भारतीय बाजार के लिए लोकल और ग्लोबल अरबपति में टक्कर
२२ जून २०२३रिलायंस जियो ने 2016 में भारत के टेलिकॉम बाजार में कदम रखते ही ग्राहकों को मुफ्त डाटा बांटना शुरू किया. साल भर के भीतर मुकेश अंबानी की कंपनी ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और बीएसएनएल जैसे जमे जमाए बड़े खिलाड़ियों को पीछे छोड़ बाजार पर दबदबा बना लिया. आज जियो के पास 43.9 करोड़ ग्राहक हैं. भारत भर में उसके 80 लाख ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं.
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लेकिन अब एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी का सामना दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में शुमार इलॉन मस्क से होने जा रहा है. न्यूयॉर्क में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मस्क ने कहा कि वह भारत में स्टारलिंक सर्विस लॉन्च करने को बेताब हैं. टेस्ला के संस्थापक मस्क के मुताबिक सैटेलाइट से ब्रॉडबैंड सर्विस देने वाली उनकी कंपनी भारत के सुदूर गांवों को तेज इंटरनेट से जोड़ सकती है. मस्क मानते हैं कि दुर्गम गांवों को "इससे बहुत बड़ी मदद मिलेगी."
रिलायंस जियो के करोड़ों ग्राहकों की जानकारी लीक
इलॉन मस्क ने यह नहीं बताया कि स्टारलिंक की सीधी टक्कर मुकेश अंबानी से होने जा रही है. असल में भारत सरकार सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम नीलाम करना चाहती है. लेकिन मस्क कोशिश कर रहे हैं कि मोदी सरकार नीलामी के बजाए ग्लोबल ट्रेंड फॉलो करे और स्पेक्ट्रम लाइसेंस बांट दे. मस्क का तर्क है कि ऐसा करने से तमाम कंपनियां संसाधनों को साझा कर सकेगी. वो मानते हैं कि नीलामी से कंपनियां भौगोलिक सीमाओं में बंध जाएंगी. इससे लागत बढ़ेगी.
जियो की घबराहट की वजह
रिलायंस, स्टारलिंक की इस मांग का विरोध कर रही है. जियो कनेक्शन देने वाली कंपनी की मांग है कि सरकार सार्वजनिक रूप से नीलामी कराए. रिलायंस का कहना है कि विदेशी सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर, स्थानीय टेलिकॉम प्लेयरों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, लिहाजा निष्पक्षता के खातिर नीलामी होनी चाहिए.
रिलायंस और स्टारलिंक के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है. भारतीय टेलिकॉम उद्योग के एक सूत्र के मुताबिक, रिलायंस भारत सरकार पर सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए दबाव डालती रहेगी. वह पूरी कोशिश करेगी कि भारत सरकार विदेशी कंपनियों की मांग न माने.
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मस्क के लिए बहुत कुछ दांव पर है. वह 2021 से भारत में स्टारलिंक कनेक्शन देने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान मस्क ने भारत में टेस्ला की फैक्ट्री लगाने पर चर्चा की.
दूसरी तरफ अंबानी जानते हैं कि दिग्गज विदेश प्लेयरों के आंगन में आने से उनके कारोबार को भी मुश्किलें होंगी. नीलामी के मामले में स्टारलिंक, एमेजॉन सैटेलाइट इंटरनेट इनिशिएटिव और ब्रिटिश सरकार के समर्थन वाली कंपनी वनवेब की एक जैसी राय है.
नीलामी बनाम लाइसेंसिंग
भारत के इंटरनेट बाजार के लिए प्रतिपर्धा कर रही 64 कंपनियों में से 48 ने लाइसेंसिंग का समर्थन किया है. 12 नीलामी के पक्ष में हैं और चार न्यूट्रल स्टैंड वाली हैं.
भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री के एक और भीतरी सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि रिलायंस को डर है कि विदेशी दिग्गजों की वजह से भारतीय कंपनियों को मुश्किल होगी. भारत के ई-कॉमर्स बाजार में अंबानी की रिटेल कंपनी एमेजॉन से पिछड़ चुकी है. रिलायंस को डर है कि ब्रॉडबैंड सेक्टर में भी यही हाल न हो.
बाजार की समीक्षा करने वालों का अनुमान है कि 2030 तक भारत का ब्रॉडबैंड बाजार 1.9 अरब डॉलर का हो जाएगा. फिलहाल यह 36 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से आगे बढ़ रहा है.
स्टारलिंक का कहना है कि दुनिया भर के 84 देशों में उसकी सेवाओं को मंजूरी मिल चुकी है. उसके पास 15 लाख एक्टिव यूजर्स हैं. एमेजॉन भी 2024 में ऐसी सैटेलाइटों का पहला सेट लॉन्च करने जा रही है.
विदेशी कंपनियों का डर
सैटेलाइट से इंटरनेट मुहैया कराने वाली विदेशी कंपनियों को आशंका है कि भारत में स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई तो दूसरे देश भी यही रास्ता अपना सकते हैं. नीलामी का मतलब होगा, ज्यादा निवेश. एक सूत्र ने रॉयटर्स से कहा कि अगर भारत ने नीलामी की तो वनवेब तो रेस से बाहर ही जाएगी.
स्टारलिंक आगे की रणनीति के लिए भारत सरकार के निर्णय का इंतजार कर रही है. अमेरिका की कंसल्टेंसी फर्म टीएमएफ एसोसिएट्स के टिम फैरर के मुताबिक अगर स्टारलिंक ने नीलामी में भारत के राइट्स खरीदे तो उसे दूसरे देशों को भी जवाब देना पड़ सकता है. फिलहाल कई देशों में स्टारलिंक के पास बहुत कम कीमत वाला लाइसेंस है.
फैरर कहते हैं, "मुझे लगता है कि स्टारलिंक दूसरी जगहों पर हाई प्रोफाइल फीस ऑफर करेगी, ताकि वो दिखा सके कि भारत किस चीज को मिस कर रहा है."
ओएसजे/सीके (रॉयटर्स)