एक बच्चा नीति खत्म करने से चीन को कितना फायदा?
६ अगस्त २०१८2015 में जब चीन ने एक बच्चे वाली नीति में बदलाव किया, तो दंपतियों में खुशी की लहर दौड़ गई. ऐसा करने के पीछे मुख्य वजह थी देश में प्रजनन दर को बढ़ावा देना, जो काफी कम है. इस नीति के लागू होने के बाद ही बच्चों के पैदा होने की संख्या में जबरदस्त उछाल देखा गया है. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के मुताबिक, 2016 में जन्म दर 7.9 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो साल 2000 के बाद सबसे ज्यादा है. आयोग का अनुमान है कि 2020 तक नए बच्चों की संख्या 1.7 से 2 करोड़ तक हो जाएगी. इसके साथ ही कामकाजी लोगों की संख्या 3 करोड़ तक हो जाएगी और देश के बुजुर्गों की संख्या में 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिलेगी.
चीनी सरकार के आंकड़े भले ही बड़े दावे करें लेकिन शोध में पाया गया है कि सरकार की नई नीति का कुल प्रभाव कम ही होगा. ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी के मुताबिक, नई नीति से चीन की जीडीपी में मात्र 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. 64 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की कामकाजी लोगों पर निर्भरता में सिर्फ 0.03 फीसदी की गिरावट होगी.
चीन में दूसरा बच्चा पैदा करने पर मिलेगी सब्सिडी
जनसांख्यिकी विशेषज्ञ स्टुआर्ट गिटेल बास्टन का मानना है कि चीन में प्रजनन दर में आई कमी के कई वजहें हैं. वह कहते हैं, ''1979 में जब एक बच्चा पैदा करने की नीति अपनाई गई, तो प्रजनन दर में अपने आप कमी हो गई. लेकिन 80 और 90 के दशक में आए सामाजिक-आर्थिक बदलाव, महिलाओं की शिक्षा, शहरीकरण आदि ने प्रजनन दर को और कम करने में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं.''
चीन का एक बच्चा पैदा करने की नीति को अपनाना आधुनिक युग का अभूतपूर्व कदम माना जाता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर फेंग वान्ग के मुताबिक, आर्थिक तरक्की के लिए चीन पर काफी दबाव था. देश में बने राजनीतिक घटनाक्रम के बाद इस नीति को दृढ़तापूर्वक लागू किया गया.
इन तीन दशकों में चीन के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चा पैदा करने की नीति पर बहस होती रही है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह नीति लागू न होती, तो एशिया की तरक्की के रास्ते मजबूत होते. वान्ग कहते हैं, ''एक बच्चा पैदा होने से चीनी परिवारों ने बचत, निवेश और आर्थिक विकास में योगदान दिया. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिली, जिससे देश को सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी पीढ़ी मिल पाई. हालांकि एक कड़वा सच यह भी है कि एक बच्चा पैदा करने की नीति ने माता-पिता के बुजुर्ग होने पर मुश्किलें पैदा कीं. उनके पास बुढ़ापे में सहारे की कमी हो गई.
वान्ग के मुताबिक, चीन ने एक बच्चा पैदा करने की नीति बनाकर लंबे अरसे का नुकसान मोल लिया, "यह कुछ वैसा ही है जैसे तत्काल फायदे के लिए तालाब के पानी को खूब इस्तेमाल किया, लेकिन इससे तालाब की मछलियां नहीं बचीं."
वॉन्ग, मार्टिंन वाइट और योंग साइ की साझा स्टडी बताती है कि चीनी सरकार की इस नीति की वजह से मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ. 80 के दशक में महिलाओं की नसबंदी और गर्भपात की दरें बढ़ीं. इस नीति ने इंसानों की एक-दूसरे के प्रति समझ को गलत तरीके से बदला. यही वजह है कि अन्य देश इसे अपने यहां लागू करने से हिचकिचाते हैं. भारत और दक्षिण कोरिया में भी जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए 70 और 80 के दशक में अभियान चलाए गए, लेकिन एक बच्चा पैदा करने की नीति लागू नहीं हुई. वान्ग के मुताबिक, ''यह एक ऐसी नीति है जिसके सकारात्मक परिणाम कम दिखते हैं, लेकिन घातक नतीजों की एक लंबी फेहरिस्त है.''
रिपोर्ट: विलियम यैंग/वीसी
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