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मानवाधिकारम्यांमार

शादी के नाम पर शोषण में फंसी हैं नाबालिग रोहिंग्या लड़कियां

१३ दिसम्बर २०२३

म्यांमार में और बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में खराब होते हालात दर्जनों नाबालिग रोहिंग्या लड़कियों को ऐसे रोहिंग्या मर्दों के साथ शादी में धकेल रहे हैं जो अक्सर उनका शोषण करते हैं.

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रोहिंग्या
रोहिंग्या लड़कियांतस्वीर: Stringer/REUTERS

14 साल की इस लड़की के लिए मलेशिया में उसका बेडरूम जेल बन गया है. कंक्रीट के फर्श पर बैठ कर वो अपने आंसू पोंछते हुए बताती है कि यहीं पर उसका 35 साल का पति हर रात उसके साथ बलात्कार करता है.

इस लड़की ने पिछले साल अपने परिवार को बचाने के लिए अपना त्याग करने का फैसला किया था. म्यांमार में वो और उसका परिवार गरीबी और भूख की चपेट में थे और म्यांमार की सेना के डर में जी रहे थे.

हताशा में एक पड़ोसी ने मलेशिया में एक आदमी के बारे में बताया जो सिर्फ उसे लड़की को वहां से निकाल कर मलेशिया पहुंचाने के लिए करीब 3,800 डॉलर देने को तैयार था. लड़की से शादी करने के बाद वो उसके माता-पिता और तीन भाई-बहनों के लिए भी खाने पीने का इंतजाम करने के लिए पैसे भेजने को तैयार था.

बांग्लादेश
बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर में 15 साल की अमीना बेगम अपने 22 साल के शौहर मुनीर के साथ बैठी हैंतस्वीर: Allison Joyce/Getty Images

आखिरकार लड़की ने रोते रोते अपने माता-पिता से गले लग कर विदाई ली और फिर वह बच्चों से भरी हुई एक तस्कर की गाड़ी में सवार हो गई. लेकिन उसे अभी इस बात का अंदाजा नहीं था कि किस तरह की भयावह स्थितियां उसका इंतजार कर रही थीं.

हालात की मारी लड़कियां

उसे बस इतना पता था कि उसके परिवार के जिंदा रहने का बोझ उसके नाजुक कंधों पर था. वो अब मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में अपने बेडरूम में टेडी बेयर पाजामे पहन कर बैठी है.

कमरे में कोई फर्नीचर नहीं है. उसकी कोरी, सफेद दीवारों पर दाग लगे हैं और जगह जगह से पपड़ी उतर गई है. छत से गांठ लगी एक रस्सी लटक रही है, ताकि अगर उसका पति जबरदस्ती उससे बच्चा पैदा करवाए तो वो उसके लिए एक झूला बना सके.

दबी आवाज में लड़की कहती है, "मैं घर वापस जाना चाहती हूं, लेकिन जा नहीं सकती. मैं फंस गई हूं." म्यांमार में और पड़ोसी देश बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में खराब होते हालात दर्जनों नाबालिग रोहिंग्या लड़कियों को ऐसे रोहिंग्या मर्दों के साथ शादी में धकेल रहे हैं जो अक्सर उनका शोषण करते हैं.

एसोसिएटेड प्रेस ने ऐसी 12 युवा रोहिंग्या दुल्हनों से बात की जो 2022 के बाद मलेशिया पहुंचीं. इनमें सबसे छोटी लड़की की उम्र महज 13 साल थी. सभी लड़कियों ने बताया कि उनके पतियों ने उन्हें बंधक बना रखा है और वो उन्हें बहुत कम ही बाहर जाने देते हैं.

रोहिंग्या शरणार्थियों को अलग टापू पर बसाने का विरोध

कई लड़कियों ने कहा कि मलेशिया आने के रास्ते में तस्करों और दूसरे मर्दों ने उन्हें मारा और उनका बलात्कार किया. आधी लड़कियां या तो गर्भवती हैं या मां बन भी चुकी हैं, बावजूद इसके कि उनमें से अधिकांश ने कहा कि वो मातृत्व के लिए तैयार नहीं हैं.

जब उनसे पूछा गया कि जब उनके माता-पिता ने उनकी शादी कर देने का फैसला किया तो क्या उन्होंने विरोध किया, तो वो भ्रमित स्थिति में नजर आईं. 16 साल की एक लड़की ने बताया, "मेरे पास बाहर निकलने का सिर्फ यही रास्ता था."

म्यांमार की भयावह यादें अभी भी उसे सताती हैं, जहां 2017 में उनके देखते देखते सिपाहियों ने उसका घर जला दिया, उसके पड़ोसियों के साथ बलात्कार किया और उसकी बुआ की गोली मार कर जान ले ली. उसने बताया, "मैं शादी के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था." अब वो अपने 27 साल के पति के साथ फंस गई है. 

बांग्लादेश में भी बुरा हाल

बांग्लादेश में, 'सेव द चिल्ड्रन' संस्था का कहना है कि बाल विवाह कॉक्स बाजार शिविर में रह रहे लोगों के बीच एजेंसी को दिखाई दे रही सबसे बड़ी चिंताओं में से है. एशिया के लिए संस्था की रीजनल एडवोकेसी और कैंपेन्स निदेशक शाहीन चुगताई कहती हैं, "लड़कियां इसके आगे ज्यादा कमजोर हैं और अक्सर उनकी अलग अलग इलाकों में शादी कर दी जा रही है."

बांग्लादेश
बांग्लादेश में एक जल चुके शरणार्थी शिविर के बाहर खड़ी एक रोहिंग्या लड़कीतस्वीर: KM Asad/dpa/picture alliance

कुआलालंपुर में रोहिंग्या वीमेन डेवेलपमेंट की कार्यकारी निदेशक नाशा निक कहती हैं, "वाकई बड़ी संख्या में रोहिंग्या शादी करने के लिए आ रहे हैं." संस्था के छोटे से दफ्तर में इन लड़कियों के बच्चों के लिए खिलौने हैं, लिंग-आधारित हिंसा पर शैक्षणिक किट हैं और कुछ सिलाई मशीनें हैं.

इन मशीनों पर लड़कियां और महिलाएं गहने और दूसरी चीजें बनाना सीखती हैं जिन्हें बेच कर वो अपने लिए कुछ पैसे कमा पाती हैं. नाशा कहती हैं, "इनके लिए कोई और सुरक्षित जगह नहीं है. घरेलू हिंसा काफी ज्यादा है."

इनमें से अधिकांश लड़कियों के पास कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं हैं. मलेशिया ने संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर भी नहीं किए हैं, इसलिए इन्हें अवैध आप्रवासी माना जाता है.

ऐसे में उनके शोषण के बारे में अधिकारियों को शिकायत करने में खतरा है कि कहीं उन्हें मलेशिया के कई हिरासत केंद्रों में से एक में ना बंद कर दिया जाए. इन केंद्रों में से भी लंबे समय से शोषण की खबरें आती रही हैं. मलेशिया की सरकार ने टिप्पणी के लिए एपी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.

सीके/एए (एपी)