काले धन पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की लताड़
४ मार्च २०११सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को एक तरह से फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इस देश में क्या तमाशा चल रहा है." अदालत ने कहा कि काला धन रखने के आरोपियों को खूब सिर चढ़ाया गया है. पुणे के व्यापारी और बड़े फार्म मालिक हसन खान और अन्य कथित आरोपियों को प्रवर्तन निदेशालय से बचाने के लिए जिस तरह बार बार मौके दिए जा रहे हैं, उस पर अदालत ने गहरी नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अधिकारी हर किसी को उल्लू बना रहे हैं. अदालत ने पूछा कि क्या अन्य छोटे अपराधियों के साथ भी कभी इस तरह की रियायत बरती जाती है.
अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि हसन अली खान के खिलाफ कथित विदेशी विनिमय कानून के उल्लंघन के मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के जिन तीन अधिकारियों का कथित तौर पर तबादला कर दिया था, उन्हें वापस उनकी जगह पर लाया जाए. जस्टिस बी सुदर्शन और एसएस निज्जर की बेंच ने यह भी संकेत दिया कि अगर सरकार कदम उठाने में नाकाम रहती है तो उस पर ऐसे विशेष अधिकारी की नियुक्ति के लिए दबाव डाला जाएगा जो आरोपियों के खिलाफ जांच की निगरानी करेगा.
सॉलीसिटर जनरल की बेबसी
अदालत ने केंद्र सरकार को इस बारे में अपना जबाव दाखिल करने के लिए मंगलवार तक का समय दिया है. अगर सरकार ऐसा करने में नाकाम रही तो फिर अदालत जरूरी निर्देश जारी करेगी. सुब्रमण्यम ने अदालत को यह विश्वास दिलाने की लाख कोशिश की कि सरकार आरोपियों के खिलाफ कदम उठा रही है, लेकिन उनका प्रयास बेकार ही साबित हुआ. अदालत ने उनसे बार बार यही सवाल किया कि आरोपियों को पूछताछ के लिए अब तक हिरासत में क्यों नहीं लिया गया है.
खान के विदेशी बैंकों में 8 अरब डॉलर बताए जाते हैं. उन्हें 2009 में 50 हजार करोड़ रुपये कर के तौर पर जमा करने के लिए नोटिस भी दिया जा चुका है. बेंच ने अपनी नाखुशी जताते हुए कहा, "ऐसी भी मिसालें हैं जब सेक्शन 144 के तहत (गैर कानूनी रूप से जमा होने पर) छिटपुट आपराधियों को गोली मार दी जाती है, लेकिन आपने इन लोगों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया. हमें बहुत अफसोस होता है. ये सब लोग अब तक खुले घूम रहे हैं."
आप भला क्या करेंगे
अदालत ने 10 फरवरी को मशहूर वकील राम जेठमलानी और काले धन को वापस देश में लाने की मुहिम चला रहे कुछ पूर्व नौकरशाहों की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से कहा कि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि खान देश से बाहर न जा सकें. जेठमलानी की तरफ से पेश वकील अनिल दीवान की ओर से दी गई इस जानकारी पर अदालत ने नाराजगी जताई कि प्रवर्तन निदेशालय खान और अन्य लोगों से पूछताछ के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है, बल्कि इस मामले को लगातार टाला जा रहा है.
अदालत ने कहा, "वे सबको मूर्ख बना रहे हैं और अलग अलग कारण दे रहे हैं. क्या आप छोटे अपराधों में आरोपियों को भी कभी ये सुविधाएं देंगे. इस देश में क्या तमाशा हो रहा है." सॉलिसीटर जनरल ने कहा कहा, "मैं चिंतित हूं और परेशान भी." इस पर अदालत ने कहा, "हम आपकी समस्या समझते हैं. हम जानते हैं कि जहां आप खड़े हैं, वहां से आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह