अनाज समझौते पर रूस और तुर्की की बैठक
४ सितम्बर २०२३तुर्की ने कहा है कि बातचीत का शुरुआती हिस्सा रचनात्मक रहा. समझौता तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मदद से हुआ था जिसे बढ़ाने से पुतिन ने जुलाई में इंकार कर दिया. रूस का कहना था कि इसी तरह का एक और समझौता जो रूस से खाद्यान्न और खाद भेजना से जुड़ा था, उसे पूरा नहीं किया गया. रूसका आरोप है कि माल भेजने और बीमा से जुड़ी दिक्कतों ने खेती से जुड़े व्यापार को नुकसान पहुंचाया है. हालांकि पिछले साल से अब तक वह गेहूं का रिकॉर्ड निर्यात कर चुका है.
ब्लैक सी समझौते से पुतिन के हाथ खींचने के बाद से ही एर्दोवान कहते रहे हैं कि वह इस समझौते को दोबारा लागू करवाने की कोशिश करेंगे ताकि अफ्रीका और पश्चिम एशिया समेत दूसरे एशियाई देशों में खाद्य संकट पैदा ना हो.
क्यों जरूरी है ब्लैक सी समझौता
यूक्रेन और रूस गेहूं, सूरजमुखी का तेल और दूसरे जरूरी कृषि उत्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों में हैं जिन पर कईं विकासशील देश निर्भर हैं. यूक्रेन से होने वाली खाद्यान्न सप्लाई की देख-रेख करने वाले इंस्ताबुंल के जाइंट डाटा सेंटर के आंकड़े दिखाते हैं कि वहां से आने वाले अनाज का 57 फीसदी हिस्सा विकासशील देशों को भेजा गया. इसमें चीन सबसे आगे है जिसे इस अनाज का लगभग एक चौथाई हिस्सा भेजा गया.
सोची बैठक से पहले रूस और तुर्की के विदेश मंत्रियों की बैठक हो चुकी है. रूस ने अपनी मांगों की एक सूची दी है. उसका कहना है कि अगर पश्चिमी देश चाहते हैं कि ब्लैक सी समझौते के तहत यूक्रेन फिर अनाज भेज सके तो इन मांगों को पूरा करना होगा.
रूस की मांग
ब्लैक सी समझौते से जुड़ी मांगों पर एर्दुआन नर्म रुख रखते हैं. जुलाई में उन्होंने कहा था कि पुतिन की पश्चिमी देशों से कुछ अपेक्षाएं हैं और यह जरूरी है कि उनकी मांगों पर कदम उठाए जाएं. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गट्रेस ने भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है.
उनका कहना है कि यह एक ठोस प्रस्ताव है जिसे रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को भेजा गया है. पुतिन की सबसे बड़ी मांगों में संयुक्त राष्ट्र के साथ एक ऐसा समझौता है जो रूस से खाद्यान्न और खाद जैसी खेती आधारित चीजों का निर्यात सुनिश्चित करे. हालांकि इन चीजों का निर्यात पर यूक्रेन युद्धके बाद रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों का असर नहीं है लेकिन मॉस्को का कहना है कि पेमेंट और मालवाहन से जुड़ी दिक्कतों से इनका निर्यात बाधित हुआ है.
एसबी(एपी)