हिजाब बैन: मुस्लिम संगठनों ने फैसले के खिलाफ बंद बुलाया
१७ मार्च २०२२हाईकोर्ट के फैसले से नाराज कर्नाटक के मुस्लिम संगठनों ने स्वैच्छिक बंद का ऐलान किया है. मुस्लिम संगठन अमीर-ए-शरियत ने इस बंद का ऐलान किया है. अमीर-ए-शरियत के मौलाना सगीर अहमद रशदी ने कहा, "मैं सभी मुसलमानों से अपील करता हूं कि वे आदेश को ध्यान से सुनें और इसे सख्ती से लागू करें." मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने पर अपना फैसला सुनाया था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब इस्लाम के अनिवार्य धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं है और इस तरह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है.
हिजाब पहनने को लेकर अड़ी हैं छात्राएं
इस बीच मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि कर्नाटक के उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज की छह छात्राएं याचिका खारिज होने के बाद कक्षाओं में नहीं गईं और परीक्षाएं नहीं दीं. छात्राएं अपने रुख पर अड़ी रहीं कि वे बिना हिजाब के कॉलेज में दाखिल नहीं होंगी. उन्होंने ऐलान किया है कि वे इसको लेकर कानूनी लड़ाई जारी रखेंगी.
कहीं स्वागत तो कहीं विरोध, हिजाब बैन पर तेज हुई राजनीतिक जंग
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि छात्राएं हिजाब को लेकर जिद छोड़ दें और शिक्षा पर ध्यान दें. बुधवार को उडुपी, चिकमंगलुरू, शिवमोगा जैसे स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए.
वहीं कर्नाटक के होसपेट में कुछ सरकारी शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक दीवारों पर हिजाब के समर्थन में नारे लिखे गए, जिसे बाद में स्कूल प्रशासन की शिकायत के बाद मिटा दिया गया. रिपोर्टों के मुताबिक दीवारों पर हिजाब के समर्थन पर नारे लिखने पर तीन थानों में शिकायत दर्ज की गई है.
हिजाब पर विवाद और मुस्लिम पहचान का सवाल
बैन से नाखुश पाकिस्तान
दूसरी ओर हिजाब विवाद पर पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "पाकिस्तान भारतीय राज्य कर्नाटक के हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करता है जिसमें मुस्लिम लड़कियों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है. यह फैसला स्पष्ट रूप से धार्मिक प्रथाओं की स्वतंत्रता के सिद्धांत को बनाए रखने में विफल रहा है. यह मानवाधिकार का हनन है."
बयान में आगे कहा गया, "यह फैसला मुसलमानों के खिलाफ जारी मुहिम का गिरा हुआ स्तर है. क्योंकि इस अभियान के तहत मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए धर्मनिरपेक्षता की आड़ ली जा रहा है."
इस बीच हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और तत्काल सुनवाई की मांग की गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह मामले की सुनवाई के लिए होली बाद विचार कर सकता है.