जेसिंडा आर्डर्न ने बुलाई ऐतिहासिक बैठक
१४ जुलाई २०२१न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने एशिया पैसिफिक इकनॉमिक फोरम की एक विशेष बैठक बुलाई है जिसमें अमेरिका और रूस के राष्ट्रपतियों ने भी हिस्सा लेने पर सहमति जताई है. इस ऐतिहासिक बैठक का मकसद एशिया पैसिफिक में कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटना है.
नवंबर में 21 एपेक देशों की सालाना नियमित बैठक होनी है. वैसे तो यह बैठक ऑनलाइन ही होनी है, लेकिन इसका मेजबान देश न्यूजीलैंड है. पर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जेसिंडा आर्डर्न ने एपेक देशों से एक अतिरिक्त बैठक करने का आग्रह किया है.
आने वाले शुक्रवार को यह ऑनलाइन बैठक होगी, जो एपेक के इतिहास में पहली बार होगा. इस बैठक का मकसद महामारी के आर्थिक प्रभावों की समीक्षा और उसके लिए जरूरी साझा कदमों पर चर्चा करना होगा जेसिंडा आर्डर्न ने मीडिया को बताया कि एपेक के ज्यादातर नेताओं के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने भी इस बैठक में शामिल होने की पुष्टि कर दी है.
ऐतिहासिक बैठक
एक बयान में आर्डर्न ने कहा, "एपेक के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि सर्वोच्च नेतृत्व के स्तर पर सदस्य देश एक अतिरिक्त बैठक के लिए राजी हुए हैं. इससे पता चलता है कि कोविड-19 महामारी और उसके कारण पैदा हुए आर्थिक संकट को हल करने को लेकर हमारी इच्छा कैसी है.”
शुक्रवार को जेसिंडा आर्डर्न द्वारा बुलाई गई बैठक इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि हाल के सालों में एपेक देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनाना एक मुश्किल काम साबित हुआ है. इसकी मुख्य वजह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की चीन से खींचतान थी. हालांकि जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका ने हालात को बदलने का वादा किया है.
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आर्डर्न ने कहा कि इस महामारी के कारण विश्व युद्ध के बाद एपेक देशों को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा है और आठ करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गई हैं. उन्होंने कहा, "विश्व युद्ध के बाद एपेक अर्थव्यस्थाओं में यह सबसे बड़ी सिकुड़न है. 81 मिलियन नौकरियां गई हैं. सारी एपेक अर्थव्यवस्थाओँ का मिलकर क्षेत्र के आर्थिक बहाली के लिए काम करना बहुत महत्वपूर्ण है.”
दुनिया का सबसे बड़ा हिस्सा
एपेक यानी एशिया पैसिफिक इकनॉमिक फोरम में प्रशांत महासागर के किनारों पर बसे 21 देश शामिल हैं. इनमें अमेरिका से लेकर, चीन, जापान और पापुआ न्यू गिनी तक जैसे देश हैं जो दुनिया के कुल जीडीपी का 60 फीसदी उत्पादन करते हैं. 2021 की सालाना बैठक के मेजबान के तौर पर न्यूजीलैंड पहले से ही ऐसे संकेत दे रहा है कि सदस्यों के बीच चिकित्सा सामग्री और कोविड-19 वैक्सीन का व्यापार तेज किया जाना चाहिए.
आर्डर्न का कहा है कि शुक्रवार को होने वाली बैठक में आर्थिक बहाली के जिन उपायों पर चर्चा हो सकती है, उनमें टीकाकरण को और ज्यादा सक्षम बनाने और सरकारों द्वारा ऐसे जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत शामिल है, जो रोजगार और अर्थव्यवस्थाओं की सुरक्षा कर सकें.
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आर्डर्न ने कहा, "मैं चाहूंगी कि क्षेत्र में आर्थिक बहाली के लिए फौरी तौर पर उठाए जाने वाले उपायों के साथ-साथ दीर्घकालिक व समावेशी वृद्धि के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा हो. एपेक नेता महामारी से लड़ने के लिए मिलकर काम करेंगे क्योंकि जब तक सभी सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है.”
एक दूसरे पर भारी शुल्क
पिछले महीने ही एपेक देशों के व्यापार मंत्रियों की बैठक हुई थी जिसमें एक-दूसरे के साथ व्यापार करने में मौजूद बाधाओं की समीक्षा करने पर सहमति बनी थी. बैठक के बाद तीन बयान जारी किए गए थे जिनमें 21 देशों के मंत्रियों ने कहा था कि कोविड वैक्सीन और संबंधित वस्तुओं के आवागमन को हवा, पानी और जमीन के रास्ते से तेज करने पर काम किया जाएगा.
एक बयान में कहा गया, "हम अपने लोगों को लिए इन चीजों की कीमतों को कम करने के लिए स्वेच्छा से कदम उठाने पर विचार करेंगे, खासकर हर अर्थव्यवस्था को अपनी-अपनी सीमा पर लगने वाले शुल्कों की समीक्षा के लिए उत्साहित करके.” एक अन्य बयान कहा गया कि एपेक देशों को उन गैरजरूरी बाधाओं की पहचान करनी होगी जिनके कारण जरूरी चीजों और सेवाओं के आदान-प्रदान में देरी होती है.
देखेंः महामारी से दुनिया में संघर्ष बढ़े
एपेक देशों में वैक्सीन पर शुल्क 0.8 फीसदी के आसपास है लेकिन वैक्सीन से जुड़ी अन्य चीजों जैसे अल्कोहल सॉल्यूशन, फ्रीजिंग इक्विपमेंट, पैकेजिंग और स्टोरेज मटीरियल पर शुल्क 5 से 30 फीसदी तक है.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)