एआई से चमकेंगे या बर्बाद होंगे वीडियो गेम्स?
२२ सितम्बर २०२३मीनो गेम्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक साशा मैककिनन कहते हैं, "ये एआई का आखिरकार वो यूटोपिया है जिसकी कल्पना मैं करता हूं- हरेक व्यक्ति ज्यादा रचनात्मक होगा. हमारे पास और ज्यादा सुंदर डिजिटल अनुभव होंगे. इन पारस्परिक रचनात्मक अनुभवों के जरिए लोग एक दूसरे के और नजदीक आएंगे." छह साल की उम्र से गेम के रचना संसार में उतर चुके "पोकेमॉन के दीवाने" साशा के मुताबिक "मुझे लगता है कि ये मुमकिन है, बस सही ढंग से अंजाम देने की जरूरत है."
उनका उत्साह देखने लायक है. गेम के विकास में एआई के उपयोग से जुड़े अवसरों पर बात करते हुए उनका चेहरा खिल जाता है.
गेमिंग के दूसरे उस्तादों का भी यही मानना है. प्रबंधन की परामर्श एजेंसी बाइन एंड कंपनी के सितंबर 2023 के एक अध्ययन के मुताबिक, गेमिंग उद्योग से जुडे अधिकांश एग्जिक्यूटिव मानते हैं कि अगले 5-10 साल में गेमिंग की आधी विकास प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भागीदारी होगी.
'जादुई पल' रचता है एआई
मिसाल के लिए, साशा मैककिनन के स्टूडियो में तैयार रोल-प्लेयिंग गेम "डाइमेंशनल्स" में एआई को एक विशेष किरदार में ढाला जाता है जो थोड़ा सा खब्ती, अच्छा इंसान है, जिसमें कूट कूट कर क्रिएटिविटी है, जो हमेशा टेबल पर दूसरों के साथ मौजूद रहता है और एक के बाद एक मजेदार सलाहें देता रहता है.
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एआई किरदार गढ़ सकता है, उनकी लड़ाइयां और संवाद भीः "हम लोग इन जादुई पलों को हासिल करने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं जहां, किरदार कुछ ऐसा बोल देते हैं जिसकी आपको जरा भी उम्मीद नहीं होती और जो स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं है और ये उनके साथ आपके खेलने की हिस्ट्री पर आधारित होता है."
फिलहाल, एआई जल्द ही अपनी हद छू लेती हैः साशा के मुताबिक उसकी 40-50 फीसदी सलाहें इस्तेमाल लायक नहीं. लिहाजा मीनो गेम्स में एआई एक रचनात्मक साझेदार की भूमिका निभाती है जिसके मुहैया कराए सुझावों पर इंसान अमल करते हैं.
"डाइमेन्शनल्स" के दानवों के स्केच, एआई ने तैयार किए थे. लेकिन गेम में दिखने वाले दानवों को इंसानी डिजाइनरों ने बनाया था.
साशा मैककिनन कहते हैं कि गेम डेवलेपरों को अपनी नौकरियों की चिंता करने की जरूरत नहीं. एआई उनकी जगह नहीं ले सकती. साशा कहते हैं कि "गेम्स मानव अभिव्यक्ति के सबसे शुद्ध रूप हैं" क्योंकि उनमें ना सिर्फ कहानी, कला और ध्वनि होती हैं बल्कि वे "लोगों के लिए एक अनुभव भी मुहैया कराते हैं. एआई वैसी कोई चीज कभी नहीं कर पाएगी."
काम करने के हालात बिगाड़ देती है एआई
डैनियल लैंडस इस आशावाद को नहीं मानते. वो फ्रीलांस अनुवादक के रूप में काम करते हैं और "होगवार्ट्स लिगेसी" और "ओवरवॉच 2" जैसे अंतरराष्ट्रीय गेमों को जर्मन भाषा में ढालते हैं.
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अनुवादक आमतौर पर फ्रीलांसर के रूप में काम करते हैं और उन्हें प्रति शब्द भुगतान मिलता है. उससे अमीर तो कोई नहीं होता लेकिन अभी जिस तरह एआई की जरूरत गेम निर्माताओं को पड़ रही है उस स्थिति में वे भी मान कर चल रहे हैं कि अनुवादकों को अपने काम का भुगतान कम मिलेगा- प्रति शब्द मूल कीमत का सिर्फ 30 फीसदी.
लैंडस बताते हैं कि अनुवादक एआई टूल्स का इस्तेमाल मदद के रूप में करना चाहेंगे जैसे गणितज्ञ कैलकुलेटर का करते हैं. "प्रमुख समस्या ये है कि हमें कम पैसों में काम करने पर मजबूर किया जाता है. भले ही ये साबित नहीं हुआ है कि काम और आसान हो जाएगा." टेक्स्ट (पाठ) जितना पेचीदा होगा, कम्प्यूटर का अनुवाद उतना ही खराब होगा जिसमें और ज्यादा संपादन की जरूरत पड़ेगी. लैंडस कहते हैं, "मशीन संदर्भ नहीं समझती बल्कि संभाव्यताओं की गणना करती है. खासतौर पर संवादों या क्रिएटिव टेक्स्ट के मामलों में, जस का तस अनुवाद करने की बात नहीं, बात मूल विषय के अर्थ को पकड़ने की है. एआई वो नहीं कर सकती."
यूरोप में ऑडियो विजुअल अनुवादकों के संगठन, एवीटीई ने 2021 में एआई अनुवादों पर एक घोषणापत्र जारी किया था. इसमें डैनियल लैंडस भी शामिल थे. लेखकों ने गुणवत्ता के नुकसान, टूल्स की क्षमता पर सवाल और अनुवादकों को सही भुगतान जैसे मुद्दों के बारे में चेताया है.
