दक्षिणपंथ की ओर बढ़ रहा जर्मनी के युवाओं का झुकाव
२४ अप्रैल २०२४जर्मनी के युवाओं का झुकाव दक्षिणपंथी पार्टियों की तरफ बढ़ रहा है. हाल ही में आई एक स्टडी ‘यूथ इन जर्मनी 2024' रिपोर्ट के मुताबिक धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) को पहले के मुकाबले ज्यादा युवा वोट दे सकते हैं.
रिपोर्ट के लेखकों ने बताया कि 30 साल से कम उम्र के युवा इस वक्त अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति से बेहद नाराज हैं. साथ ही भविष्य में आगे बढ़ने की संभावनाओं से जुड़े अपने डर के कारण दक्षिणपंथी पार्टियों की तरफ उनका रुझान बढ़ा है.
क्या कहते हैं रिपोर्ट के आंकड़े
अध्ययन में शामिल 2,000 में से करीब 22 फीसदी युवा जिनकी उम्र 14 से 29 साल के बीच थी, उन्होंने कहा कि अगर वह संसदीय चुनावों में अभी वोट दे सकें तो वे एएफडी को वोट देंगे. अध्ययन के मुताबिक ऐसे युवाओं की संख्या पिछले दो सालों के मुकाबले दोगुनी हुई है. 2022 में केवल 9 फीसदी युवाओं ने कहा था कि वे एएफडी को वोट देंगे. वहीं 2023 में ऐसा कहने वाले युवाओं की संख्या 12 फीसदी थी.
ग्रीन पार्टी को वोट देने वाले युवाओं की संख्या 2022 में 27 फीसदी थी, वह अब घटकर 18 फीसदी हो गई है. फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी को वोट देने की इच्छा रखने वाले युवाओं की संख्या भी 19 से 8 फीसदी पर आ गई है. वहीं मध्य वामपंथी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए यह आंकड़ा 14 फीसदी से कम होकर 12 फीसदी हो गई. दूसरी तरफ, सीडीयू को वोट देने की चाहत रखने वाले युवा 16 फीसदी से बढ़कर अब 20 फीसदी हो गए हैं.
रिपोर्ट के लेखक क्लाउस हूलमन कहते हैं, "युवाओं के बीच दक्षिणपंथ की ओर बढ़ रहे झुकाव को साफ देखा जा सकता है. गठबंधन की पार्टियों की लोकप्रियता कम हो रही है. वहीं एएफडी की लोकप्रियता बढ़ रही है.”
किन चिंताओं से घिरे हैं जर्मनी के युवा
अध्ययन में युवाओं के बीच सामाजिक और आर्थिक स्थिति को लेकर उनकी चिंताएं साफ उभरकर आई हैं. इसके मुताबिक जर्मनी के युवा मौजूदा परिस्थितियों से बेहद असंतुष्ट हैं. युवाओं को महंगाई और अपने बुढ़ापे में गरीबी की चिंता भी सता रही है.
अध्ययन में शामिल 65 फीसदी युवा महंगाई से परेशान थे. इसके अलावा 54 फीसदी युवाओं को महंगे घर, 48 फीसदी बुढ़ापे में गरीबी और 49 फीसदी को समाज में बढ़ते विभाजन को लेकर चिंताएं घेर रही हैं.
बढ़ता किराया बना युवाओं के लिए मुसीबत
कोविड 19 के बाद जर्मनी में स्थिति काफी बदली है. किराया महंगा हुआ है, रूस-यूक्रेन और मध्य एशिया में जारी युद्ध के साथ साथ समाज भी बंटा है. ये सब आज यहां के युवाओं के मुख्य मुद्दे बन चुके हैं.
जर्मनी में घर मिलना एक बड़ी समस्या बन चुकी है. ग्रुप फॉर कंटेपररी कंस्ट्रक्शन की तरफ से की गई एक रिसर्च बताती है कि इस समस्या से निपटने के लिए जर्मनी को करीब सात लाख नये अपार्टमेंट की जरूरत है. घर की समस्या के सबसे बड़े भुक्तभोगी इस वक्त यहां के छात्र हैं. 2023 की सर्दियों में नया सेमेस्टर शुरू करने वाले हजारों छात्रों को लंबे समय तक के लिए किराये का घर तो दूर हॉस्टल में एक बेड तक मिलना मुश्किल हो गया था.
जर्मन स्टूडेंट असोसिएशन ने बयान जारी कर कहा था कि छात्रों को बड़े शहरों में रहने की किफायती जगह मिलना दशकों से खराब स्थिति में है. सरकारी आंकड़ों (डेस्टाटिस) के मुताबिक जर्मनी में 16 फीसदी लोग अपनी आय का 40 फीसदी हिस्सा सिर्फ घर के किराये में खर्च कर रहे हैं. वहीं, साढ़े दस लाख से अधिक परिवारों की आय का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा किराये में जा रहा है. बढ़ते किराये का सबसे अधिक बोझ उन परिवारों पर है जिनकी आय कम है.
शरणार्थियों की बढ़ती संख्या से चिंता
एएफडी की विचारधारा आप्रवासन के खिलाफ है और रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि युवाओं के बीच यह एक बड़ा मुद्दा है. 41 फीसदी युवाओं के लिए शरणार्थियों की बढ़ती संख्या भी एक मुख्य मुद्दा है. यूरोपीय संघ में आज भी शरणार्थियों की पहली प्राथमिकता जर्मनी है.
शरणार्थियों के लिए बनीं यूरोपीय संघ की एजेंसी के मुताबिक 2023 में जर्मनी के पास 330,000 से अधिक शरणार्थियों के आवेदन आए थे. ये आवेदन यूरोपीय संघ में आए सभी आवेदनों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा थे.
युवाओं तक पहुंचती धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी
जर्मनी की दक्षिणपंथी पार्टी युवाओं को टिकटॉक से लुभाने की कोशिश भी कर रही है. पार्टी के नेता भी युवा मतदाताओं तक पहुंचने के लिए टिकटॉक का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. माक्सिमिलियन क्राह, ऐलिस वाइडेल और टीनो क्रुपल्ला जैसे एएफडी के नेता इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल युवाओं तक पहुंचने के लिए कर रहे हैं.
हालांकि, जर्मनी की आंतरिक इंटेलिजेंस ब्यूरो ने एएफडी की युवा शाखा 'यंग ऑल्टरनेटिव' को धुर दक्षिणपंथी कट्टरपंथी समूह के रूप में चिन्हित कर रखा है.
आरआर/एनआर (डीपीए)