चीनी कंपनी ने भारत सरकार की जासूसी कीः लीक दस्तावेज
२२ फ़रवरी २०२४एक निजी कंपनी आई-सून के गोपनीय दस्तावेज बड़ी संख्या में इंटरनेट पर लीक हो गए हैं. इन दस्तावेजों से कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं. दस्तावेजों के अध्ययन के बाद विश्लेषकों ने कहा है कि इस कंपनी ने ना सिर्फ चीनी लोगों की जासूसी की बल्कि कई देशों की सरकारों के नेटवर्क में भी सेंध लगाई थी.
आई-सून एक टेक कंपनी है जो चीन की सरकारी परियोजनाओं के ठेके लेती है. साइबर सिक्यॉरिटी कंपनियों सेंटिनेललैब्स और मालवेयरबाइट्स ने लीक हुए दस्तावेजों के अध्ययन के बाद कहा है कि आई-सून के हैकर कई सरकारों के नेटवर्क में सेंध करने में कामयाब हुए थे.
भारत में भी जासूसी
इन कंपनियों के विश्लेषकों के मुताबिक आई-सून के हैकरों ने हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक संगठनों, पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन नाटो और कई विश्वविद्यालयों के खाते हैक किए. लीक हुए दस्तावेज किसी अज्ञात व्यक्ति ने पिछले हफ्ते गिटहब वेबसाइट पर साझा कर दिए थे.
सेंटिनेललैब्स ने कहा, "लीक हुए दस्तावेज चीन की साइबर-जासूसी व्यवस्था के बारे में अब तक की सबसे ठोस जानकारियां उपलब्ध कराते हैं और दिखाते हैं कि कैसे यह पूरी व्यवस्था और मजबूत होती जा रही है.”
जो दस्तावेज लीक किए गए हैं उनमें लोगों के बीच की आपसी चैट, कंपनी की प्रेजेंटेशन और शिकार किए जाने वालों की सूचियां शामिल हैं. मालवेयरबाइट्स ने कहा कि आई-सून ने भारत, थाईलैंड, वियतनाम और दक्षिण कोरिया समेत कई देशों की सरकारों की जासूसी की थी.
इस बारे में आई-सून ने कोई बयान नहीं दिया है. उसकी वेबसाइट के मुताबिक कंपनी का मुख्यालय शंघाई में है जबकि बीजिंग, सिचुआन, जियांग्सू और जेजियांग में भी उसके दफ्तर हैं.
यह कंपनी अपने संभावित ग्राहकों को जो सेवाएं उपलब्ध कराती है, उनमें किसी के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स को हैक करना, उनकी गतिविधियों की निगरानी करना, उनके निजी मेसेज पढ़ना और पोस्ट भेजना शामिल हैं.
हर तरह की हैकिंग
लीक हुए दस्तावेजों से पता चलता है कि हैकर किस तरह किसी व्यक्ति के निजी कंप्यूटर को कहीं दूर बैठे-बैठे ही अपने नियंत्रण में ले सकते हैं और वे ना सिर्फ यह देख सकते हैं कि कंप्यूटर पर क्या गतिविधि हो रही है बल्कि वे खुद भी उसमें बदलाव कर सकते हैं.
कंपनी जो सेवाएं उपलब्ध करवा रही थी उनमें एप्पल आईफोन और अन्य स्मार्ट फोन के साथ साथ पावर बैंक जैसे हार्डवेयर को हैक करना भी शामिल है. ये हैकर किसी एक डिवाइस से डेटा चुराकर अन्य डिवाइस को भेज सकते थे.
लीक हुए हुए दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि आई-सून चीन के शिनजियांग इलाके में सरकारी परियोजनाओं के ठेके पाने की कोशिश कर रही थी. चीन का यह वही मुस्लिम बहुत इलाका है जिसे लेकर शी जिनपिंग सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं.
सेंटिनेललैब्स ने कहा, "कंपनी ने आतंकवाद से जुड़े कई निशानों की भी सूची बना रखी थी, जिन्हें वह पहले हैक कर चुकी थी. इनमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान स्थित आतंकरोधी केंद्रों के दफ्तर शामिल थे.”
कौन बड़ा जासूस
ये दस्तावेज बताते हैं कि वियतनाम के किसी मंत्रालय में सेंधमारी कर हैकर 55 हजार डॉलर यानी लगभग 45 लाख रुपये तक कमा सकते थे.
मालवेयरबाइट्स में शोधकर्ता पिएटर आरंत्स कहते हैं कि इस लीक से कुछ हलचल तो जरूर होगी. उन्होंने कहा, "यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बदलाव का कारण बन सकता है और कई देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा में मौजूद कमियों को उजागर कर सकता है.”
अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के मुताबिक चीन के पास किसी भी अन्य देश से बड़ा हैकिंग प्रोग्राम है. हालांकि चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अमेरिका को अपने साइबर जासूसी के इतिहास में झांकना चाहिए.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)