कॉमेडियन से नेशनल हीरो बने जेलेंस्की की कहानी
२८ फ़रवरी २०२२एक अभिनेता और एक राजनीतिक व्यंग्यकार ने अपना पेशा बदल कर देश के सर्वोच्च पद का उम्मीदवार बनने की हिम्मत दिखाई. यह बिल्कुल अकल्पनीय था लेकिन फिर भी इस शख्स के पास कुछ था जिसकी ज्यादातर राजनेताओं के पास कमी थी. कोई ऐसी चीज जिसने उसका कद बढ़ा कर चमका दिया, खासतौर से संकट के दौर में. यह चीज है उसका संवाद. वोलोदिमीर जेलेंस्की के कहे बहुत सारे वाक्य आने वाले सालों में याद रहेंगे, और अंत में वो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज कर लिए जाएंगे.
12 जून 1987 को बर्लिन के ब्रांडेनबुर्ग गेट पर हॉलीवुड के पूर्व अभिनेता रोनल्ड रीगन ने कुछ शब्द कहे थे, तब रीगन को अमेरिका का राष्ट्रपति बने सात साल हो चुके थे. रीगने के कहे वे शब्द थे, "मि. गोर्बाचोव इस गेट को खोलिए... इस दीवार को गिरा दीजिए." तब से लेकर आज तक इन शब्दों को ना जाने कितनी बार दोहराया गया है और यूरोप के इतिहास में ये शब्द हमेशा हमेशा याद रखे जाएंगे.
तकरीबन 45 साल बाद इसी तरह मनोरंजन की दुनिया से राजनीति में आया एक शख्स अपने देशवासियों को वीडियो संदेशों में बतौर राष्ट्रीय नेता कह रहा है, "आजाद लोग! आजाद देश!"
जेलेंस्की कहते हैं, "हम यूक्रेनवासी एक शांतिपूर्ण राष्ट्र हैं लेकिन अगर आज हम चुप रहे तो कल खत्म हो जाएंगे." वह विदेशों से मदद मिलने में हो रही कमी की कठोरता से आलोचना करते हैं, "हमें जंगविरोधी गठबंधन की जरूरत है. हम अपने देश की रक्षा अकेले कर रहे हैं. दुनिया की सबसे बड़ी ताकतें बस देख रही हैं."
'लोगों के सेवक' से यूक्रेन के राष्ट्रपति तक
रोनाल्ड रीगन की 18 साल पहले मौत हो गई, लेकिन आज भी अमेरिका में लोग उन्हें बड़ी शिद्दत से याद करते हैं, उनके लिए व्यवहारिक रूप में किसी संत जैसे थे. जेलेंस्की यूक्रेन में अपने लिए वही दर्जा बना रहे हैं. हालांकि अभी यह पूरी तरह साफ नहीं है कि आने वाले दिनों या हफ्तों में क्या होगा. रूस में ऐसी खबरें चल रही हैं कि रूस उन्हें मार देना चाहता है. जेलेंस्की ने खुद भी माना है कि रूसी हमलों का एक निशाना वो खुद हैं और रूस उन्हें हटा देना चाहता है. जेलेंस्की का यह भी कहना है कि दुश्मन ने उन्हें सबसे पहला लक्ष्य माना है.
कुछ साल पहले तक जेलेंस्की एक अभिनेता थे और लोगों का मनोरंजन करते थे. उन्होंने यूक्रेन में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को अपनी व्यंग्य की प्रस्तुतियों का विषय बनाया. 'सर्वेंट ऑफ द पीपल' नाम के एक बेहद लोकप्रिय टीवी सीरियल में वह यूक्रेन के राष्ट्रपति की भूमिका निभाया करते थे. 2019 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने खुद को बड़ी जल्दी एक गंभीर राजनेता में तब्दील कर लिया. एक ऐसा राजनेता जो संकट के समय में बिना मेहनत किए सही लहजे में बात कर सकता है. वो कॉमेडियन, एक्टर, प्रेजेंटर के रूप में काफी सफल रहे हैं और शायद यही वजह है कि उन्हें अपने लिए सही शब्दों को चुनने और बोलने में सहजता होती है जिसका सुनने वालों पर बड़ा असर होता है.
संवाद करने में माहिर जेलेंस्की
अब रूस ने हमला कर दिया है और स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. इस दौर में भी जेलेंस्की की हर अपील पिछली से ज्यादा जरूरी और भावुक है. पर्यवेक्षक उनके उस भाषण का बहुत सम्मान कर रहे हैं जो उन्होंने रूसी हमला शुरू होने के तुरंत बाद दिया था. पर्यवेक्षकों का कहना है कि वो उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ भाषण था. भावुक, निडर और अटल रहकर उन्होंने रूसी सेनाओं से कहा, "अगर तुम हमला करोगे तो हमारे चेहरे देखोगे हमारी पीठ नहीं!"