फिर भी अभी तक आम हालात में कोई सुधार नहीं हो पाया है. "क्योंकि अधिकांश अनुवादक फ्रीलांसर होते हैं, और पेशे के तौर पर संगठित हो पाना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है. कई अनुवादकों के लिए दो जून की रोटी के लिए काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है."
ऐसा सिर्फ जर्मनी में नहीं कि पेशा कठिन दौर से गुजर रहा है. लैंडस कहते हैं, "दुनिया भर में सभी अनुवादक दबाव में हैं. हम लोग हर जगह एक जैसी समस्या देखते हैं- क्रेडिट में हमारा नाम नहीं जाता, हमारा भुगतान कम किया जा रहा है और हमारी ना कोई सुनता है ना हमारे पास कोई अधिकार हैं."
एआई खुद से बेहतर नहीं होगी
एआई तभी तक अच्छी है जब तक उसका डाटा बढ़िया है. इसके अलावा, यह भी तय नहीं है कि एआई में वक्त के साथ सुधार आ जाएगा. ये और खराब भी हो सकती है, इसके लिए शोधकर्ता चैटजीपीटी की मिसाल देते हैं.
लिहाजा ये सोचना कतई असंगत नहीं कि अगर एआई का इस्तेमाल बढ़ता रहा तो गेम्स की क्वालिटी पर असर पड़ेगा.
अब चूंकि प्रौद्योगिकी, इंसानी अनुवादकों, गेम के डिजाइनरों या कॉपीराइटरों की अपेक्षा अक्सर ज्यादा तेज होती है और उल्लेखनीय रूप से सस्ती भी, तो ऐसे में वो बनी रही सकती है और लोगों की नौकरियां छुड़ा सकती है. स्टूडियो भी अपेक्षाकृत कम बुराई के रूप में निम्न क्वालिटी को स्वीकार करने लगेंगे.
गेम डेवलपर मैककिनन कहते हैं कि, "एआई के सबसे बड़े जोखिमों में से एक यह है कि लोग लापरवाह हो जाते हैं और एआई से जुड़ी सबसे बड़ी चीजों में से एक यह हैः हम लोग इस किस्म के दोराहे पर हैं. आपको पता है कि ये बेहतरीन नतीजे दे सकती है या ये इंसानियत को वाकई नुकसान पहुंचा सकती है."
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वो रेखांकित करते हैं कि हमें एआई पर आंख मूंदकर निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि उसका उपयोग एक टूल के रूप में करना चाहिए, जैसे कि, प्रेरणा के लिए. एआई लोगों को प्रोत्साहित करे कि वे अपनी कहानियां और गेम्स तैयार करें. वो उम्मीद करते हैं कि कभी कोई गेम तैयार ना कर सके नये लोगों की नये खेलों के साथ आमद होगी. इसमें तकनीकी संभावनाओं का विकास उनकी मदद करेगा.
दरअसल, हाल के वर्षों में सबसे कामयाब गेम्स तैयार हुए हैं क्योंकि मौजूदा गेम्स को मॉडिफाई किया गया और एक कम्युनिटी ने उसे आगे विकसित किया- यानी खुद खेलने वालों ने, ना कि गेम इंडस्ट्री ने.
दूसरे गेम्स के बीच "काउंटर-स्ट्राइक" गेम, शूटर गेम "हाफ-लाइफ" को रुपांतरण से तैयार हुआ था.
"फोर्टनाइट", "प्लेयरअननोन्स बैटलग्राउंड्स" का वैरिएंट है जिसका कंसेप्ट- 100 प्लेयर एकदूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं और अंत में जो बच जाता है वही जीतता है- "मॉडर" ने तैयार किया था. ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो नये लेवल और मैप बनाकर गेम्स को फिर से नया बनाते हैं.
एआई से और आसान हुआ गेम तैयार करना
एक संभावित परिदृश्य यह है कि गेम तैयार करने में एआई के उपयोग से और गेम्स बनाए जाएंगे लेकिन क्वालिटी गिरेगी, जिसका मतलब ज्यादा बोरिंग, मामूली गेम निकाले जाएंगे.
औसतन, स्टीम गेमिंग प्लेटफॉर्म पर रोजाना 30 से ज्यादा नये गेम्स सामने आ रहे हैं.
इसके अलावा, गेम बनाने में ग्राफिक्स और कॉपीराइटिंग से लेकर प्रोग्रामिंग तक, तमाम जिम्मेदारियां संभालने वाली एआई की बदौलत हर किसी के लिए गेम बनाना ज्यादा आसान हो जाता है.
इसका मतलब आने वाले वर्षों में और ज्यादा यूजर-जनेरेटड कंटेंट उभर कर आ सकता है, और वो भी आगे चलकर नये कामयाब गेमों की रचना कर सकता है.
शुरुआत में सीमित से दिखते प्रौद्यगिकीय विकास का आखिरकार हमेशा से वीडियो गेम्स की रचना में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है. 1980 के दशक में टेक्स्ट एडवेंचर्स की शुरुआत हुई, फिर 1990 के दशक में पिक्सल ग्राफिक्स के साथ 2डी प्लेटफॉर्म आया, और 2000 के दशक में विस्तृत ओपन-वर्ल्ड गेम्स की आमद हुई और आज लोकप्रिय मल्टीप्लेयर ऑनलाइन गेम्स छाए हुए हैं.