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राजनीतिनेपाल

नेपाल चुनाव में भारत-विरोधी दिखने से बच रहे हैं ओली

४ नवम्बर २०२२

नेपाल के मुख्य विपक्षी दल के नेता केपी शर्मा ओली का कहना है कि अगर वह दोबारा सत्ता में आते हैं तो भारत और चीन के बीच संतुलन बनाकर चलने की कोशिश करेंगे. नेपाल में इस महीने आम चुनाव होने हैं.

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नेपाल चुनाव में भारत विरोधी माने जाने वाले केपी शर्मा ओली आगे चल रहे हैं
नेपाल चुनाव में भारत विरोधी माने जाने वाले केपी शर्मा ओली आगे चल रहे हैंतस्वीर: Aryan Dhimal/imago images/ZUMA Wire

भारत और चीन के बीच खींचतान का शिकार रहने वाले वाले नेपाल में चुनाव हो रहे हैं और इन दोनों पड़ोसियों से संबंध अहम मुद्दा है. मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता और दो बार प्रधानमंत्री रह चुके केपी शर्मा ओली ने कहा है कि उनकी सरकार दोनों पड़ोसियों के बीच संतुलन कायम करने का प्रयास करेगी.

ओली ने कहा, "वे (भारत और चीन) बड़ी शक्तियां हैं. हमारी नीति निष्पक्षता और तटस्थता की है और हम उसे ही लागू करेंगे.”

भारत नेपाल का का सबसे बड़ा आर्थिक साझीदार है और उसे अपने कुदरती सहयोगी के रूप में देखता है. उसने नेपाल में ढांचागत विकास के लिए खरबों रुपये का निवेश किया है. लेकिन बीते कुछ सालों में चीन ने अपनी पैठ बढ़ाई है और वहां अपनेबेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के लिए बड़े समझौते किए हैं.

पिछले फैसलों की छाया

कई विशेषज्ञ ओली को चीन का करीबी मानते हैं. पिछली बार जब वह सत्ता में आए थे तो उन्होंने भारत को लेकर कई कड़े फैसले किए थे, जिसके बाद देश में राष्ट्रवादियों का एक तबका नाराज हो गया था. उन्होंने विवादित इलाकों को लेकर देश के नक्शे में भी कई बदलाव किए थे, जिनमें ऐसे क्षेत्र भी शामिल थे जो भारत के नियंत्रण में हैं.

आने वाले चुनाव से पहले ओली इस बात को लेकर सचेत नजर आते हैं कि वह किसी के भी पक्षधर नजर ना आएं. रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में वह कहते हैं, "हम दोनों के लिए ही भरोसेमंद दोस्त और पड़ोसी बनेंगे. हमारी विदेश नीति परस्पर सम्मान और हितों की होगी.”

70 वर्षीय ओली इस बार चुनाव में अपने प्रतिद्वन्द्वियों से आगे नजर आ रहे हैं. 275 सदस्यों वाली संसद में जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने दक्षिणी मैदानी इलाकों के कुछ छोटे दलों के अलावा राजशाही के समर्थक दल के साथ भी गठबंधन कर रखा है. उनका मुकाबला मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से है, जिनका गठबंधन प्रचंड की माओवादी सेंटर पार्टी से है. हालांकि 76 वर्षीय देउबा और 67 वर्षीय प्रचंड दोनों ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं.

महंगाई बड़ा मुद्दा

नेपाल में चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जबकि देश में महंगाई दर छह वर्ष में सर्वोच्च स्तर परपहुंच चुकी है. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से महंगाई चरम पर है और जरूरी चीजों की किल्लत से लोग परेशान हैं. ओली कहते हैं कि मौजूदा सरकार के पास स्थिति को काबू करने के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है. खुदरा मुद्रास्फीति इस वक्त 8 प्रतिशत के करीब है जबकि बैंकों की ब्याज दर 18 फीसदी को पार कर चुकी है.

ब्याज दरों में कटौती का वादा करते हुए ओली ने कहा, "ऊंची ब्याज दरों से उद्योगों और व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.”

मंगलवार को उन्होंने अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया जिसमें सालाना पांच लाख नौकरियां पैदा करने का वादा किया गया है. ओली 2015 और 2021 में प्रधानमंत्री बने थे. वह कहते हैं कि 2015 के भूकंप में ध्वस्त हुए साढ़े सात लाख घरों, स्मारकों, अस्पतालों और स्कूलों का पुनर्निर्माण और हवाई अड्डों व सड़कों का निर्माण उनकी बड़ी उपलब्धियां रही हैं.

उन्होंने बताया, "लोग यूएमएल को एक भरोसेमंद और शक्तिशाली पार्टी के रूप में जानते हैं जो देश में एक मजबूत सरकार के रूप में नेतृत्व कर सकती है.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

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