अमेरिका-पाक रिश्तों पर लीक का असर
२७ जुलाई २०१०गौरतलब है कि रविवार को कुछ अखबारों ने अमेरिकी सेना के खुफिया दस्तावेजों के हवाले से खबरें छापी थीं. इन खबरों में कहा गया था कि अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिका के दुश्मन तालिबान को पाकिस्तान से ही मदद मिल रही है.
अफगानिस्तान युद्ध के दस्तावेजों के लीक होने का असर ओबामा की रणनीति पर पड़ सकता है. इन दस्तावेजों में इस बात का खुलासा हुआ है कि युद्ध में अमेरिका का सहयोगी पाकिस्तान तालिबान की मदद कर रहा है.
वैसे तो इस तरह की खबरें पहले भी आती रही हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तालिबान की मदद कर रही है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इस दस्तावेजी खुलासे से अमेरिका में पाकिस्तान के सहयोग पर भरोसा कम होगा और संदेह बढ़ेगा. सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रीडल कहते हैं, “इन गोपनीय दस्तावेजों से यह बात जाहिर हुई है कि तालिबान को कितने बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से मदद मिल रही है और इस बात से अमेरिकी सेना के भीतर कितनी खीझ है.”
फिलहाल वॉशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक में काम कर रहे रीडल कहते हैं कि इस बात से ओबामा के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी. ओबामा ने पिछले साल अमेरिका की अफगानिस्तान और पाकिस्तान की नीति की समीक्षा की थी.
हालांकि रीडल मानते हैं कि विकी लीक्स नाम की वेबसाइट द्वारा किए गए ये खुलासे अमेरिकी सेना और जनता के लिए कितने भी दिल तोड़ने वाले क्यों न हों, अमेरिका के सामने पाकिस्तान के साथ मिल कर काम करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
दस्तावेज के खुलासों को युद्ध के विरोधी लोग इस बात के सबूत के तौर पर ले रहे हैं कि अमेरिका भले ही 30 हजार सैनिक और अफगानिस्तान में तैनात कर दे, उसका मिशन वहां कभी कामयाब नहीं हो सकता. लेकिन हेरिटेज फाउंडेशन की लीजा कर्टिस कहती हैं कि अभी ऐसा कहना जल्दबाजी होगी. वह कहती हैं कि युद्ध के लिए अमेरिकी जनता के समर्थन पर इसका असर पड़ सकता है. वह कहती हैं कि ओबामा प्रशासन को तय समय सीमा की बात दोहराने से बचना चाहिए क्योंकि इससे दुश्मन को बढ़ावा मिलता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि जुलाई 2011 से अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस होने लगेगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपानदः ओ सिंह