कान में सिर चढ़कर बोला खामोश सिनेमा
१६ मई २०११कान में 20 फिल्मों के बीच मुकाबला हो रहा है. मुकाबला इतना तीखा और करीबी है कि उसका तनाव महसूस किया जा सकता है. ऐसे में द आर्टिस्ट जेठ की दोपहरी में ठंडी फुहार सरीखी लगी. फ्रांस के निर्देशक माइकल हजानाविशस की फिल्म द आर्टिस्ट 1920 के दौर की एक प्रेम कहानी है. यह फिल्म उस दौर की है जब हॉलीवुड और सिनेमा बोलना सीख रहे थे.
क्या है द आर्टिस्ट
फिल्म के हीरो जॉर्ज वैलेन्टिन का किरदार बॉलीवुड के सुपरस्टार जैसा है जो यह मानने से इनकार कर देता है कि आवाज सिनेमा का भविष्य है. 1929 की आर्थिक मंदी के बाद उसे बेहद मुश्किल वक्त का सामना करना पड़ता है. तब एक उभरती हुई एक्ट्रेस पेपी मिलर उससे मोहब्बत कर बैठती है. लेकिन मिलर सुपर स्टार बन जाती है और दोनों के रास्ते जुदा हो जाते हैं.
फिल्म बनाने की पुरानी कला के जरिए द आर्टिस्ट का जज्बात और तनाव का समंदर समुद्र किनारे चल रहे कान फिल्म महोत्सव को बहा ले गया. फिल्म को खूब तालियां मिलीं.
हजानाविशस कहते हैं कि वह सिर्फ दृश्यों के जरिए कहानी कहना चाहते थे क्योंकि यही असली सिनेमा है. फ्रांस में अपनी जासूसी फिल्मों के लिए मशहूर हजानाविशस ने कहा, "ये दृश्य ही कुछ महानतम निर्देशकों की ताकत हैं."
दो सिरे एक साथ
1920 के दौर के सिनेमा की कहानी कहती यह फिल्म थ्रीडी में बनाई गई आधुनिक सिनेमा की झंडाबरदार पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियनः ऑन स्ट्रेंजर टाइड्स के एकदम दूसरे सिरे पर खड़ी थी. पाइरेट्स शनिवार को कान में दिखाई गई.
मुकाबले में हिस्सा ले रही 20 में से आठ फिल्में दिखाई जा चुकी हैं और अब तक द आर्टिस्ट उनमें सबसे ज्यादा पसंद की गई फिल्मों में से है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन