ग्रेट बैरियर रीफ पर बढ़ रहा है खतरा
२१ मार्च २०२२ऑस्ट्रेलियाई पर्यावरण समूह क्लाइमेट काउंसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि देश के उत्तर-पूर्वी तट के पास समुद्री तापमान औसत से दो से चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है और इससे ग्रेट बैरियर रीफ में एक सामूहिक ब्लीचिंग का खतरा बढ़ गया है.
सामूहिक ब्लीचिंग तब होती है जब मूंगे अपने अंदर रह रहे शैवालों को बाहर निकाल देते हैं और इस वजह से मूंगों का रंग सफेद हो जाता है. पिछले छह सालों में यहां तीन बार सामूहिक ब्लीचिंग हो चुकी है और एक और ब्लीचिंग का खतरा मंडरा रहा है.
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"खतरे में" रीफ
संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने भी इस विश्व धरोहर स्थल की यात्रा शुरू की है. टीम का उद्देश्य है यह मूल्यांकन करना कि रीफ को "खतरे में" घोषित किया जाए या नहीं. ऑस्ट्रेलिया सरकार के ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क प्राधिकरण ने पिछले शुक्रवार कहा था कि क्वींसलैंड राज्य के तट के पास अधिकांश मरीन पार्क में गर्मियों के दौरान गर्मी का स्तर काफी बढ़ गया था.
समुद्र में इस तरह की गर्मी की लहरें मछलियों को प्रभावित कर रही हैं, नस्लों को नुकसान पहुंचा रही हैं और पर्यटन को भी चोट पहुंचा रही हैं.
क्वींसलैंड के जेम्स कुक विश्वविद्यालय में मरीन बायोलॉजिस्ट जोडी रम्मर ने बताया, "स्थिति विकट होती जा रही है और ऐसे बिंदु तक पहुंचने वाली है जहां हम इसे समझने के लिए रीफ द्वारा महसूस किए जा रहे हालात की लैब में नकल भी कर सकें."
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क्लाइमेट काउंसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर जलवायु परिवर्तन इसी तरह चलता रहा तो 2044 के बाद तो हर साल ही ब्लीचिंग होने की संभावना है. समूह ने मांग की है की ऑस्ट्रेलिया अपने कार्बन उत्सर्जन को 2030 तक 2005 के स्तर के मुकाबले 75 प्रतिशत नीचे ले कर आए. यह सरकार के लक्ष्य से तीन गुना ज्यादा है.
यूनेस्को करेगा फैसला
यूनेस्को के विशेषज्ञ 21 मार्च को ही ऑस्ट्रेलिया की 10-दिवसीय यात्रा शुरू करने वाले हैं. यात्रा के दौरान वो सरकार की रीफ 2050 योजना की समीक्षा करने के लिए वैज्ञानिकों, नियामकों, नीति निर्माताओं, स्थानीय समुदायों और मूल निवासी के नेताओं से मिलेंगे.
यूनेस्को ने एक बयान में कहा कि टीम का मुख्य लक्ष्य यह पता करना है कि योजना "जलवायु परिवर्तन और अन्य कारणों की वजह से ग्रेट बैरियर रीफ के प्रति खतरों का सामना करती है या नहीं और तेजी से कदम बढ़ाने का रास्ता बताती है या नहीं."
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विशेषज्ञों की रिपोर्ट मई में आने की संभावना है, जिसके बाद विश्व धरोहर समिति में अनुशंसा भेजी जाएगी कि स्थल को "खतरे में" घोषित किया जाए या नहीं. समिति की बैठक जून में होनी है. 2015 और 2021 में ऑस्ट्रेलिया को "खतरे में" की घोषणा बचाने के लिए भारी लॉबिंग करनी पड़ी थी.
सीके/एए (रॉयटर्स)