैं, जबकि दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं.

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राहुल गांधी, ऐनी राजा
राहुल गांधी, ऐनी राजातस्वीर: Sanjeev Verma/Sonu Mehta/Hindustan Times/picture alliance/IMAGO

यूं तो विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन में शामिल कई पार्टियां कई राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ ही लड़ रही हैं, लेकिन इस झगड़े में वायनाड की जगह अलग ही है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व करते हैं.

2019 में उन्होंने यह सीट लगभग 65 प्रतिशत वोट प्रतिशत से जीती थी. सीपीआई 2019 में भी यहां से उनके खिलाफ लड़ी थी, लेकिन तब सीपीआई के प्रत्याशी पीपी सुनीर राहुल गांधी से चार लाख मतों से भी ज्यादा के अंतर से हार गए थे.

वाम मोर्चे की वरिष्ठ नेता

मार्च, 2023 में सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मुकदमे में दोषी ठहराए जाने के बाद गांधी की लोकसभा की सदस्यता ही चली गई थी, लेकिन उन्होंने इस फैसले को चुनौती दी. अगस्त, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल की.

'इंडिया' गठबंधन
'इंडिया' गठबंधन एक एकजुट खेमे की तस्वीर पेश नहीं कर पा रहा हैतस्वीर: Indian National Congress

वह दोबारा वायनाड से ही चुनाव लड़ेंगे यह भी काफी पहले ही स्पष्ट हो गया था, लेकिन इसके बावजूद वाम मोर्चे ने ऐनी राजा के रूप में राष्ट्रीय स्तर के अपने सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक को उनके खिलाफ चुनाव लड़वाने का फैसला किया.

मूल रूप से केरल के कन्नूर जिले की रहने वाली ऐनी सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारणी की सदस्य हैं और पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं. वह सीपीआई की ही संस्था 'नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमिन' की महासचिव भी हैं.

वायनाड तुलनात्मक रूप से एक नई लोकसभा सीट है, जिसे 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले बनाया गया था. तब से यह सीट कांग्रेस के ही पास है. 2009 और 2014 में कांग्रेस नेता एमआई शनवास यहां से सांसद चुने गए.

कांग्रेस का 'गढ़'

हालांकि यह अकेली सीट नहीं है जहां सीपीआई कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के सदस्य के रूप में पार्टी केरल में चार सीटों पर लड़ रही है, जिसमें तिरुवनंतपुरम भी शामिल है, जहां से कांग्रेस नेता शशि थरूर लगातार तीन बार जीत चुके हैं और चौथी बार लड़ रहे हैं.

राहुल गांधी का जादू कितना चलेगा

'इंडिया' गठबंधन में सिर्फ यही दो पार्टियां नहीं हैं जिनका तालमेल पूरी तरह से बैठ नहीं पाया है. कांग्रेस और 'आप' भी दिल्ली और हरियाणा में तो मिल कर लड़ रही हैं लेकिन पंजाब में दोनों एक दूसरे के खिलाफ हैं.

पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस मिल कर नहीं लड़ रही हैं. जम्मू और कश्मीर में भी कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस तो एक साथ लड़ रही हैं, लेकिन 'इंडिया' की सदस्य पार्टी पीडीपी उनके साथ नहीं है. देखना होगा कि इस तरह के विरोधाभास का विपक्ष के प्रदर्शन पर क्या असर पड़ता है.