इराक की धुंधली जिंदगी में सिनेमा की दस्तक
२९ अप्रैल २०११व्यापारी जैद फादेल ने इराक में सिनेमा की वापसी के लिए आठ लाख डॉलर यानी करीब 4 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. दशकों से यहां सिनेमा घर बंद पड़े हैं. पहले सद्दाम हुसैन के शासन ने और फिर बम धमाकों के डर ने इन सिनेमाघरों के दरवाजे बंद कर दिए थे. लेकिन फादेल इन दरवाजों को खोलना चाहते हैं.
बगदाद में लौटा सिनेमा
बगदाद में फादेल के दो छोटे सिनेमा हाल ही में शुरू हुए. चार साल के भीतर वह राजधानी में 30 थिएटर बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं ताकि इराक के लोगों को भी वे ताजातरीन फिल्में देखने का मौका दे सकें जो पूरी दुनिया देखती है.
इराकी लोगों के लिए ड्राइव एंग्री, द मकैनिक या सोर्स कोड जैसी हाल में रिलीज हुई फिल्में देखना अंतरराष्ट्रीय फिल्म संस्कृति के साथ जुड़ने जैसा होगा जिससे वे दशकों से कटे हुए हैं. 24 साल के सद्दाम हुसैन के शासन के दौरान सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया. उसके बाद 2003 से अमेरिका के छेड़े युद्ध में इराकियों की जिंदगी दर बदर की ठोकरें खाती रही.
लेकिन अब जिंदगी लौट रही है. फादेल के इराकी सिनेमा की शुरुआत पर एक्टर डायरेक्टर अजीज खय्यून कहते हैं, "सिनेमा शुरू करना जीने की इच्छा का संकेत है. यह उतना ही जरूरी है जितनी रोटी जरूरी है."
कोई लौटा दे मेरे...
कभी इराक में 82 सिनेमा हुआ करते थे. उनमें से 64 तो बगदाद में थे. फिर सद्दाम सरकार ने फिल्मों के चयन, बाहर से आने वाली फिल्मों के आयात और फिल्म निर्माण पर नियंत्रण कायम कर लिया. नतीजतन एक एक कर सारे सिनेमा बंद हो गए. 2003 में अमेरिकी हमले के वक्त कुल पांच सिनेमा चालू हालत में थे. लेकिन उसके बाद आतंकवाद और बम धमाकों का ऐसा दौर शुरू हुआ कि लोगों ने घरों से निकलना ही बंद कर दिया.
यूं तो इराकी लोग टीवी देखते हैं लेकिन सिनेमा के लिए उनकी प्यास टीवी से नहीं बुझती. फादेल कहते हैं, "इराकी लोग दोबारा सिनेमा देखने के प्यासे हैं. अपने इस काम के जरिए मैं सिनेमा की संस्कृति को दोबारा उन तक लाना चाहता हूं."
फादेल के दो सिनेमा शुरू हो गए हैं. हर एक में लगभग 75 लोगों के बैठने की जगह है. स्पेन से मंगाया गया आधुनिक साउंड और लाइट सिस्टम और इटली और जर्मनी के प्रोजेक्टर इन्हें विश्व स्तरीय बनाते हैं. जल्दी ही वहां 3डी प्रोजेक्टर भी होंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा