अब अंडमान के पास समुद्र में फंसे रोहिंग्या शरणार्थी
२३ फ़रवरी २०२१यूएनएचसीआर का कहना है कि नाव दक्षिणी बांग्लादेश से लगभग 10 दिनों पहले निकली थी लेकिन रास्ते में उसका इंजन खराब हो गया. भारतीय कोस्ट गार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि नाव का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास एक इलाके में पता लगा लिया गया है. नाव में कुल कितने लोग हैं इसके बारे में आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इसमें कम से कम 90 लोग हैं.
यूएनएचसीआर ने एक बयान में कहा, "उन लोगों की जान बचाने और त्रासदी को और बढ़ने से रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है." संस्था ने कहा है कि जो भी देश इन फंसे हुए शरणार्थियों को बचाने में मदद करेगा संस्था उसे समर्थन देगी. रोहिंग्या संकट की जानकारी रखने वाले समूह 'द अराकान प्रोजेक्ट' के निदेशक क्रिस लेवा के मुताबिक नाव पर कम से कम आठ लोगों की मौत हो चुकी है.
लेवा का कहना है कि नाव के पास स्थित भारतीय नौसेना के जहाजों ने नाव में फंसे शरणार्थियों को थोड़ा खानी और पानी दिया था, लेकिन इसके आगे उनका क्या होगा यह कहा नहीं जा सकता. रोहिंग्याओं से ही जुड़ी एक और संस्था 'रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' का कहना है कि नाव पर सवार लोगों में 65 महिलाएं और लड़कियां, 20 पुरुष और दो साल से कम उम्र के पांच बच्चे हैं.
एक बार फिर संकट में रोहिंग्या शरणार्थी
भारतीय नौसेना के एक प्रवक्ता ने स्थिति के बारे में जानकारी नहीं दी लेकिन कहा कि बाद में एक बयान जारी किया जाएगा. यूएनएचसीआर के मुताबिक नाव बांग्लादेश के तटीय जिले कॉक्स बाजार से निकली थी जहां म्यांमार से अपनी जान बचा कार भागे करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में बुरे हालात में रह रहे हैं. बांग्लादेश में अधिकारियों का कहना है कि उन्हें शिविरों से किसी भी नाव के निकलने की जानकारी नहीं है.
कॉक्स बाजार के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रफीकुल इस्लाम ने बताया, "अगर हमारे पास इसकी जानकारी होती तो हमने उन्हें रोक लिया होता." अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ऐमनेस्टी ने एक बयान में कहा कि सरकारों द्वारा समुद्र में फंसे रोहिंग्या लोगों की मदद करने से मना कर देने की वजह से पहले ही कई जानें जा चुकी हैं. ऐमनेस्टी के दक्षिण एशिया कैम्पेनर साद हम्मादी ने कहा, "उन शर्मनाक घटनाओं को दोहराया नहीं जाना चाहिए. बांग्लादेश में सालों लंबी अनिश्चय की स्थिति और अब म्यांमार में हाल ही में हुए तख्तापलट की वजह से रोहिंग्या लोगों को लगता है कि उनके पास इस तरह की जोखिम भरी यात्राएं करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है."
सीके/एए (रॉयटर्स)
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore