यूक्रेन युद्ध ने छेड़ी स्विट्जरलैंड में तटस्थता की बहस
९ नवम्बर २०२२प्रो स्वाइत्स, यानी प्रो स्विस नाम का संगठन चाहता है कि उनका देश तटस्थता की नीति पर अडिग रहे. संगठन को लगता है कि देश को भविष्य में रक्षा साझेदारियों और प्रतिबंधों से बचना चाहिए. प्रो स्विस हाल में देश की दक्षिणपंथी पार्टी, स्विस पीपल्स पार्टी से जुड़ा है. पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री क्रिस्टॉफ ब्लोषर के मुताबिक, "आप लंबे वक्त तक प्रतिबंधों के साथ आगे नहीं जा सकते हैं, किसी तरह आप अंतरराष्ट्रीय मामलों में मध्यस्थता निभाना चाहते हैं."
जनमत संग्रह के लिए चलाये जा रहे सिग्नेचर अभियान के तहत जनता से यह पूछने की कोशिश की जाएगी कि क्या देश को तटस्थता की नीति छोड़कर, रूस के खिलाफ दंडात्मक प्रतिबंधों में शामिल होना चाहिए. तटस्थता की नीति स्विट्जरलैंड के संविधान का हिस्सा है. इस नीति के तहत स्विट्जरलैंड तब तक किसी रक्षा साझेदारी में शामिल नहीं होगा, जब तक देश पर सीधा हमला ना हो. हालांकि असैन्य नीतियों, जैसे आर्थिक प्रतिबंधों के मामले में यह नीति बहुत स्पष्ट नहीं है.
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असैन्य मामलों में तटस्थता की नीति को लेकर जनमत संग्रह कराने की ये पहल 2024 के वसंत तक चलेगी. अगर एक लाख से ज्यादा लोगों ने दस्तखत कर इसका समर्थन किया तो फिर इस पर राष्ट्रीय जनमत संग्रह कराया जाएगा.
क्या है स्विट्जरलैंज की तटस्थता नीति
1815 में वियना में ताकतवर देशों के महासम्मेलन में स्विट्जरलैंड की तटस्थता नीति को मान्यता दी गई. इसको 1848 से लागू स्विस संविधान की मूल आत्मा भी कहा जाता है. 1907 में हुए हेग सम्मेलन में तटस्थ देशों के अधिकार और जिम्मेदारियों पर लिखित समझौता हुआ. इस नीति के तहत स्विट्जरलैंड पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के विध्वंस से बचने में काफी हद तक सफल रहा.
न्यूट्रलिटी की नीति के तहत, स्विट्जरलैंड, अन्य पक्षों के युद्ध में अपनी जमीन और हथियारों का इस्तेमाल नहीं होने देगा. स्विस सेना को सिर्फ अपने देश की रक्षा का अधिकार है. पुरुषों के लिए देश में अनिवार्य सैन्य सेवा है, वहीं महिलाओं के लिए यह वैकल्पिक है.
तटस्थ नीति पर बहस क्यों
स्विट्जरलैंड भले ही नाटो का सदस्य ना हो, लेकिन पार्टनरशिप फॉर पीस कार्यक्रम के तहत देश नाटो का सहयोग करता है. इसके अलावा स्विट्जरलैंड संयुक्त राष्ट्र का भी सदस्य है. यूएन का हेडक्वार्टर स्विस शहर जिनेवा में है.
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दूसरे विश्वयुद्ध में स्विट्जरलैंड भले ही सीधे तौर पर शामिल ना हुआ हो, लेकिन उस पर नाजी जर्मनी की मदद करने और हिटलर के आतंक भागने वाले यहूदियों को शरण नहीं देने के आरोप लगते हैं. 1990 के दशक तक स्विट्जरलैंड के बैंकों में होलोकॉस्ट पीड़ित यहूदियों का पैसा जमा था.
स्विट्जरलैंड हथियारों का बड़ा प्रोड्यूसर और विक्रेता भी है. ऐसे में कई आलोचक देश की तटस्थता नीति को स्वार्थी दिखावा करार देते हैं.
2009-10 में बैंक गोपनीयता कानून के मामले में स्विट्जरलैंड और दुनिया के बड़े देशों के बीच तीखा विवाद हुआ. स्विट्जरलैंड पर आरोप लगे कि वह बैंक गोपनीयता कानून की आड़ में कई देशों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है. देश ने तटस्थता की नीति का हवाला देते हुए अपने बैंक गोपनीयता कानून का बचाव किया. अमेरिका और जर्मनी समेत जी20 के देशों ने तब स्विट्जरलैंड पर इतना दबाव डाला कि बैंक गोपनीयता कानून को लचीला करना पड़ा और काले धन से जुड़े बैंक खातों का ब्यौरा देना पड़ा.
88 लाख की आबादी वाले स्विट्जरलैंड में इस वक्त यूक्रेन युद्ध की वजह से तटस्थता नीति पर बहस हो रही है. देश रूस के हमले की आलोचना कर चुका है और मॉस्को पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों में शामिल है.
ओंकार सिंह जनौटी (एएफपी)