जंग के दो दिनों में ही हजारों लोगों ने यूक्रेन छोड़ा
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने ट्विटर के जरिए संवाद करने की कला में भी महारत हासिल कर ली है. हर कुछ घंटे पर उनके ट्वीट आ रहे हैं और उसमें दुनिया के लिए बहुत अर्थपूर्ण बातें होती हैं. उद्हारण के लिए शुक्रवार की दोपहर उन्होंने स्वीडन और ब्रिटेन का उनके सैन्य, तकनीकी और मानवीय सहायता के लिए आभार जताया. इस ट्वीट के आखिरी शब्द हैं, "साथ आने से एक पुतिन विरोधी गठबंधन बन रहा है."
एक जंग तो जीते जेलेंस्की
इस जंग में झूठ सी लगने वाली एक कहानी ये है कि यूक्रेन सैन्य मामलों में भले ही हमलावर रूसियों से पिछड़ जाएगा लेकिन वाकपटुता में जेलेंस्की ने पुतिन को पीछे कर दिया है. रूसी राष्ट्रपति ने पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी इलाकों की स्वतंत्र गणराज्य के रूप में घोषणा करते हुए एक घंटे का उबाऊ और उलझा हुआ भाषण दिया. इसके तुरंत बाद जेलेंस्की ने अपने देशवासियों को भरोसा दिलाया, "घबराएं नहीं! हम मजबूत हैं और हर बात के लिए तैयार. हम हर किसी को हराएंगे क्योंकि हम यूक्रेन हैं!" उनके शब्दों में इतना असर जरूर था कि देश की जनता की बेचैनी थम गई.
जब रूसी राष्ट्रपति पूर्वी यूक्रेन में नरसंहार के आधारहीन दावे कर रहे हैं और नाजी ताकतों के बारे में अनर्गल बातें कर रहे हैं जिससे कि जंग को उचित ठहराया जा सके तो यह पूरी तरह से मजाक की तरह सुनाई पड़ता है खासतौर से जेलेंस्की के लिए. रूसी बोलने वाले परिवार में पले बढ़े यूक्रेनी राष्ट्रपति यहूदी हैं. उनके दादा रेड आर्मी में थे और उन्होंने अपने तीन भाइयों को होलोकॉस्ट में गंवाया है.
रूस के लिए कीव पर कब्जे को मुश्किल किया यूक्रेन ने
वह शायद यूक्रेन में इतने लोकप्रिय कभी नहीं थे जितने कि आज हैं. रूस के साथ जंग शुरू होने से पहले ही उनके देशवासी अपने नेता से बहुत असंतुष्ट थे. वह तीन साल पहले पद संभालते समय किए जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी वादों को पूरा करने में सफल नहीं हुए थे. इनमें एक वादा पूर्वी यूरोप में विवाद खत्म करने का भी था.
पूर्वी यूक्रेन में विवाद को सुलझाने के लिए मिंस्क समझौते में जो प्रगति हुई थी वह धरातल पर नहीं उतर सकी बल्कि इसकी बजाय समझौते एक एक करके टूटते चले गए. इसके बाद पैंडोरा पेपर्स का विवाद सामने आ गया. इसमें और लोगों के साथ ओलिगार्कों से लड़ने वाले मि. क्लीन भी शामिल पाए गए. अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों के एक नेटवर्क की खोजी रिपोर्ट ने दूसरी चीजों के साथ बताया है कि जेलेंस्की के विदेशी कंपनियों से संबंध हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जेलेंस्की के लंबे समय से कारोबारी साझीदार रहे शख्स ने लंदन की कई महंगी संपत्तियों में निवेश किया है. यही साझीदार राष्ट्रपति के बड़े सहायक भी बने. राष्ट्रपति की बीवी ओलेना भी कुछ विदेशी कंपनियों का लाभ पाने वालों में शामिल हैं.
शीत युद्ध फिर से
यह महज संयोग ही है कि 1970 के दशक में रोनल्ड रीगन के दिन भी खत्म होने की बात कही जाने लगी थी. वह दो बार रिपब्लिकन उम्मीदवार बनने में नाकाम हो गए थे. 1968 में रिचर्ड निक्सन और 1976 में जेराल्ड फोर्ड ने उन्हें शिकस्त दी. इसके बाद 1979 में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर हमला किया और शीत युद्ध फिर से तेज हो गया, इसके एक साल बाद ही रीगन ने जिम्मी कार्टर को अमेरिकी चुनाव में परास्त कर दिया.
इसके चार दशक बाद रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया शीत युद्ध का एक नया संस्करण देख रही है और वोलोदिमीर जेलेंस्की की भूमिका अभी तय होना बाकी है.