परदेसियों पर बंटा स्विट्जरलैंड
१० फ़रवरी २०१४जनमत संग्रह के नतीजे सरकार के लिए एक झटका हैं, क्योंकि उसने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस तरह का फैसला देश की अर्थव्यवस्था और यूरोपीय संघ के साथ रिश्तों पर बुरा असर डालेगा. जनमत संग्रह के पहले स्विट्जरलैंड की दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी (एसवीपी) ने आक्रामक तरीके से देश में प्रवासियों की बढ़ती संख्या के खिलाफ प्रचार किया. मतदान के पहले ओपिनियन पोल में इस प्रस्ताव के विरोधी बढ़त बनाए हुए थे लेकिन जैसे जैसे मतदान का दिन करीब आया अंतर खत्म होता चला गया. स्विस राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल एसआरएफ के मुताबिक 50.3 फीसदी मतदाताओं ने आखिरकार प्रवासियों की संख्या को सीमित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. करीब 49.7 फीसदी मतदाताओं ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. प्रस्ताव के समर्थन में मिले वोटों और विरोध में दिए गए वोटों का अंतर सिर्फ 30 हजार था.
सीमित हो जाएंगे विदेशी
ग्रामीण इलाकों में इस प्रस्ताव को ज्यादा समर्थन मिला है जबकि बाजेल, जेनेवा और ज्यूरिख जैसे शहरों ने इसे ठुकरा दिया. न्याय मंत्री सिमोनेत्ता सोमारूगा ने नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "स्विट्जरलैंड के लिए और हमारे ईयू के साथ रिश्तों के लिए इसके परिणाम दूरगामी होंगे." मतदान के बाद न्याय मंत्री ने कहा, "लोगों की मुक्त आवाजाही की व्यवस्था से यह दूर करता है."
हालांकि स्विट्जरलैंड यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य नहीं है. लेकिन उसके रिश्ते 28 सदस्यों वाले ईयू के साथ मजबूत हैं. बर्न ने ईयू के साथ बड़ी मेहनत के साथ कई द्विपक्षीय समझौते किए हैं. ऐसे ही एक समझौते के मुताबिक ईयू की 50 करोड़ जनता को स्विट्जरलैंड में काम करने और रहने का अधिकार है. इसके लिए उन्हें छोटी सी औपचारिकता करनी पड़ती है. इसी तरह से स्विस नागरिक भी ईयू में काम कर सकते हैं. स्विस कानून के मुताबिक सरकार को अब मुक्त आवाजाही के समझौते पर दोबारा बातचीत करनी होगी. हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि प्रवासियों पर किस तरह की पाबंदी लगेगी और कब.
स्विट्जरलैंड दो साल पहले ही मध्य और पूर्वी यूरोप के आठ देशों के प्रवासियों के लिए कोटा तय कर चुका है. ताजा फैसले के और अधिक दूरगामी परिणाम सामने आएंगे. जर्मनी, फ्रांस, इटली और अन्य ईयू देशों के बहुत से पढ़े लिखे लोग स्विट्जरलैंड में काम करते हैं. हालांकि जनमत संग्रह के पहले व्यापार समूहों ने कहा था कि प्रवासी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है. स्विस बैंकर्स एसोसिएशन ने मतदान पर निराशा जताते हुए कहा है, "हमें जल्द ही यूरोपीय संघ के साथ रचनात्मक बातचीत कर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए."
आकर्षित करने वाला देश
ईयू ने जनमत संग्रह के परिणाम पर खेद व्यक्त किया है और कहा है कि वह देखेगा कि सरकार किस तरह से मतदाताओं द्वारा दिए गए जनादेश को लागू करती है. जनमत संग्रह का टेक्स्ट सरकार को इसकी इजाजत देता है कि वह इस बात पर फैसला करे कि स्विट्जरलैंड में कितने प्रवासी आ सकते हैं, और साथ ही कैसे विभिन्न समूहों के बीच कोटा विभाजित हो. जनमत संग्रह का टेक्स्ट सरकार पर यह जिम्मेदारी भी देता है कि वह विदेशियों के परिवार के सदस्य को लाने के अधिकार को सीमित करने पर प्रस्ताव लाए. साथ ही देश की सामाजिक सेवाएं लेने और शरण में कटौती का भी जिक्र टेक्स्ट में किया गया है.
इस कदम से हो सकता है कि स्विट्जरलैंड के मानवीय छवि को धक्का पहुंचे. दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी के लिए रविवार के नतीजे एक और कामयाबी के तौर पर देखे जा सकते हैं. संसद के निचले सदन में एसवीपी के एक चौथाई से ज्यादा सांसद हैं. हाल के सालों में पार्टी ने कई जनमत संग्रहों में जीत हासिल की है. 2009 में पार्टी ने मस्जिद की मीनार के निर्माण पर रोक पर जनमत संग्रह कराया था. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक स्विट्जरलैंड में फिलहाल चार लाख 90 हजार मुसलमान हैं. एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक मुसलमानों की संख्या बढ़कर छह लाख 63 हजार हो जाएगी. एसवीपी ने जनमत संग्रह के पहले देश में मुसलमानों की बढ़ती आबादी को निशाना बनाते हुए कई पोस्टर भी लगाए थे.
एए/एमजे (एपी,डीपीए)