ताइवान ने दिखाए अपने सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान
१८ अगस्त २०२२चीन से तनाव के नए चरम के दौर में ताइवान ने बुधवार को अपने नए सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया है. मिसाइलों से लैस ये एफ-16वी विमान उसे अमेरिका से मिले हैं. इन्हें बुधवार की रात प्रदर्शित किया गया.
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी नेता नैंसी पेलोसी के ताइवान का दौरा कनरे के बाद से ही चीन इलाके में लगातार युद्धाभ्यास कर रहा है. उसने स्वशासित द्वीप ताइवान के चारों ओर सैन्य अभ्यास जारी रखे हैं.
जवाब में ताइवान ने भी सैन्य अभ्यास किए हैं. इस दौरान चीन द्वारा हमला किए जाने की सूरत में आत्मरक्षा की गतिविधियों का अभ्यास किया गया है. बुधवार को उसकी वायु सेना ने पूरी तरह मिसाइलों से लैस हमले को तैयार एफ-16वी लड़ाकू विमान और अमेरिका-निर्मित युद्धपोत-रोधि मिसाइलों से अभ्यास किया. पूर्वी हुआलिन इलाके में यह ‘युद्ध की तैयारी' का अभ्यास किया गया.
ताइवानी वायु सेना ने बताया कि बाद में छह एफ-16वी विमानों ने रात के वक्त प्रशिक्षण अभियान के तहत उड़ान भरी. इनमें से दो मिसाइलों से लैस थे. एक बयान में वायुसेना ने कहा, "चीनी कम्यूनिस्ट ताकतों के हालिया अभ्यास के खतरे को देखते हुए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते हम लगातार मुस्तैद हैं और ‘युद्ध का मैदान हर जगह, प्रशिक्षण किसी भी वक्त' की अवाधारण पर काम कर रहे हैं.”
ताइवान की स्वतंत्रता पर खतरा
ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है लेकिन चीन उसे अपना इलाका बताता है. हालांकि ताइवान में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का शासन है लेकिन इसी साल चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी ने उसे अपने में शामिल करने का प्रण लिया था. नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने ताइवान खाड़ी में सैन्य गतिविधियां शुरू कर दीं और यह द्वीपीय देश हमले के खतरे में जी रहा है.
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हाल के सालों में ताइवान ने अपनी सेना को नए और आधुनिक हथियारों से लैस किया है. चीन की सैन्य कार्रवाई का जवाब देने की तैयारी के लिए उसने अमेरिका से कई आधुनिक विमान और हथियार खरीदे हैं जिनमें एफ-16वी शामिल हैं. पिछले साल नवंबर में उसने इन विमानों की एक टुकड़ी तैनात की थी.
एफ-16वी इस लड़ाकू विमान की श्रृंखला का बेहद आधुनिक विमान है. इसकी खरीद को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शासन के दौरान इजाजत मिली थी. नई जो बाइडेन सरकार भी ताइवान को हथियार और रक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की बात कह चुकी है और लगातार उसे आत्मरक्षा के लिए मदद करने का वादा करती रही है.
नई व्यापार वार्ता शुरू
मदद के अपने वादे के तहत इसी हफ्ते अमेरिका ने ताइवान के साथ व्यापार संधि करने के लिए बातचीत शुरू की है. गुरुवार को अमेरिकी वाणिज्य अधिकारियों ने कहा कि ‘औपचारिक बातचीत' व्यापारिक सहयोग को और बढ़ाने के मकसद से शुरू की गई है.
बाइडेन सरकार के हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संयोजक कर्ट कैंबल ने पत्रकारों को बताया कि व्यापार वार्ता "ताइवान के साथ रिश्ते मजबूत करने की” हमारी कोशिशों का हिस्सा है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि ताइवान को लेकर अमेरिका की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. अमेरिका ‘एक चीन' नीति को मानता आया है.
1949 में एक गृह युद्ध के बाद चीन और ताइवान अलग हो गए थे. हालांकि ताइवान कभी भी पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा नहीं रहा लेकिन चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी कहती है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसे मुख्य भूमि के तहत लाने के लिए बल प्रयोग भी किया जा सकता है.
अमेरिका ताइवान के साथ औपचारिक रिश्ते नहीं रखता लेकिन वहां एक अनौपचारिक दूतावास चलाता है जिसे ‘अमेरिकन इंस्टिट्यूट' कहा जाता है. कैंबल ने कहा, "हम शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए शांतिपूर्ण कदम उठा रहे हैं जबकि चीन लगातार उनका उल्लंघन कर रहा है.”
नैंसी पेलोसी के बाद अमेरिकी सांसदों के एक और दल बीते हफ्ते ताइवान गया था, जिसका नेतृत्व मसैचुसेट्स से सांसद सेनेटर एड मार्की कर रहे थे. इस दल के दौरे के बाद चीन ने अपने सैन्य अभ्यास के दूसरे दौर का ऐलान कर दिया था.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)