राहुल गांधी की लोक सभा सदस्यता बहाल
७ अगस्त २०२३4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी. इसके बाद राहुल की संसद की सदस्ता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया था. करीब चार महीने बाद राहुल गांधी सोमवार को दोबारा बतौरा सांसद संसद में पहुंचे.
सदस्यता बहाली के बाद जब राहुल गांधी पहली बार संसद पहुंचे तो कांग्रेस के सांसदों ने नारे नारे लगाते हुए उनका स्वागत किया. संसद परिसर में उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा को नमन किया और उसके बाद लोक सभा में जाकर अपनी सीट पर बैठ गए.
4 अगस्त को जब सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिली थी तभी लोक सभा में कांग्रेस के नेता ने तत्काल उनकी सदस्यता बहाली को लेकर लोक सभा सचिवालय से संपर्क किया था. कांग्रेस ने सदस्यता बहाली में देरी को लेकर भी कई सवाल उठाए थे.
"बिना देरी किए सदस्यता बहाल की"
सोमवार को लोक सभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता बहाली की अधिसूचना जारी की. जिसके बाद कांग्रेस मुख्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया.
मानहानि मामले में राहुल गांधी की अपील खारिज
सदस्यता बहाली को लेकर देरी के मुद्दे पर कांग्रेस के सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हर मुद्दे पर अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करती है.
उन्होंने कहा, "शुक्रवार (जिस दिन फैसला आया) के बाद शनिवार और रविवार था इसलिए स्पीकर ने आज फैसला लिया है. इसमें क्या हो गया है. ऐसा तो बाकी सांसदों के साथ भी हुआ है. जो कानूनी प्रक्रिया है, हमने बिना देरी किए उसका पालन किया है. आदेश की कॉपी मिलते ही तुरंत सदस्यता बहाल कर दी."
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी की सदस्यता बहाली को लेकर अधिसूचना जारी होते ही कई कांग्रेसी नेताओं ने ट्वीट कर इसका स्वागत किया. वहीं कांग्रेस मुख्यालय के बाहर उत्साहिसत कार्यकर्ताओं ने पटाखे जलाए.
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर फैसले को स्वागतयोग्य कहा. उन्होंने लिखा, "यह भारत के लोगों और खासकर वायनाड के लोगों के लिए बड़ी राहत है. बीजेपी और मोदी सरकार को अपने कार्यकाल का जो भी समय बचा है, उसका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय वास्तविक शासन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
23 मार्च को सूरत की एक स्थानीय अदालत ने मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को दोषी पाया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. उसके बाद गांधी की लोक सभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी के नेता पुर्नेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था. जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें 23 मार्च 2023 को दोषी पाया और दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद 7 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट ने सजा बरकरार रखी थी. जिसके खिलाफ राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और उन्हें वहां से राहत मिली थी.
राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला 2019 में कर्नाटक के कोलार में दिए गए बयान से जुड़ा है. उन्होंने चुनावी सभा के दौरान कहा था "सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है."
इसी हफ्ते विपक्षी दल "इंडिया" द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी और देखना होगा कि मणिपुर का दौरा कर लौट चुके राहुल गांधी किस तरह से वहां के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हैं.