भूकंप के दौरान ना ढहने वाली इमारतें कैसे बनायी जाएं?
१६ सितम्बर २०२३दुनिया में हर साल भूकंप की वजह से हजारों लोगों की मौत होती है. हालांकि, सबसे अहम बात यह है कि भूकंप के दौरान हिलती हुई जमीन मौत की मुख्य वजह नहीं होती, बल्कि ढहती दीवारें और इमारतें मौत की मुख्य वजहें हैं. मोरक्को में भी यही हुआ. 8 सितंबर 2023 की रात को एटलस पर्वतमाला के नीचे भूकंप आया. इसका केंद्र लोकप्रिय पर्यटन स्थल मराकेश से लगभग 75 किलोमीटर दूर था. भूकंप की तीव्रता 6.8 थी. इससे पूरे इलाके की जमीन हिल गई.
भूकंप के बाद के कई वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं. इनमें दिख रहा है कि घबराए हुए लोग संकरी गलियों से भाग रहे हैं, क्योंकि इमारतें मलबे में तब्दील हो रही हैं. वीडियो में डरे हुए लोग और तबाह हुई संपत्ति का दर्दनाक मंजर दिख रहा है.
मोरक्को के गृह मंत्री ने बीते मंगलवार को कहा कि भूकंप के बाद ऑफ्टर इफेक्ट की वजह से अब तक 2,901 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, 5,500 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है, क्योंकि अधिकारी एटलस पहाड़ के आस-पास बसे गांवों में इमारतों के नीचे फंसे लोगों को बचाने में जुटे हुए हैं. पिछली बार मोरक्को में इसी तरह का भूकंप 1960 में अदागिर शहर में आया था और उस वक्त 12,000 लोगों की मौत हुई थी.
भूकंप के दौरान क्यों ढह जाती हैं इमारतें?
मोरक्को में 8 सितंबर को आए भूकंप में मरने वालों की संख्या, घटना के समय की वजह से ज्यादा हो गई है. दरअसल, यह भूकंप आधी रात के करीब आया. उस समय ज्यादातर लोग अपने घरों में सो रहे थे. दूसरी ओर विशेषज्ञों का कहना है कि आपदा-रोधी बुनियादी ढांचे की कमी और खराब सिटी-प्लानिंग, लोगों की मौत के पीछे की बड़ी वजह हो सकती है.
अमेरिका में नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के प्रोफेसर मेहरदाद ससानी के अनुसार, मोरक्को के कई हिस्सों में घर बनाने के लिए पारंपरिक तरीके अपनाए जाते हैं. वहां के पुराने मकानों को आपदा झेलने के हिसाब से तैयार नहीं किया गया था. इसलिए, वे इतने बड़े पैमाने पर आए भूकंप को नहीं संभाल सकते.
भूकंप से बिखरे मोरक्को को विदेशी सहायता पर शक
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मोरक्को में एक बड़ी समस्या है कि यहां निर्माण कार्यों के लिए मिट्टी की ईंट का इस्तेमाल की जाती है और इस तरह से चिनाई की जाती है जिसमें मजबूती नहीं होती. मोरक्को में कंक्रीट, बजरी और मिट्टी जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल निर्माण के दौरान किया जाता है, क्योंकि इससे लोगों को चिलचिलाती गर्मी में राहत मिलती है. ये घर लोगों को ज्यादा गर्मी से बचा लेते हैं, लेकिन भूकंप के झटके को बर्दाश्त नहीं कर सकते.
यूएस रेजिलिएन्स काउंसिल के मुताबिक, "कठोर निर्माण और जमीन के तेज झटकों की ऊर्जा को अवशोषित करने की सीमित क्षमता के कारण, इन संरचनाओं के ढहने का खतरा होता है. दुनिया भर में भूकंप के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान कठोर कंक्रीट की इमारतों के कारण होता है.” इसी तरह की समस्याओं के कारण 2023 में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से काफी ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ.
इमारतों को भूकंप-रोधी कैसे बनाएं?
यह पूरी तरह सच है कि भूकंप को नहीं रोका जा सकता, लेकिन इमारतों के निर्माण के तरीके को बदलकर भूकंप आने और उसके बाद के झटकों के दौरान होने वाली मौतों और नुकसान को कम किया जा सकता है.
ससानी ने कहा, "कीचड़ और बजरी वाली संरचनाओं को भूकंप-रोधी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है, जैसे कि उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल करना, बेहतर कारीगरी और मकान का बेहतर डिजाइन. मिट्टी और बालू के संतुलित मिश्रण का इस्तेमाल करने और पुआल शामिल करने से सूक्ष्म दरारों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.”
हालांकि, इस संरचना को बांस या स्टील जैसी लचीली सामग्री से बने फ्रेम का इस्तेमाल करके मजबूत बनाना चाहिए. उदाहरण के लिए, स्टील टूटने से पहले काफी ज्यादा झुक जाता है. इससे बड़ी इमारतें भूकंप के झटके को बर्दाश्त कर लेती हैं. भूकंप के सबसे ज्यादा जोखिम वाले इलाके में शामिल जापान में 1923 से ही इमारतों को भूकंप-रोधी बनाने के लिए स्टील का इस्तेमाल किया जा रहा है.
भूकंप-रोधी इमारतें बनाने के लिए नई खोज
मोरक्को में हालिया भूकंप की वजह से हुए नुकसान को देखते हुए बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि भूकंप-रोधी इमारतें बनाने के लिए कौन-से नए तरीके अपनाए जा सकते हैं.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का सुझाव है कि इमारतों के निर्माण के दौरान ‘बेस आइसोलेशन' सिस्टम का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे स्प्रिंग्स या रनर का इस्तेमाल करके, इमारत को उसकी नींव से अलग किया जा सकता है. फोरम का कहना है, "इसका फायदा यह होगा कि भूकंप आने पर, इमारत की संरचना पर दबाव नहीं बढ़ेगा.” जापान और चिली में इमारतों के निर्माण के दौरान इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
हालांकि, ऐसे इमारतों के निर्माण की लागत अक्सर ज्यादा होती है. इसलिए, अन्य देश भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कम लागत वाली असरदार तरीके की तलाश कर रहे हैं.
नेपाल में भी बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. इसलिए, वहां निर्माण के दौरान पुआल की गांठें, इस्तेमाल हो चुके टायर, प्लास्टिक की बोतलें जैसी सस्ती सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीकी हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड 3-डी प्रिंटिंग तकनीक से कंक्रीट वाले घरों का निर्माण करेगा. इससे घर बनाने की लागत भी कम होगी और यह भूकंप-रोधी भी होगा.
भूकंप के दौरान इमारतों के ढहने से सबसे ज्यादा नुकसान होता है. इसलिए, स्मार्ट बिल्डिंग इंजीनियरिंग लागू करने से न सिर्फ इमारतों और बुनियादी ढांचे को ढहने से बचाया जा सकेगा, बल्कि लोगों की जान भी बचेगी.