मिड डे मील में नमक रोटी की खबर बताने वाले पत्रकार की मौत
६ मई २०२२साल 2019 में स्वतंत्र पत्रकार पवन जायसवाल ने मिर्जापुर के एक प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने का मामला उजागर किया था. उनके द्वारा बनाया गया वीडियो काफी चर्चित हुआ था और कई मीडिया संस्थानों ने इस पर खबर भी छापी थी. हालांकि, मिड डे मील में नमक रोटी की रिपोर्ट दुनिया के सामने लाने के बाद प्रशासन की ओर से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. साथ ही, पवन जायसवाल के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया था.
2 अगस्त 2019 को जायसवाल ने जमालपुर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय सिउर में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की तस्वीर दुनिया के सामने लाई थी. जिला प्रशासन ने जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज कराया, हालांकि खबर के बाद प्रशासन ने स्कूल के प्रभारी शिक्षक और ग्राम पंचायत में पर्यवेक्षक को तुरंत निलंबित कर दिया था.
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जायसवाल पर मामला दर्ज करने के बाद कई पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. जांच के बाद जायसवाल को क्लीन चिट दे दी गई थी. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. प्रेस काउंसिल के दखल के बाद मिर्जापुर पुलिस ने केस से जायसवाल का नाम हटा दिया था.
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कैंसर से हार गया युवा पत्रकार
पवन जायसवाल को मुंह का कैंसर था और एक करीब एक महीने पहले ही उन्होंने अपने इलाज के लिए फंड की अपील की थी. उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को ट्विटर पर टैग कर मदद की अपील की थी. जायसवाल की मदद कुछ नेताओं और पत्रकारों ने जरूर की लेकिन वह नाकाफी साबित हुई.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि उनके पास रोज की दवाई खरीदने तक के पैसे नहीं थे. जायसवाल का इलाज वाराणसी के एक अस्पताल में चल रहा था. रिपोर्टों के मुताबिक पवन का दोबारा ऑपरेशन का खर्च करीब डेढ़ लाख आया था जबकि इससे पहले उनके चार लाख रुपये खर्च हो चुके थे.
जायसवाल ने मदद के लिए 11 अप्रैल को ट्वीट किया था उसमें उन्होंने लिखा था, "जिंदगी में हमने ईमानदारी की पत्रकारिता की है, नमक रोटी बच्चों को खिलाई जा रही थी, उसका खुलासा हमने किया. लेकिन अब हमारी उम्मीद छूट रही है. इस वक्त हमें पैसे की आवश्यकता है, इलाज के लिए. हम कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं. कृपया मदद करें."