सुप्रीम कोर्ट: भड़काऊ बयानों से देश का माहौल खराब हो रहा है
११ अक्टूबर २०२२यह टिप्पणी भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ "बहुसंख्यक हिंदू वोट जीतने, सभी पदों पर सत्ता हथियाने, नरसंहार करने और भारत को 2024 के चुनाव के पहले हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए नफरत भरे भाषण दिए जा रहे हैं."
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने हरप्रीत मनसुखानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "आप यह कहने में सही हो सकते हैं कि नफरत भरे भाषणों के कारण पूरा माहौल खराब हो रहा है. और उन पर अंकुश लगाने की जरूरत है."
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राजनीतिक दल पर भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया
मनसुखानी ने दलील दी कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा नफरती भरे भाषणों को "लाभदायक व्यवसाय" में बदल दिया गया है और सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत के पास इन मामलों का विवरण नहीं है, जिसमें वे कब दर्ज किए गए थे. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता नफरत भरे भाषणों के विशेष मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, मसलन उनमें क्या हुआ और अधिकारियों द्वारा कदम उठाए गए थे या नहीं.
पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषणों के 58 मामले हैं, और अदालत को एक अस्पष्ट विचार देने के बजाय, याचिकाकर्ता तत्काल मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यामत्क पृष्ठभूमि की जरूरत है. उन्होंने कहा, "हमें कुछ उदाहरण चाहिए नहीं तो यह बिना किसी सिरे की याचिका जैसा है."
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इस बीच एक इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तराखंड की सरकारों को तथ्यात्मक पहलुओं और दो अलग-अलग धार्मिक आयोजनों की शिकायतों के बाद उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. आरोप है कि इन आयोजनों में कथित रूप से नफरत भरे भाषण दिए गए थे. कोर्ट ने कथित 'धर्म संसद' के आयोजनों में की गई कार्रवाई पर हलफनामा दाखिल करने को कहा.
मामला धर्म संसद का भी उठा
याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक और दिल्ली में पिछले साल 19 दिसंबर को आयोजित 'धर्म संसद' में भड़काऊ भाषण दिए गए थे.
हाल के महीनों में भारत में हुईं कई गतिविधियों की अंतरराष्ट्रीय समुदाय में खासी चर्चा हुई है. पहले हरिद्वार में हुई 'धर्म संसद' में मुसलमानों के नरसंहार की अपील और उसके बाद एक ऐप बनाकर उस पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी की कोशिश जैसी घटनाओं की तीखी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया हुई है.
इसी साल अमेरिका ने 2021 में भारत में धार्मिक हमले को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट कहती है कि सालभर में भारत सरकार ने अपनी हिंदू-राष्ट्रवादी नीतियों को और मजबूत करने के लिए कई नीतियां अपनाई हैं जो मुसलमान, ईसाई, सिख, दलित और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार व्यवस्थागत तरीके से मौजूदा और नए कानूनों के जरिए अपने हिंदू-राष्ट्रवाद के दर्शन को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है.
इसी महीने की 9 तारीख को दिल्ली में एक सभा में पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के एक कार्यक्रम में समुदाय विशेष के खिलाफ बयान पर खासा बवाल हुआ था. पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों पर मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन आरोप लग रहे हैं कि वहां मौजूद नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.