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अब बेनीप्रसाद वर्मा और चुनाव आयोग में ठनी

१८ फ़रवरी २०१२

केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के बाद स्टील मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा चुनाव आयोग के निशाने पर हैं. वर्मा ने भी अल्पसंख्यकों के लिए रिजर्वेशन की बात कही है, जिस पर आयोग ने उनसे सवाल कर लिया है.

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तस्वीर: AP

वर्मा को चुनाव आयोग के नोटिस पर सोमवार तक जवाब देना है. उन पर चुनाव आचार संहिता तोड़ने का आरोप है. इससे पहले चुनाव आयोग का सलमान खुर्शीद के साथ भी अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के वादे को लेकर सवाल जवाब हो चुका है. खुर्शीद ने उस विवाद को इतना बढ़ाया था कि मामला राष्ट्रपति तक चला गया. हालांकि बाद में मंत्री ने माफी मांग कर मामला खत्म कर दिया.

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में वर्मा की रैली का वीडियो फुटेज देखने के बाद आयोग ने कहा कि पहली नजर में वह इस बात से संतुष्ट है कि वर्मा ने अपने इस बयान के साथ ही चुनाव आचार संहिता को तोड़ा है. आयोग के नोटिस में कहा गया है, "वर्मा को अपने इस बयान को देते हुए अच्छी तरह पता था कि इससे वह आचार संहिता तोड़ेंगे. फिर भी उन्होंने ऐसा किया."

Indien Politiker Minister Salman Khurshid
तस्वीर: UNI

उनसे पूछा गया है कि वह 20 फरवरी शाम पांच बजे तक इस बात का जवाब दें कि उनके खिलाफ आचार संहिता तोड़ने की कार्रवाई क्यों न की जाए. नोटिस में कहा गया है कि अगर वर्मा तय वक्त के अंदर जवाब नहीं देते हैं तो आयोग अपने विवेक के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में चुनाव आयोग बड़ा फैसला कर सकता है, खास कर इसलिए क्योंकि वर्मा ने आयोग को चुनौती दी है कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई करके देखे.

फर्रुखाबाद में केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और महासचिव दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में बुधवार को एक रैली में वर्मा ने कहा, "मुसलमानों का आरक्षण बढ़ाया जाएगा और अगर चुनाव आयोग चाहता है, तो वह मुझे नोटिस जारी कर सकता है." हालांकि शनिवार को वर्मा ने लखनऊ में कहा कि उन्होंने जान बूझ कर यह बयान नहीं दिया और उनकी जुबान फिसल गई थी.

केंद्रीय स्टील मंत्री का कहना है कि वह चुनाव आयोग की इज्जत करते हैं और सबको ऐसा करना चाहिए, "मैं हर रोज चार से पांच रैलियों में भाषण देता हूं. कभी कभी मैं ध्यान नहीं रख पाता हूं कि मैं किस परिप्रेक्ष्य में अपनी बात कह रहा हूं." चुनाव आयोग ने कहा है कि पिछले साल 24 दिसंबर से ही आदर्श चुनाव संहिता लागू हो चुकी है, जिसमें साफ साफ जिक्र है कि वोट हासिल करने के लिए सांप्रदायिक या जातीय बात नहीं की जाएगी.

वर्मा से पहले केंद्रीय कानून सलमान खुर्शीद ने भी कुछ ऐसे ही बयान दिए थे. उन्होंने एक विधानसभा क्षेत्र में वादा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का आरक्षण बढ़ा दिया जाएगा. इसके बाद जब चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया तो एक कदम आगे बढ़ते हुए खुर्शीद ने कहा कि अगर आयोग उन्हें सूली पर भी चढ़ाता है, तो भी वह अपनी बात पर कायम रहेंगे.

इसके बाद आयोग ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पत्र लिख कर इस मामले में दखल देने की मांग की और उधर कांग्रेस आलाकमान ने कानून मंत्री के बयान से पल्ला झाड़ लिया. लिहाजा खुर्शीद ने माफी मांग कर मामले को खत्म कर दिया. हालांकि एक बार फिर वह विवाद में फंस सकते हैं क्योंकि वर्मा ने अभी जो बयान दिया है, उस वक्त खुर्शीद भी उनके साथ थे.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एमजी

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