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अमेरिका के सामने ड्रोन का मलबा खोजने की चुनौती

१५ मार्च २०२३

ब्लैक सी के ऊपर अमेरिकी ड्रोन और रूसी फाइटर जेट की टक्कर कैसे हुई, इसे लेकर दोनों देशों ने अलग अलग दावे किए हैं.

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एमक्यू-9 ड्रोन
तस्वीर: U.S. Navy/ZUMA Wire/ZUMA/picture alliance

अमेरिका का आरोप है कि उसके एमक्यू-9 इंटेलिजेंस और सर्विलांस ड्रोन को रूसी फाइटर जेट सुखोई ने टक्कर मारकर गिराया. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक रूस के एसयू-27 ने ड्रोन के प्रोपेलर पर टक्कर मारी. इसकी वजह से यूक्रेन के पास काले सागर में ड्रोन क्रैश हो गया. अमेरिकी वायुसेना के एयरफोर्स यूरोप एंड एयर फोर्स अफ्रीका कमांडर जेम्स बी हेकर ने कहा, "टक्कर से पहले भी कई बार, एसयू-27 ने गलत और गैर-पेशेवर तरीके से एमक्यू-9 के सामने खतरनाक अंदाज में फ्यूल डंप किया."

अमेरिका का दावा है कि उसका ड्रोन अंतरराष्ट्रीय वायुक्षेत्र में रूटीन ऑपरेशन कर रहा था. इसी दौरान रूसी लड़ाकू विमान ने उसे निशाना बनाया.

एमक्यू-9 के सबसे पिछले हिस्से में घूमता प्रोपेलर
एमक्यू-9 के सबसे पिछले हिस्से में घूमता प्रोपेलरतस्वीर: Yonhap/picture alliance

क्या कहता है रूस

रूस का आरोप है कि अमेरिकी ड्रोन क्रीमिया के पास उड़ान भर रहा था और उसकी उड़ान को देखते हुए ऐसा लगा जैसे वह रूसी वायुक्षेत्र में दाखिल होने जा रहा है. रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया. तब से रूस उस पर अपना दावा जताता है.

रूसी रक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक, "मॉस्को के टाइम के मुताबिक करीब साढ़े नौ बजे, एक तेज पैंतरेबाजी की गई, जिसके चलते बिना इंसान वाला यान एमक्यू-9 अनियंत्रित होकर नीचे गिरता गया और पानी से टकराया." रूस का आरोप है कि ड्रोन के ट्रांसपोंडर बंद किए गए थे. जिसकी वजह से फाइटर जेटों को उसकी पहचान करने के लिए भेजा गया.

रूस ने ड्रोन को टक्कर मारने के आरोप को खारिज किया है, "रूसी फाइटर जेटों ने कोई हवाई हथियार इस्तेमाल नहीं किया, वे ड्रोन के संपर्क में भी नहीं आए और सुरक्षित तरीके से अपने एयरफील्ड पर लौट आए."

इसके साथ ही रूस ने अमेरिका से रूसी सीमा के पास ड्रोन ऑपरेट न करने की अपील की है.अमेरिका में तैनात रूस के राजदूत अनातोली अंतोनोव ने उस इलाके में अमेरिकी ड्रोन की उड़ान को अस्वीकार्य भी कहा, "हमारी सीमाओं के पास अमेरिका सेना के ये अस्वीकार्य कदम चिंता की बात हैं."

राजदूत ने वॉशिंगटन पर आरोप लगाते हुए कहा, "अगर, उदाहरण के लिए, एक रूसी हमलावर ड्रोन न्यूयॉर्क या सैनफ्रांसिस्को के पास दिखे तो, अमेरिकी वायुसेना और नौसेना क्या करेंगे?"

अमेरिकी वायुसेना और नौसेना इस्तेमाल करती है एमक्यू-9
अमेरिकी वायुसेना और नौसेना इस्तेमाल करती है एमक्यू-9तस्वीर: Staff Sgt. Brian Ferguson/dpa/picture alliance

क्या है एमक्यू-9 रीपर ड्रोन

अमेरिकी वायुसेना के मुताबिक रीपर को मुख्य रूप से खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए तैनात किया जाता है. यह ड्रोन हमला भी कर सकता है. यूएस एयरफोर्स का कहना है, "उड़ान की लंबी अवधि, कई तरह के सेंसर, मल्टी मोड कम्युनिकेशन और सटीक हथियारों की वजह से यह ड्रोन हाई वैल्यू टारगेट, दस्ते या फिर टाइम सेंसटिव टारगेट को निशाना बनाने या ऐसे ऑपरेशनों के लिए कॉर्डिनेशन करने की अनोखी क्षमता रखता है."

24 फरवरी 2022 कोअंतरराष्ट्रीय सीमा पारकर यूक्रेन में रूसी सेना के दाखिल होने से शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में यह पहला मौका है जब सीधे तौर पर अमेरिका और रूस टकराए हैं.

सेनाओं में इस्तेमाल होने वाले अलग अलग ड्रोन
सेनाओं में इस्तेमाल होने वाले अलग अलग ड्रोन

मलबा किसके हाथ लगेगा

अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने रूसी दावों को खारिज किया है. अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन से ड्रोन के मलबे के बारे में बात करते हुए किर्बी ने कहा, "जाहिर सी बात है कि हम नहीं चाहते वह हमारे वाला किसी और के हाथ में जाए."

बाल्टिक सागर में क्रैश हुए अमेरिकी ड्रोन का मलबा अगर रूस के हाथ लगा तो वॉशिंगटन की परेशानियां बढ़ेंगी. बेहद गोपनीय टेक्नोलॉजी से बने ड्रोन को रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए बहुत हद तक समझा जा सकता है. पुर्जा पुर्जा अलग कर कर कंप्यूटर की मदद की जाने वाली रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए ड्रोन बनाने और उसमें छुपी टेक्नोलॉजी के बारे में काफी ठोस जानकारियां मिल जाएंगी.

अमेरिकी ड्रोन की नकल बनाने में जुटा ईरान

अफगानिस्तान में दो दशक लंबे सैन्य अभियान के दौरान अमेरिका ने कई ड्रोन खोए. अमेरिकी खुफिया एजेंसी भी यह मानती है कि कुछ ड्रोनों का मलबा तस्करों ने ईरान तक पहुंचा. इसकी वजह से ईरान को मिलिट्री ड्रोन बनाने में काफी मदद मिली.

ओएसजे/सीके (एपी, रॉयटर्स)