अरुणाचल में चीनी गतिविधियां और भारत का मॉडल गांव
३० अगस्त २०२२लद्दाख से पूर्वोत्तर भारत तक तिब्बत से लगी भारतीय सीमा पर ऊपरी तौर पर सब कुछ शांत नजर आने के बावजूद जमीनी हकीकत अलग है. स्थानीय लोगों के बनाये एक वीडियो में चीन की गतिविधियों का ब्यौरा है. इससे पहले भी चीन की ओर से भारतीय सीमा के भीतर कुछ गांव बसाने की खबरें सामने आई थी. सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से यह मामला सामने आया था.
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भारत सरकार ने हालांकि अब तक इस बारे में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया है. दूसरी ओर, इलाके में चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से एकदम नजदीक एक मॉडल गांव बसाया गया है ताकि उन गतिविधियों पर निगाह रखी जा सके. इस गांव में फिलहाल 79 लोग रहते हैं. इसके साथ ही बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी जोर दिया जा रहा है.
ताजा मामला
अरुणाचल प्रदेश सीमा के भीतर चीनी सेना की घुसपैठ और स्थानीय युवकों के अपहरण के मामले तो पहले तो पहले भी सामने आते रहे हैं. एक ताजा मामले ने इलाके के लोगों की नींद उड़ा दी है. अंजाव जिले के स्थानीय लोगों ने बीते 11 अगस्त को एक वीडियो रिकॉर्ड कर दावा किया है कि चीनी सेना के जवान चालागम में भारी मशीनों के जरिए पहाड़ काट कर इलाके में निर्माण कार्य कर रहे हैं. यह भारत-चीन सीमा के निकट अरुणाचल प्रदेश के समीप वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगी हुई आखिरी जगह है. जिला मुख्यालय से पैदल वहां तक पहुंचने में कम से कम चार दिन लगते हैं.
इलाके में चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों से स्थानीय लोग बेहद चिंतित हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन की ओर से नियंत्रण रेखा के पास जिस तेजी से सड़क और दूसरे बुनियादी निर्माण कार्य हो रहे हैं, वह चिंताजनक है. स्थानीय मेचुका गांव के एक युवा नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "यहां चीनी सेना की गतिविधियां लगातार तेज हो रही हैं, लेकिन सरकार या सेना इधर ध्यान नहीं दे रही है. इससे हम डरे हुए हैं. पहले भी इलाके के कई युवकों का अपहरण हो चुका है और उनमें से कुछ लोग अब तक लापता हैं.”
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मेचुका के लोग वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध से पहले तक व्यापार के सिलसिले में सीमा पार कर तिब्बत जाते रहते थे. गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं, "अब भारतीय सेना हमें सीमा के करीब नहीं जाने देती.” यह इलाका बेहद दुर्गम है. पश्चिम सियांग जिले के आलो टाउन से मेचुका तक महज एक ही सड़क है और खराब मौसम में उस पर भी आवाजाही मुश्किल है. इलाके में मोबाइल और इंटरनेट सुविधाएं भी ठीक से उपलब्ध नहीं है. बीएसएनएल के अलावा अब तक दूसरा कोई सर्विस प्रोवाइडर यहां नहीं पहुंचा है.
केंद्र की खिंचाई
चीनी सेना के कथित निर्माण का ताजा वीडियो सामने आने के बाद असदुद्दीन ओवैसी समेत कई विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं.
ओवैसी ने अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले के स्थानीय लोगों की ओर से रिकॉर्ड किए वीडियो को ट्विटर पर पोस्ट किया है. इसमें में अरुणाचल प्रदेश के चालागम में हदीगारा-डेल्टा 6 के पास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान मशीनों की सहायता से निर्माण कार्य करते हुए दिख रहे हैं. ओवैसी ने अपने ट्वीट में कहा है, "क्या हमारे प्रधानमंत्री साहब, जो चीन का नाम लेने से भी डरते हैं, हमें बताएंगे कि चीनी निर्माण दल अरुणाचल प्रदेश में हमारे क्षेत्र में क्या कर रहा है?” उनका कहना है कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर चर्चा करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाना जरूरी है.
पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के एक नेता कहते हैं कि केंद्र सरकार गरीबों और मुसलमानों के घर पर बुलडोजर चलाने में व्यस्त है और दूसरी ओर, चीनी सेना बुलडोजर की सहायता से भारतीय सीमा में निर्माण कार्यों में जुटी है.
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सेना का दावा
चीनी सेना की बढ़ती घुसपैठ की खबरों के बीच भारतीय सेना ने सीमावर्ती इलाके में बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने का दावा किया है. भारतीय सेना के एक अधिकारी बताते हैं, अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सटे इलाकों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है. निगरानी को और अधिक दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. सेना का कहना है कि पहाड़ी इलाके और जंगल होने की वजह से निगरानी और ठिकाने पर कड़ी नजर रखना मुश्किल हो जाता है. इसलिए एलएसी के साथ बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है.
सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचा मजबूत करने की इसी कवायद के तहत भारतीय सेना ने चीन की सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश में एक 'मॉडल गांव' बसाया है. वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास बसा काहो नाम का यह आखिरी गांव राज्य के अंजाव जिले में है.
स्थानीय लोगों ने सेना के इस कदम का स्वागत करते हुए जरूरत पड़ने पर सेना के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ने का संकल्प भी लिया है. 'मॉडल गांव' परियोजना चीनी निर्माण को देखे जाने के ठीक एक साल बाद आई है. प्लैनेट लैब्स की ओर से 1 नवंबर, 2021 को जारी सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि चीनी अधिकारियों ने नियंत्रण रेखा के पास महज एक साल के भीतर सौ से ज्यादा घर बना लिए हैं.