कान में फ्रांस की 'गंदी' राजनीति
१९ मई २०११कान फिल्म समारोह में द कान्क्वेस्ट प्रतियोगिता में शामिल नहीं है. हालांकि लंबे समय से लोगों को इस फिल्म का इंतजार था. फिल्म राष्ट्रपति सारकोजी के फ्रांस के राष्ट्रीय परिदृश्य पर उभरने के सफर की दास्तान है, वह दास्तान जिसमें सारकोजी राजनीति के शिखर पर तो पहुंच जाते हैं लेकिन अपनी बीवी को खो कर.
असली लोगों की काल्पनिक कहानी
जेवियर दुर्रिन्गर के निर्देशन में बनी फिल्म यह कहते हुए शुरु होती है कि फिल्म वास्तविक लोगों पर आधारित काल्पनिक कहानी है. इस संदेश के सामने आते ही दर्शकों की हंसी फूट पड़ी. पहली बार फ्रांस में कोई ऐसी फिल्म बनी है जो वहां के वर्तमान राष्ट्रपति के बारे में है. द कान्क्वेस्ट इस मामले में कई कदम आगे है क्योंकि इसमें न सिर्फ नायकों के असली नामों का इस्तेमाल हुआ है बल्कि वास्तविक संवाद भी मूल रूप में इस्तेमाल किए गए हैं.
दुर्रिन्गर ने फिल्म दिखाए जाने के बाद पत्रकारों से कहा कि वह दिखाना चाहते थे कि "कैसे राजनेता खुद को मंच पर रख कर लोगों के दिल छू लेते हैं. राजनेता अभिनेता जैसे ही हैं. वे थिएटर के काफी करीब हैं."
चोरी से शूटिंग
दुर्रिन्गर ने बताया कि फिल्म का ज्यादातर हिस्सा गुप्त रूप से बिना अनुमति लिए शूट किया गया ताकि नेताओं को स्क्रिप्ट दिखाने की जरूरत न पड़े. उन्होंने बताया, "सारकोजी के दफ्तर ने फिल्म की स्क्रिप्ट कभी नहीं देखी. अगर ऐसा हुआ होगा तो निश्चित रूप से कंप्यूटर में सेंध लगाई गई होगी."
पूरी फिल्म के दौरान पृष्ठभूमि में मौजूद संगीत उस सक्रियता और बदहवासी के माहौल से मेल खाता है जिससे 2007 में राष्ट्रपति चुनावों के दौरान सारकोजी गुजर रहे थे. तब सारकोजी के सामने बस एक ही चुनौती थी, राष्ट्रपति पद की दौड़ के रास्ते में आने वाली हर बाधा को पार करना. लगातार अपने दोस्तों और सलाहकारों से घिरे सारकोजी की सक्रियता एक मिसाल है.
क्या कहते हैं सारकोजी
फिल्म में सारकोजी कहते हैं, "मुझे लगातार चलते रहना है ताकि मैं निशाना न बनूं." सारकोजी इस बदहवासी में कई दांवपेंच आजमाते हैं. दक्षिणपंथी नेता सारकोजी के मानवीय पक्ष को दिखाने के लिए उनकी शादी के टूटने की दास्तान भी फिल्म में है और कुछ रहस्यों को भी सामने लाया गया है.
सारकोजी की पूर्व पत्नी सेसिला के प्रेम संबंध, उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी डोमिनिक डे विलेपिन का उन्हें बौना और उनका फ्रांस के पत्रकारों को डरपोक कहना. पूर्व राष्ट्रपति ज्याक शिराक की भू्मिका निभा रहे बर्नार्ड ले कॉक कहते हैं, "छोटे राजनीतिक कद के सारकोजी कभी राष्ट्रपति नहीं बन सकते क्योंकि उनका आगे बढ़ना बहुत जल्दी रुक गया. इसी बीच सेसिला शिकायत करती हैं कि उनकी जिंदगी एक रियलिटी शो बन गई है. फिल्म के जरिए यह बात सामने आती है कि सारकोजी लागातार चॉकलेट और मिठाइयां खाते रहते हैं जबकि विलेपिन झूठी कसमें खाते रहते हैं."
राजनीतिक क्रूरता
फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने वाले पैट्रिक रॉटमैन ने कहा कि वह राजनीति की क्रूरता को पर्दे पर लाना चाहते थे, "दर्शक राजनीतिक के बड़े सूरमाओं के शब्दों में शामिल हिंसा को देख कर हैरान रह जाएंगे. यह अब फ्रांस की विशेषता हो गई है कि आपको अपने ही खेमे के लोगों को मिटाना पड़ता है. यही वजह है कि घृणा और उग्रता इतनी मजबूत हो रही है."
फिल्म में जब सारकोजी की पत्नी सेसिला पहली बार उन्हें छोड़ कर चली जाती हैं तब दो महिला पत्रकारों से उन्हें यह कहते हुए दिखाया गया है, "आपको पता है, हम सारे राजनेता सेक्स की बड़ी ताकत होते हैं." न्यूयॉर्क में बलात्कार के आरोपों में गिरफ्तार डोमिनिक स्ट्रॉस काह्न का मामला फिल्म के इस दृश्य से किसी न किसी रूप में जुड़ जाता है. काह्न सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अगले चुनावों में सारकोजी को चुनौती देने वाले थे.
सारकोजी की अनुमति
द कॉन्क्वेस्ट को राष्ट्रपति कि अनुमति से ऐसे वक्त में रिलीज किया जा रहा है जब उनकी लोकप्रियता काफी तेजी से नीचे जा रही है. 2012 के चुनावों के लिए उनकी उम्मीदवारी पर लोगों की राय अच्छी नहीं है. हालांकि काह्न की गिरफ्तारी से इस मामले में बड़ा उलटफेर होने की संभावना है. मशहूर मॉडल कार्ला ब्रूनी से शादी करने वाले सारकोजी फिर से चुनाव में खड़े होने वाले हैं लेकिन यह साफ नहीं है कि फिल्म का चुनाव में उनकी जीत की उम्मीदों पर कितना असर होगा.
सारकोजी की भूमिका निभाने वाले पोडालाइड्स ने अनुरोध करके दो महीने पहले राष्ट्रपति से मुलाकात की. लेकिन सारकोजी ने फिल्म देखने से इनकार कर दिया. पोडालाइड्स ने बताया, "यह दुर्लभ बात है कि कोई अभिनेता असली किरदार से मिले. सारकोजी मुझसे गर्मजोशी से मिले लेकिन कहा कि वह फिल्म नहीं देखेंगे क्योंकि वह उनके बारे में लिखी किताबें भी नहीं पढ़ते. उन्होंने पूछा कि क्या मुझे फिल्म में काम करके मजा आया तो मैंने कहा बहुत ज्यादा." तब उन्होंने कहा, "तब तो यह अच्छी बात है. कम से कम इतना तो हुआ."
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार